भारत में विदेशी संक्रामक रोग तलाक बढ़ रहा है।
शादी के बाद,
बच्चे होने के बाद,
पहले पति और प्यारी
बच्चे -बचची को छोड़कर,
नए पति के साथ चलना सहज बात हो गयी है।
अजीबोगरीब बात है कि विवाहित स्त्री विवाहित पुरुषको ही चाहती है।
नए पति के साथ चलना सहज बात हो गयी है।
अजीबोगरीब बात है कि विवाहित स्त्री विवाहित पुरुषको ही चाहती है।
पहले हंसी - में कहा जाता था --तेरा बच्चा मेरा बच्चा हमारे बच्चे के साथ खेल रहे हैं।
यह वास्तविक बात हो गयी है।
यह वास्तविक बात हो गयी है।
आज कल छोटी छोटी बात केलिए भी पति -पत्नी में झगड़ा होती है।
शादी की पहली रात में ही तलाक तक की बातें होती है।
शादी की पहली रात में ही तलाक तक की बातें होती है।
यह तो पारिवारिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है।
शांति पूर्ण जीवन केलिए सहन -शक्ति की ज़रुरत है .
एक -दूस रे की मांग की सत्यता और आवश्यकता को समझने की भी जरूरत है।
एक -दूस रे की मांग की सत्यता और आवश्यकता को समझने की भी जरूरत है।
अनुचित -उचित मांग में मायके जाना,ससुराल जाना ,सास ससुर की सेवा,माँ -बाप की सेवा ,भाई बहन,ननद
आदि झगड़ों के मूल में है।
आदि झगड़ों के मूल में है।
सहानुभूति ,दया,वात्सल्य, त्याग ,सेवा भाव ,परोपकार,आदि भारतीयता के लक्षण है।
सावित्री,नालायिनी की कहानियाँ भारत में है।ईश्वर भी द्वि पत्नी के हैं।
ऐसे समाज में पारिवारिक अशांति खेदजनक है और भावी पीड़ी केलिए खतरनाक भी है।
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