पट्टीनत्तार
सागर मंथन में मिले विष को निगलकर,
अपने कंठ में रखे नील कंठ शिव के शरण में शरण हूँ मैं.
सभी जीवों के प्राण लेनेवाले यम को
लात मारकर नियंत्रण में रखे सर्वेश्वर के शरणार्थी हूँ मैं.
संसार के सृष्टि कर्ता ब्रह्मा के सर तोड़कर ,
अपने बाएं कर में पकडे शिव !तेरे शरणार्थी हूँ मैं.
स्वर्ण मंच पर नाचनेवाले नटराज !तेरे चरण में हूँ मैं.
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