Wednesday, August 8, 2012

इस में किसका दोष है?


मनुष्य अपने  जीवन में धर्म के पक्ष में रहना चाहता है।

 लेकिन लौकिकता  उसे धर्म के पक्ष से विमुख कर देता है।

सांसारिक मांगें  उसे विवश कर देता है।

वह सत्य को चाहने पर भी सत्य मार्ग से दूर रहता है।


कारण है कि भगवान  सुख को छिपाकर  दुख की चमक ही उसके सामने दिखाता है।

चकाचौंध  दुःख उसके सुपथ को कुपथ बना देता है।

पैसे की प्रधानता उसको गलत मार्ग पर ले जाता है।

अडोस-पड़ोस के सुख वैभव, बीमारियाँ ,इलाज के शुल्क ,

बढती महंगाई  वह घूसखोरी बनाने में लाचार बना देता है।

इस में किसका दोष है?

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