koil thiru akaval- पटटीनत्तार
अरे मन!! ध्यान कर!ध्यान कर १
शिव भगवान का ;
गोरे स्वर्णमय देहवाले,
नृत्य -करनेवाले ,
गोरे स्वर्णमय देहवाले,
नृत्य -करनेवाले ,
नाथ शिव का ध्यान कर.
मृगमरीचिका -सा
,चंचल हवा -सा
,चंचल हवा -सा
अनित्य है जगजीवन.
वास्तव में जीवन मिथ्या है;
शरीर अनश्वर है .
जान-समझ कर ,
उसकी सुरक्षा में मन मत लगा.
जन्म -मरण -पुनर्जन्म
यह चक्र है सत्य.
स्थूल-सूक्ष्म सभी मिटे ;
मिटे सब पुनः जन्मे,
मिलन विरह में बदलते;
विरह मिलन में बदलते.
स्मरण विस्मरण हो जाते.
विस्मरण स्मरण हो जाते ;
खाई वस्तु,
मल बन जाती ;
मल बन जाती ;
पहने वस्त्र गंदे होते ;
पसंद ना पसंद हो जाते ;
पसंद ना पसंद हो जाते ;
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