Monday, August 6, 2012

भगवद गीता --1


भगवद गीता --
गीता  में भगवान ने कहा---
संसार  के सभी जीवों की आत्मा मैं हूँ।  जीवों  का आदि मैं हूँ ; 
वेद  मैं हूँ .
प्रकाश,वायु,चन्द्र,नक्षत्र ,आदि मैं हूँ 
अस्त्र-शस्त्र पशु-पक्षी मैं हूँ।
सभी जीओं का नाश मैं हूँ ; 
मरण-जन्म मैं हूँ।

करो कर्तव्य ;फल की प्रतीक्षा  मत करो 

शरीर नश्वर है।आत्मा अमर है।
आत्मा अनंत ,अजर-अमर है।
क्षत्रिय  का कर्तव्य  लड़ना  है । रण -भूमि  में मरने पर ही  स्वर्ग है; 

ब्राह्मणों की शोभा विद्वत्ता है ।
 राजा या शासकों की शोभा सुशासन  चलाना  है.
व्यापार की शोभा ईमानदारी  है ।

शूद्रों की शोभा सेवा करने में है .

संसार  में   दो  योग  हैं ----ज्ञान योग    और  कर्म  योग  ;

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