Thursday, December 19, 2019

हद सीमा

नमस्ते जी।
  वणक्कम।
शीर्षक: हद।
 हद ---सीमा ।
हर बात  की एक सीमा होती  हैं।
अत्याचार की चरम सीमा  बढने पर,
हरी का अवतार।
शिशु,बचपन, लडकपन,प्रौढ़ावस्था बुढापा आगे मृत्यु  हद।
आतंकवादी देशद्रोहियों का
पोल खुलना उनके
 शासन  का अंत।
 पाँच  साल  तक  शिशु का हद।
दस साल तक बचपन  ,
बीस साल  तक किशोरावस्था।
बीस से पैंतीस तक  जवानी का हद।
हर बात  में  हद।
महँगाई  बढने का नहीं  हद।
चुनाव के  मिथ्यावादों का नहीं सीमा।
चुनाव के खर्च  का न अंत।
भ्रष्टाचारियों  का न अंत।
रिश्वतखोरों की नहीं  सीमा।
काले धमनियों का न अंत।
अनुसूचित जातियों के
 बढती संख्या  का न अंत।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन

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