Tuesday, August 14, 2012

तिरुवल्लुवर का तिरुक्कुरल


तिरुवल्लुवर का   तिरुक्कुरल

१.
कृतज्ञता    ज्ञापन   
१. जब  हमें  जरूरत  होती  है ,तब  अचानक  
कोई  मदद  करें  तो उससे  मिलनेवाला  फल  बेजोड़  है.उसकी  तुलना  आकाश  और  भूमि  के 
साथ   भी  नहीं  कर  सकते .
2..
समय  पर  की  हुई मदद ,छोटी  होने  पर भी 
जरूरत के वक्त  करने  से  ,वह  मदद संसार  से बड़ी  है.
3.
जो  निष्काम  मदद करते  हैं ,वह मदद इस  संसार से बहुत   बड़ी  है.
4.
जो कृतज्ञ  है,वे  तिल  
बराबर  की हुई मदद को  भी ताड़- सम  बड़ा  मानेंगे .
5.
कोई मदद करें तो उसके  परिमाण  पर ध्यान  न  देकर ,उसके  गुण  के आधार  पर 
मूल्यांकन  करना  चाहिए 
६.
सज्जनों  की दोस्ती  को कभी  छोड़ना  नहीं चाहिए,.उनकी  मित्रता  को 
भूलना  भी ठीक नहीं है. .वैसे  ही कष्ट  के  समय हमारे  साथ जो   
रहे ,उनका  संग  तोड़ना  नहीं चाहिए.
7.
किसी   एक   की  सच्ची  और पवित्र  दोस्ती को हमेशा  हर  घडी 
सोच -सोचकर  बहुत  ही हर्ष  मनाना  चाहिए.
8.
जिसने  हमारी  मदद  की है,उसकी याद  हमेशा रखनी  चाहिए.  उसे 
 कभी  भूलना  नहीं चाहिए.किसीने  हमारी बुराई  की तो उसको 
तुरंत  भूलना चाहिए.वही श्रेष्ठ  गुण है .
9
हमको  किसीने कई   बुराईयाँ  करने पर भी उसकी की हुई छोटी सी  भलाई  की याद करने पर उसके अत्याचारों  को हम  भूल  जायेंगे 
10.
सभी  प्रकार  की भलायियों को नाश  करने  पर भी पाप  से बच  सकते 
है.लेकिन मदद भूलकर  कृतघ्न  जो होते  हैं  ,उस  पाप  का कोई 
प्रायश्चित  नहीं है.. 

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