संतान भाग्य ==tirukkuralतिरुक्कुरल
१.
पारिवारिक जीवन की विशेषता
अच्छे बच्चों को जन्म लेना है.
इससे बढ़कर कोई विशेषता नहीं है.
२.
बदनाम के डर से जीनेवाले को ,
गुणी बच्चों के होनेपर
जीवन भर कोई भी हानि नहीं होगी.
गुणी बच्चों के होनेपर
जीवन भर कोई भी हानि नहीं होगी.
३.
एक गृहस्थ की संपत्ति
उसकी संतानें हैं.
उन संतानों की संपत्ति
उनके ज्ञान और शक्ति है.
४.
शिशु अपने हाथों से छूकर
भोजन की थाली में खेलने पर,
वह खाना अमृत से भी
बढकर स्वादिष्ठ रहेगा.
5.
अपने प्रिय पुत्र को गले लगाकर
दुलार करने में
सुख और आनंद मिलेगा.
उनकी तुतली बोली में बड़ी
प्रसन्नता होगी.
६.
जिन लोगों ने अपने बच्चों की
तुतली बोली नहीं सुनी,
वे ही कहेंगे मुरली और वीणा की ध्वनि
मधुर है.
अर्थात संगीत से शिशु की
तुतली बोली मधुर है.
७.
पिता का कर्त्तव्य है ,
अपने बच्चों को सुयोग्य बनाना
जिससे वह सर ऊंचा करके
सज्जन और शिक्षितों की सभा में चल सके.
८.
माता-पिता से पुत्र
अधिक होशियार होना
माता-पिता और संसार के लोगों के लिए
बड़े गौरव की बात है.
९.
अपने पुत्र को संसार प्रशंसा करने पर
माता को अपने पुत्र के जन्म होते समय जितना खुश होता है ,
उससे भी अधिक प्रसन्नता होगी.
१०
पुत्र की होशियारी और सद-व्यवहार देखकर दुनिया यह कहेगी कि
उनके माता -पिता
कठोर तपस्या
करके इस पुत्र को जन्म दिया है.
ऐसा नाम माता -पिता को दिलाना ही
पिता के प्रति पुत्र का कर्त्तव्य है.
उसकी संतानें हैं.
उन संतानों की संपत्ति
उनके ज्ञान और शक्ति है.
४.
शिशु अपने हाथों से छूकर
भोजन की थाली में खेलने पर,
वह खाना अमृत से भी
बढकर स्वादिष्ठ रहेगा.
5.
अपने प्रिय पुत्र को गले लगाकर
दुलार करने में
सुख और आनंद मिलेगा.
उनकी तुतली बोली में बड़ी
प्रसन्नता होगी.
६.
जिन लोगों ने अपने बच्चों की
तुतली बोली नहीं सुनी,
वे ही कहेंगे मुरली और वीणा की ध्वनि
मधुर है.
अर्थात संगीत से शिशु की
तुतली बोली मधुर है.
७.
पिता का कर्त्तव्य है ,
अपने बच्चों को सुयोग्य बनाना
जिससे वह सर ऊंचा करके
सज्जन और शिक्षितों की सभा में चल सके.
८.
माता-पिता से पुत्र
अधिक होशियार होना
माता-पिता और संसार के लोगों के लिए
बड़े गौरव की बात है.
९.
अपने पुत्र को संसार प्रशंसा करने पर
माता को अपने पुत्र के जन्म होते समय जितना खुश होता है ,
उससे भी अधिक प्रसन्नता होगी.
१०
पुत्र की होशियारी और सद-व्यवहार देखकर दुनिया यह कहेगी कि
उनके माता -पिता
कठोर तपस्या
करके इस पुत्र को जन्म दिया है.
ऐसा नाम माता -पिता को दिलाना ही
पिता के प्रति पुत्र का कर्त्तव्य है.
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