धर्म की सज़ा
इस संसार में मनुष्य अपनी इच्छा पूरी करने के लिए भागीरथ प्रयत्न करता है.
इसमें कितने लोग सफलता प्राप्त करते हैं?
यह तो प्रत्यक्ष है ,कामयाबी प्राप्त करनेवाले
कठोर परिश्रमी मात्र नहीं ,
कई प्रकार के त्याग करते हैं.
कई लोग सांसारिक सुख तजते है.
पत्नी से बिछुड़ते है.
पुत्रों से दूर रहते हैं.
माँ-बाप ,अपने नाते रिश्ते पर ध्यान नहीं देते.
अपने वांछित कर्म में लगे रहते हैं.
ऐसे लोगों में वे ही नाम पाते है,
जो विश्व कल्याण के काम में लगे रहते हैं.
ऐसे महान लोगों को विरोध करनेवाले व्यक्ति,
उनको सर्वनाश करना चाहते है.
फिर भी महान महान ही होते है.
ईसा मसीह को शूली पर चढ़ाकर फूले न समाने वालों का नामों निशान तक नहीं.
पत्थर फेंककर मुहम्मद नबी को मक्का तक भगानेवाले कहाँ गए पता नहीं.
दुसरे प्रकार के लोग है, जो अपने भावी पीढी के लिए
संपत्ति जोड़ रहे हैं. लेकिन उनके उत्तराधिकार कैसे जियेंगे ?
उसे देखने नहीं रहेंगे.
उसे देखने नहीं रहेंगे.
कुछ लोगों की संपत्ति वे अनुभव करते है,
जो उनसे किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं रखते.
जो उनसे किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं रखते.
वास्तव में धर्म और विज्ञानं जग की भलाई में काम करते हैं.
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