Friday, August 3, 2012

प्यार तिरुवल्लुवर.


प्यार
तिरुवल्लुवर.
१.
प्रेम बाढ़ -सा बहने पर उसे रोकना असंभव है.प्रेम प्रकट होने आँखों से टपक्नेवाली दो आंसू  की बूँदें काफी है
२.
जिसमें प्रेम नहीं है,वे सभी सुखों को खुद भोगना चाहेंगे.
जिसमें प्रेम है,वे अपनी हड्डियों को भी दूसरों के लिए दे देंगे.
३.
प्यार के बंधन में जो रिश्ता जुड़ जाता है,.उससे अधिक 
प्रेम दिखाना ही हमारे जीने का  जन्म फल है.
४.
प्रेम दूसरों से दोस्ती बढ़ाएगा.प्यार भरा दिल सब से मित्रता से जीने का मार्ग दिखाएगा.
5.
जिसका दिल प्रेम से भरा है,उसका जीवन संसार में सुखी और श्रेष्ठ  अपने आप ही बन जाएगा.
६.
प्रेम केवल  धार्मिक गुणों को मात्र साथ नहीं देगा,
वीरता बढ़ाने का काम भी करेगा.
७.
हड्डी हीन जीवों को धूप कैसे सुखा देता है,वैसे ही बिन प्यार के मनुष्य को  धर्म देवता जला देगा.
८.
मरूभूमि  के सूखे पेड़ पनपने की आशा रखना बेवकूफी है.वैसे ही मन में प्रेम नहीं है तो प्रेमहीन मनुष्य के जीवन में कभी सुख नहीं होगा.
९.
बाह्य अंगों को सजाना सरल है. उससे  कोई लाभ नहीं है.मन ही प्रधान है.प्रेम से उसे saazaane में ही जीवन का लाभ है.
१०.
प्रेम भरे  मनुष्य का  शरीर ही जानदार शरीर है.बिन प्रेम का मनुष्य केवल हड्डियों पर चमड़े का चादर ओढा  हुआ  शरीर है.बिन प्रेम का शारीन बेजान है.


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