भगवद गीता --
गीता में भगवान ने कहा---
संसार के सभी जीवों की आत्मा मैं हूँ। जीवों का आदि मैं हूँ ;
वेद मैं हूँ .
प्रकाश,वायु,चन्द्र,नक्षत्र ,आदि मैं हूँ
अस्त्र-शस्त्र पशु-पक्षी मैं हूँ।
सभी जीओं का नाश मैं हूँ ;
मरण-जन्म मैं हूँ।
करो कर्तव्य ;फल की प्रतीक्षा मत करो
शरीर नश्वर है।आत्मा अमर है।
आत्मा अनंत ,अजर-अमर है।
क्षत्रिय का कर्तव्य लड़ना है । रण -भूमि में मरने पर ही स्वर्ग है;
ब्राह्मणों की शोभा विद्वत्ता है ।
राजा या शासकों की शोभा सुशासन चलाना है.
राजा या शासकों की शोभा सुशासन चलाना है.
व्यापार की शोभा ईमानदारी है ।
शूद्रों की शोभा सेवा करने में है .
संसार में दो योग हैं ----ज्ञान योग और कर्म योग ;
शूद्रों की शोभा सेवा करने में है .
संसार में दो योग हैं ----ज्ञान योग और कर्म योग ;
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