Wednesday, August 8, 2012

नालडियार-2


तमिल साहित्य के सर्वश्रेष्ठ  ग्रन्थ है --नालडियार अर्थात  चार चरण के पद्य.यह नीति ग्रंथों में श्रेष्ठ है. इस   ग्रन्थ में

एक चमत्कार है. एक जमाने में पांडियराजा के दरबार में  अकाल पीड़ित आठ हज़ार कवि थे. अकाल  के बाद भी राजा ने   उन कवियों को  विदा नहीं किया. कवियों ने बिना राजा से बताये ग्रंथों को वेकै नदी में फ़ेंक दिया.और राजा से बिना बताये चले गए.नदी में फेंके ग्रंथों में नालाडियार ग्रन्थ मात्र उलटी दिशा में आया और किनारे पर लग गया.नालाडियार के चार सौ पद्यों को पदुमनार नामक कवि ने संग्रह किया.
उनमें शिक्षा सम्बन्धी पद्यों का हिंदी भावानुवाद देखिये.


शिक्षा ही सुन्दर है 
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लोग सोचते हैं ,सर के केश में सुन्दरता  है,
इत्रवगैरह सुगन्धित वस्तू लगाने में  और ,
रंगबिरंगे कपड़ों में सुन्दरता है.वास्तव में
इन सब की खूबसूरती सच्ची नहीं है.
सच्ची सुन्दरता शिक्षा प्राप्त करने में है.
शिक्षा ही हमें पक्की राय देती है --
अच्छी चालचलन सिखाती है.
शील सिखाती है.
தமிழ் மூலம்
குஞ்சி அழகும் கொடுந்தானைக் கோட்டழகும்
மஞ்சள் அழகும் அழகல்ல-நெஞ்சத்து
நல்லம் யாம் என்னும் நடுவுநிலைமையால்,
கல்வி அழகே அழகு.

௨-/2./२
शिक्षा से संसार का कल्याण हैं.
शिक्षा ही ऐसी बात है,
जो दूसरों को देने  से कम नहीं होगी.
मनुष्य का बढ़प्पन शिक्षा  देने  में है.
शिक्षा के संग्रह से कोई बुराई नहीं होगी.
 सप्तलोकों में शिक्षा-सम 
   बूटी  भोलापन,
बेवकूफी  नष्ट करने , 
और कोई नहीं है.

இம்மை பயக்குமால்,ஈயக்குறைவின்றால்,
தம்மை விளக்குமால் தாமுளராக் கேடின்றால்,
emmai உலகத்தும் யாம் காணோம் கல்வி போல்
மம்மர் அறுக்கும் மருந்து .

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