Wednesday, August 8, 2012

शिक्षा में अनुशासन भंग


आजकल शैक्षिक  संस्थाओं  में  तनाव है.;

अनुशासन की   कमी है.

 कारण शिक्षा क्षेत्र भातीय नैतिकता  पर प्रमुखता न देकर

 धन  को ही प्रधानता देती है.

 गुरु और शिष्य का सम्बन्ध  रूपये का  आधार बन गया है.

यह रीति प्राचीन गुरुकुल शिक्षा में   कुल-जाति धर्म आदि के कारण अशिक्षित  लोग  ज्यादा थे.


राजतंत्र  के बाद  विदेशी   शासन में अंग्रेजी प्रधान बनी.आजादी के बाद भी  अंग्रेजी का महत्व  बहु-गुणा बढ़

  गया है.भारतीय संस्कृति और परम्परागत   बंधन  चित्रपट की प्रेमकथाओं और पौराणिक गन्दर्व विवाह के

कारण

छात्र प्रेम के पीछे पागल होते जा रहे हैं. प्रेम न करने पर हत्या,आत्मा हत्या,अपहरण,शादी के बाद प्रेमी या

प्रेमिका की याद में पति या पत्नी की ह्त्या करना आदि  साधारण बात हो गयी.

राजनीति भ्रष्टाचार की सीमा पार गयी.

राजा-महाराजा से बढ़कर  लोकतंत्र के प्रतिनिधि सुखी जीवन बिता रहे हैं.

चुनाव के समय  ऐसा लगता है कि

दो बदमाश चुनाव के उम्मीदवार हैं.

पैसे -रूपये सिपाही बनते है.


शिक्षा में  अनुशासन  भंग के मूल में अध्यापक.

स्कूल के प्रबंधक ,अधिकारी,समाज की नयी व्यवस्था 

 के आर्थिक लोभ ही है.

अर्थ के कारण शिक्षा सार्थक न होकर निरर्थक

बन रहा है.

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