इन्ना नार पतु=दुखचालीसा
कवि=कापिलर =समय ईसवीं पूर्व ५० से १२५ तक
२१.
दान के मिलने पर उसकी मात्र से असंतोष होनेवालोको देना दुखप्रद है.
जिसको बांटकर देने का गुण नहीं है,उनके यहाँ जाकर खाना दुखप्रद है.
बुढापे में रुग्ण होना दु खप्रद है.वैसे ही विप्र,
जो वेद-पाठन नहीं करता,उसका वचन दुखप्रद है.
२२.-
गज-सेना रहित, राजा को (देखना) दुखप्रद है.
दूसरे जानवरों का माँस खाकर अपने शरीर का पालन दुखप्रद है.
शहद और घी का खट्ठा होना हानिप्रद है.
वैसे ही जंगली नदी के बीच का गांव को हानि निश्चित है.
२३
पहरेदार रहित असुरक्षित शहर में रहना हानिप्रद है.
अहित करनेवालों के साथ रहना हानिप्रद है.
काम-रोग बढना हानिप्रद है.
अहंकारियों के संग रहना दुखप्रद है.
२४.
परकोटा रहित प्राचीन शहर का द्वार रक्षक बन्ना हानिप्रद है.
पनघट में कपड़ा धोना हानिदायक है.
अपनी सुनी गुप्त बातो को ढोल बजानेवालों का संग दुखप्रद है.
असंयमी लोगों की तपस्या हानिप्रद है.
२५
इष्ट-मित्र लोगों का कष्ट देखना अति दुखदायक है.
शत्रुओं का घमंड देखना अति दुखप्रद है.
जहाँ नाता-रिश्ता नहीं ,वहां जीना दुखप्रद है.
जुआ खेलना दुखप्रद है.
२६.
सज्जनों और श्रेष्ठ लोगों का साथ छोड़ना दुखप्रद है.
असाध्य कार्यों के करने का शपथ लेना हानिकारक है.
अप्रिय लोगों से अपने दुखों कष्टों को बताना हानिप्रद है.
बड़े लोगों को दुःख देना हानिकारई.
२७.
बड़े सज्जनों कीर्ति पर कीचड उछालना दुखप्रद है.
दोस्तों और रिश्तों को छोड़ना दुखप्रद है.
निर्धनों की सुन्दरता दुखप्रद है.
जवानी में बुढापा आना दुखप्रद है.
२८.
जो घुड-सवारी करना नहीं जानता,उसका हठीले घोड़े पर सवारी करना दुखप्रद है.
अनपढ़ की कथन का कहना हानिप्रद है.
निर्धनों की श्रेष्ठ सच्ची बाते भी दुखप्रद है.
अनपढ़ का भरी दरबार में बोलना हानिकारक है.
२९
अज्ञानी संपेरे के नाग को नचाना हानिकारक है.
पानी की गहराई को बिना जाने उछल-कूदकर तैरना हानिकारक है.
बुद्धू पुत्रों का जन्म देना दुखप्रद है.
जो रहस्यों को छिपा नहीं सकता,
उसके कानों में भेद पढ़ना हानि कारक है.
३०
ऊंचे पेड़ की शाखा के ऊपर से कूदना दुःख कारक है.
उन्मत्त हाथी के सामने जाना खतरनाक दुखप्रद है.
जहां सांप छिपकर रहता,वह घर दुखप्रद है.
खतरनाक बाघ चल-फिर रहने का मार्ग दुखप्रद है.
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