दुःख चालीसा
३१.
३१.
अपस्वर वीणा ध्वनी के साथ
गाना शोभा नहीं है.
गाना शोभा नहीं है.
बिना ज्योतिष ज्ञान के
शुभ -दिन की सूचना देना
हानिकारक है.
शुभ -दिन की सूचना देना
हानिकारक है.
शिथिल चमड़े का मृदंग बजाने से
जो ध्वनि आती है,
वह कर्ण कठोर है.
जो ध्वनि आती है,
वह कर्ण कठोर है.
दुर्गुणों के मनुष्य से शत्रुता
मोल लेना हानि प्रद है.
मोल लेना हानि प्रद है.
३२.
अपने आप को बुरे व्यसन से
दूर न रखना हानिप्रद है.
दूर न रखना हानिप्रद है.
बुराईयों से बचकर
दूर न रहना हानिकारक है.
दूर न रहना हानिकारक है.
किसी पर पीछे गाली देना
या
दोष लगाना दुख्कारक है.
या
दोष लगाना दुख्कारक है.
बुरे गुणी की मित्रता
दुःख का कारक है.
दुःख का कारक है.
परंपरागत धनी का
गरीब होना दुखप्रद है.
गरीब होना दुखप्रद है.
३३.
पियक्कड़ की बात
मानकर काम करना ,
दुखप्रद है.
मानकर काम करना ,
दुखप्रद है.
कंटीले जंगल में
चलना दुखप्रद है..
चलना दुखप्रद है..
बाढ़ में फंसाकर
जानवरों का मारना,
जानवरों का मारना,
ठगों का संपर्क दुखप्रद है.
३४.
अशिष्टाचार व्यक्ति से नाता जोड़ना दुखप्रद है.
श्रेष्ठ ग्रंथों को इच्छा से न पढ़ना दुखप्रद है.
निम्न-धंधा करनेवालों की मित्रता दुखप्रद है.
सज्जनों से मना करने के देश में रहना दुखप्रद है.
३५.
मेघों का न बरसना सांसारिक लोगों को दुखप्रद है.
मुरली की मधुर ध्वनि के सामान होने पर भी
पेड़ों में वायु के प्रवेश से आनेवाली ध्वनि दुखप्रद है.
सुन्दर युवक का बुद्धू होना दुखप्रद है.
३६.
दूसरों की मदद करने की इच्छा रखनेवाला निर्धनी दुखी है.
बड़े नगरों में गरीबी में जीना दुखप्रद है.
दूसरों के घर में जाकर भोजन का इंतज़ार करना दुखप्रद है.
गरीबी में छोड़कर जानेवाले मित्र की मित्रता दुखप्रद है.
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