Sunday, February 28, 2021

செய்தி.

 இலக்கிய சங்கம் ஒரிசா 

தலைப்பு  செய்தி.

साहित्य संगम संस्थान उड़िया इकाई।


विषय: संदेश।

विधा  प्रशासक, प्रबंधक संचालक समन्वयक प्रतिभागियों का निर्णय।

२८-२-२०२१.

**********

 संदेश  अपने मन की बातें दूसरों तक पहुँचाना ही संदेश।। நம் மனவிஷயங்களை மற்றவர்களிடம் அடையச் செய்தல் செய்தி.


संदेश निकट या दूर के लोगों तक पहुंचाने।

செய்தி அருகில் அல்லது தொலைவில் உள்ளவர்களுக்கு அனுப்புவது.

 सांकेतिक संदेश। 

சங்கேத செய்தி.சமிக்ஞை.

जैसे हाथ हिलाना,आँख मारना, उंगलियाँ हिलाना,मुस्कुराना।

கை ஆட்டுதல்,கண் அடித்தல், விரல்கள் அசைத்தல்,முன் சிரிப்பு.

 भीम और दुर्योधन की अंतिम लडाई कुश्ती।

துரியோதனன் பீமனின் இறுதி யுத்தம் குஸ்தி.

 अति कौशल योद्धा। அதிக திறமையான போர்வீரன்.

 हराना मुश्किल।

தோற்கடிப்பது கடினம்.

दुर्योधन के जांघ ही दुर्बल।

துரியோதனன் தொடை பலஹீனம்.

குத்துச்சண்டை விதி நியமப்படி 

தொடையில் அடிப்பது தவறு.

कृष्ण ने  मारने का इशारा अपने जाँघ में  किया। 

जांघ में कुश्ति में नियमानुसार विधिअनुसार मारना नीति के विरुद्ध था।

भगवान की सृष्टियों का संदेश

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

இறைவன் படைப்பில்

தடி எடுத்தவன் தூண்டல் காரன்.

बाघ छिप दबकर वार करता।

புலி மறைந்து பதுங்கி தாக்கும்.

मकड़ी जाल बुनकर।

சிலந்தி வலை பின்னி.

बड़ी मछली छोटी मछली को निगालकर। 

பெரிய மீன் சின்ன மீனை விழுங்கும்.

जैसा भी हो प्राकृतिक संदेश सतर्क रहना।

எப்படி யோ இயற்கை யின் செய்தி எச்சரிக்கை ரோடு இருப்பது.

राजशासन में अश्वमेध यज्ञ दूसरे राजाओं को हराकर अपना अधीन करना कराना।

மன்னர்கள் ஆட்சி யில் மற்ற அரசர்களை தோற்கடித்து தன் அடிமை ஆக்குவது.

धार्मिक क्षेत्र में तपः शक्ति।

அற தர்ம க்ஷேத்திரத்தில் 

சாபம், புண்ணியம்,

தானம் செய்தி. கஞ்சத்தனம்

शाप,पाप,पुण्य, दान, कंजूस का संदेश।

परिवार का संदेश குடும்பத்தின் செய்தி பணமும் அறிவும் உள்ளவன் தான் பலவான்.

धनवान और बुद्धि मान  ही बलवान।

अधिक बल तो षडयंत्र में ।

சூழ்ச்சி மில் தான் வையக பலம்.

மித்திரபலம்.

मित्रबल का संदेश।


जनसंपर्क  साधन का बल ।

மக்கள் தொடர்பு சாதன பலம்.

  जो भी हो संदेश यही है --

எப்படி இருந்தாலும் செய்தி இதுதான்

கடவுள் கொடுப்பதம்  வெற்றியும் தான் 

ईश्वरीय देन और कामयाबी ही

 सफलता की कुंजी है।

வெற்றிக்கு திறவுகோல்.

 सबहिं नचावत राम गोसाईं।

எல்லோரையும் ஆட்டிவைப்பவன் ராமன்.

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

स्वाभिमान

 जो तमिल नाडु साहित्य संगम इकाई के उत्साही सदस्य हो।

मैं जितना हो सके विज्ञापन कर रहा हूँ।

 अब तक के सदस्य 

मैं एस अनंतकृष्णन चेन्नै

जमुना कृष्णराज चेन्नै

 पद्मावती

  आप प्रशासक संचालक सक्रिय साहित्य कारों को चुनकर देना है।

 तटस्थ प्रमाण पत्र।

 हिंदी कवि या लेखक से 

 पैसे माँगना प्रमाण पत्र देना विद्वानों का अपमान है।

जिस देश में  अंग्रेजी आय के समर्थक  करोड़ों खर्च करते हैं,

 केवल हिंदी के खर्च पर सत्तर साल में अंग्रेज़ी की वृद्धि।

यह तो बड़ी बैवकूफी हैं।

केवल हिंदी हिंदी कहना,

जीविकोपार्जन  नहीं तो संस्कृत समान हिंदी।

हिंदी शिक्षक हिंदी आफीसर,

 सत्तर  बहत्तर सालों से लाखों करोड़ रुपये।

प्रबोध प्राज्ञा प्रवीण उत्तीर्ण कितने कर्मचारी केंद्र सरकार के

हिंदी में पत्र व्यवहार कर सकते हैं।

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा बीए स्तर का प्रवीण तेरह साल में नकल करके या प्रश्न पत्र जानकर उत्तीर्ण हो जाते हैं।

परीक्षा थ्री संख्या दिखाने में बड़प्पन नहीं।

आय नहीं,अब अंग्रेजी स्कूल चलाने लगे।

अधिकांश काम अंग्रेज़ी द्वारा।

स्थाई हिंदी प्रचारक नहीं।

जीवन बीमा एजेंट के समान

 हिंदी प्रचारक कमिशन एजेंट।

उनके द्वारा दान!किसके लिए।

सभा इमारत तोरण द्वार अंग्रेज़ी स्कूल की वृद्धि।

 आठ समयावधि कक्ष में केवल एक घंटा हिंदी। बाकी अंग्रेज़ी गूंज। विनोबा जी,गाँधीजी और शहीदों की आत्माएँ रो रही है।

अब तो पैसा प्रधान।

तमिल तमिल मेरी प्यारी,मेरी माँ,मेरी बहन, पर तमिल माध्यम के स्कूल हजारों बंद।

हजारों बंद करने की स्थिति में।

एक गाँव में पाँच अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल। सरकारी तमिल माध्यम स्कूल । बाईस अध्यापक। ७००छात्र। 

निजी स्कूलों में हजारों की संख्या।

भाषा प्रेमी अमीरों से दान वसूल करके साहित्य संगम।

एक पैसा भी मातृभाषा प्रेमी प्रचारक कवि लेखक से वसुली न करना ही भाषा का विकास।

 जब बड़े बड़े लोग अंग्रेजी के पीछे हैं तो बेकार कवि लेखक से पैसा वसूल। ये भी सम्मान के लिए पैसे खर्च करते हैं।

एक किताब प्रकाशित करने पच्चीस हज़ार।एक लाख खर्च सिफारिश सम्मान।

मैं इसके पक्ष में नहीं।

 अपना बहुमूल्य समय खोना,

दिमाग लडाना ,अपने सम्मान केलिए अपने पैसे।

यह मेरे स्वाभिमान के विरुद्ध है।

संदेश

 साहित्य संगम संस्थान उड़िया इकाई।

विषय: संदेश।

विधा  प्रशासक, प्रबंधक संचालक समन्वयक प्रतिभागियों का निर्णय।

२८-२-२०२१.

 संदेश  अपने मन की बातें दूसरों तक पहुँचाना ही संदेश।। संदेश निकट या दूर के लोगों तक पहुंचाने।

 सांकेतिक संदेश। जैसे हाथ हिलाना,आँख मारना, उंगलियाँ हिलाना,मुस्कुराना।

 भीम और दुर्योधन की अंतिम लडाई कुश्ती। अति कौशल योद्धा। हराना मुश्किल।

दुर्योधन के जांघ ही दुर्बल।

कृष्ण ने जांच पर मारने का इशारा अपने जाँघ में मारने का किया। जांघ में शक्ति के नियमानुसार विधि अनुसार मारना नीति के विरुद्ध था।

भगवान की सृष्टियों का संदेश

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

बाघ छिपकर वार करता।

मकड़ी जाल बुनकर।

बड़ी मछली छोटी मछली को निगालकर। जैसा भी हो प्राकृतिक संदेश सतर्क रहना।

राजशासन में अश्वमेध यज्ञ दूसरे राजाओं को हराकर अपना अधीन करना कराना।

धार्मिक क्षेत्र में तपः शक्ति।

शाप,पाप,पुण्य, दान, कंजूस का संदेश।

परिवार का संदेश

धनवान और बुद्धि मान  ही बलवान।

अधिक बल तो षडयंत्र में ।

मित्रबल का संदेश।

जनसंपर्क  साधन का बल ।

  जो भी हो संदेश यही है --

ईश्वरीय देन और कामयाबी ही

 सफलता की कुंजी है।

 सबहिं नचावत राम गोसाईं।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Saturday, February 27, 2021

सच झूठ உண்மை மும் பொய்யும்

दर्पण

 साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई।

नमस्कार। वणक्कम।

२७-२-२०२१.

विषय दर्पण क्या बोलता है।

 विधा --अपनी भाषा शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

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दर्पण बोलता है ,

तुझे बचपन से देख रहा हूँ।

 काले घने बाल,

तेरे बाल सँवारती।

चालिस साल में गंजा शुरू।

 अब बहत्तर साल के बूढ़े,

  मैं देखता हूँ,

 बाल सूक्ष्मदर्शी से  देखने पर भी नहीं सिर पर।

 तेरे मन में अब भी जवानी,

 चेहरे पर मुस्कराहट,पर

 भगवान  एक एक कर 

हर अंग को कांती

 हीन कर रहा है,पर

 मन तुम्हारे हँसी खेल 

 अपने को जवान 

समझ कर रहे हो।

 दिल्लगी के पात्र न बनो।

 है,मेरा गंजापन नहीं देखो।

 नकली बाल 

बीस हजार का लिया है।

 देखो जवानी आ गयी।

काली मूँछ बड़ी अति मोहक।।

दर्पण!न मैं दिल

लगी का पात्र।

यथा राजा तथा प्रजा।

 मेरे नेता को विग देखो।

 विदेशी का चमकीला।

  नकली सूरत नकली वादा,

 मैं पिछलग्गू उनका,

  नकट्टा संप्रदाय सा आज

 विग संप्रदाय। मन की जवानी

 सिर पर भी।

 पैसे का करामत ,

बनाव श्रृंगार की  दूकानें

कदम कदम पर।

मैं नहीं बूढ़ा,मन की जवानी,

 बाल की जवानी,

मूँछ की जवानी।

 अभिनेता सत्तर साल का,

नायिका बीस साल का।

 वहीं अभिनेता नेता।

 दर्पण  चुप चुप चुप


बोला दशरथ चक्रवर्ती नहीं को

सफैद बाल के देखते ही

 पद तजने।

कलियुग में  प्लास्टिक सर्जरी।

दर्पण  मैं खुद ठग जाता हूँ।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक












मेहनत की रोटी

 नमस्ते वणक्कम।

उत्तरांचल उजाला।
विषय :--मेहनत से रोटी मिले दो वक्त की।
विधा :-अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।
२७-२-2021
मेहनत से रोटी मिले दो वक्त।
पढ़ते ही याद आयी कबीर के दोहे।
वह ज़माना चला गया ,साईं इतना दीजिये।
गीता की याद आयी ,निष्काम सेवा ,
वह भी आज शिक्षित समाज मानने तैयार नहीं।
मेहनत से रोटी मिले दो वक्त की।
पर हर मंदिर में अन्नदान ,
हज़ारों नहीं लाखों माँगकर खानेवाले।
मुफ़्त चीज़ के लिए पात्र -कुपात्र विचार किये
मत देनेवाले मतदाता ,दूसरों के शाप लेकर
भ्रष्टाचारी ,रिश्वतखोर से जीनेवाले ,
मेहनती के रक्त चूसनेवाले आँखों के सामने
ईश्वरीय दंड भोगनेवाले धन है ,पर
बेचैनी नींद की गोली ,
मेहनत से दो रोटी मिले ,
वे सोते हैं आराम से फुट पाथ पर ,
भले ही मच्छर काटें या मक्खियाँ भिनभिनाये
मेहनती की निर्मल हँसी कहीं नहीं .
मेहनत से रोटी मिले दो वक्त ,
वही आराम की जिंदगी जान।
स्वरचित स्वचिंतक एस. अनंतकृष्णन ,चेन्नै
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Friday, February 26, 2021

गजल

 नमस्ते वणक्कम

कलमकार कुंभ।

 मैं हूँ  तीर्थाटन में,

 पुण्य जल से 

 मुक्ति चाहनेवाला।

  गंगाजल,कावेरी जल,

 त्रिवेणी गंगा, यमुना, सरस्वती , 

 आँध्रा की गोदावरी,

 तमिलनाडु की वैगै, ताम्रवर्णी,

 कहाँ से आया यह ग़ज़ल।

कल्पना का स्रोत।

वाह!वाह! शाबाश। 

 तालियाँ,

 रुपयों की माला,

रुपए को हवा में 

लापरवाही से फूँकना,

 लक्ष्मी चंचला रहीम ने कहा।

 रुपये नोटों का बौछार।।

 गंगाजल का प्रदूषण।

ग़ज़ल में भूषण,

 पायल में ध्वनि तो

 ग़ज़ल में अमर 

ध्वनियों के शब्द।

नाद में मोहित हिरन,नाग।

ईश्वर के भजन कितना आनंद।

ग़ज़ल का पर्याय कविता।

 संयम के गीत नहीं,

प्यार भरे गीत।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

श्री रीति திருமுறை

 



नमस्ते। वणक्कम।
 सभी हिंदी साहित्य संगम संस्थान को समर्पित।
आपका हिन्दी प्रेमी,
से.अनंतकृष्णन।

 प्राचीन तमिऴ में दिव्य स्तुति के संग्रह को तिरु मुरै कहते हैं। विविध कवियों की प्रार्थना गीत १२५४ शीर्षक में
12,546स्तुतियाँ हैं।
 आज दसवाँ संग्रह  में से श्री गणेश स्तुति का हिंदी अनुवाद मैंने की है।
दसवाँ संग्रह के कवि हैं तिरुमूलर।
 भगवान की कृपा हो तो सब का अनुवाद 
भावानुवाद हिंदी में करूंगा।
 पाठक अनुवाद संबंधी अपने मंतव्य प्रकट करेंगे तो कृतार्थ  ।

तमिल वेद को तिरुमुऱै कहते हैं।
दसवाँ देवस्तुतिमें गणेश स्तुति का भावानुवाद।
स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन, चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

पाँच हस्त के,
शशिकला समान 
सूंड वाले
शिव के पुत्र
ज्ञानेश्वर 
श्री गणेश की
स्तुति 
अंतर मन से करता हूँ।
दसवाँ वेद विघ्नेश्वर स्तुति का  हिंदी अनुवाद।
से.अनंतकृष्णन्
मूल :-

இந்தின் இளம்பிறைபோலும் எயிற்றனை
 நந்தி மகன்தனை
 ஞானக் கொழுந்தினைப்
புந்தியில் வைத்தடி போற்றுகின் றேனே.

जल जल ग़ज़ल

 नमस्ते वणक्कम

कलमकार कुंभ।

 मैं हूँ  तीर्थाटन में,

 पुण्य जल से 

 मुक्ति चाहनेवाला।

  गंगाजल,कावेरी जल,

 त्रिवेणी गंगा, यमुना, सरस्वती , 

 आँध्रा की गोदावरी,

 तमिलनाडु की वैगै, ताम्रवर्णी,

 कहाँ से आया यह ग़ज़ल।

कल्पना का स्रोत।

वाह!वाह! शाबाश। 

 तालियाँ,

 रुपयों की माला,

रुपए को हवा में 

लापरवाही से फूँकना,

 लक्ष्मी चंचला रहीम ने कहा।

 रुपये नोटों का बौछार।।

 गंगाजल का प्रदूषण।

ग़ज़ल में भूषण,

 पायल में ध्वनि तो

 ग़ज़ल में अमर 

ध्वनियों के शब्द।

नाद में मोहित हिरन,नाग।

ईश्वर के भजन कितना आनंद।

ग़ज़ल का पर्याय कविता।

 संयम के गीत नहीं,

प्यार भरे गीत।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक



Wednesday, February 24, 2021

पहचान

 पहचान

नमस्ते वणक्कम।

कलम बोलती है।

मंच को प्रणाम।

 पहचान।

 पहचान पत्र के बिना 

परीक्षा हाल में 

प्रवेश नहीं कर सकते।

पास पोर्ट पहचान के बगैर

परदेश नहीं जा सकते।

आधार कार्ड के विरोधी

 कैसे पहचान न सके

लाखों बंगला देशी शरणार्थी 

कैसे पाएं आधार कार्ड।।

अवैध लोगों के समर्थन कैसे

करते खान गांधी कांग्रेस।

 बिना पहचाने कैसे दिए बैंक लोन।

मुझे दो हजार लोन,

सरकारी कर्मचारी पहचान।

फिर भी न दिया लोन।

 रिश्वत भ्रष्टाचारी का पहचान।

मतदाता परिचित  भीअपरिचित  हो तो

 देश की एकता पहचान न जान।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक







 


 


Tuesday, February 23, 2021

मन विश्वास जीवन सफलता

 नमस्ते वणक्कम।

शब्दाक्षर साहित्यिक संस्था

 कार्यशाला१४६.

२२-२-२०२१

विधा --अपनी शैली अपनी भाषा अपनी भावाभिव्यक्ति

विषय 

मन विश्वास जीवन सफलता।

  विधा : अपनी शैली 

अपनी भाषा ,अपनी भावाभिव्यक्ति।

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मन शंकालू चंचल,

नाना विचारों की तरंगें।।

 चंचल शंकालू जी में,

विश्वास कैसे?

 नाउम्मीदी जीवन में 

 जीवन का उम्मीद कैसे?

 है जीने का विश्वास?

तो सफलता में संदेह कैसे?

 सत्य बोलूँ तो जीना कैसे?

झूठ बोलूँ तो पाप का दंड।

 दिल की चोरी 

अक्सर मन चंचल।।

कहूँ न कहूँ सफलता कैसे?

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै

बटन

 नमस्कार। वणक्कम।

कलमकार कुंभ।

विषय बटन

विधा अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

२३-२-२०२१


  बटन  से पता चलता 

अमीरी गरीबी। 

ज्ञानी 

अज्ञानी

 संगणिक का।

अक्षर बटन

 आश्चर्यजनक मुद्रण।

बटन मारो

 कविता लिखो।

नकल करो 

हज़ारों लाखों के 

हाथ में मेरी, आपकी

 कविताएँ।

अगजग में पहुँचने में 

न देरी।

भय नहीं,

डाकिया कहीं

छोड न जाय।

कीमती बटन आजकल 

अमीरों के आभरण।

टट्टी भी सोने का 

हीरे जड़ित।

तब कीमती बटन

 हाथी दाँत के हीरे जड़ित।

प्लाटिनम् हीरे जड़ित।

स्वर्ण बटन हीरे-जवाहरात जड़ित।

ऊँट  की हड्डियों का,

सींगों का।

ऊन का।

 प्रेमी कोट पहनने के बाद

 बटन सीना, 

प्रेमी को सीने से

 लगाना।

एक दृश्य  अति सुन्दर।

बटन दबाने द्वि चक्र स्टार्ट।

बटन महँगा अमीरों का।

सूत में बने बटन।

प्लास्टिक बटन,

तितली सा,भ्रमर सा, भ्रमरीसा

भ्रम में डालता जान।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Monday, February 22, 2021

सम्मिलित परिवार

 नमस्ते वणक्कम। साहित्य संगम संस्थान राजस्थान इकाई।

शीर्षक। सिमटते परिवार।

२२-२-२१

विधा --अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

 सिमटने परिवार 

कोई चटाई नहीं ।

वैज्ञानिक आविष्कार,

वैज्ञानिक सुविधाएँ,

भिन्न भिन्न रुचियाँ।

 मन की सहनशक्ति 

मिटा देती।

हमारे परिवार ,

पहली बार रेडियो।

पिताजी खबर तो दादी जी एफ यम।

दादा ने दादी के लिए

 अलग रेडियो। 

फिर टेप रिकार्डर,

डीवीडी प्लेयर,

टीवि

मोबाइल।

 पंखा,

वातानुकूल कमरा।

एक एक श्री चीज।

तब आमदनी की बात।

अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल।

आय के अनुकूल ।

मातृभाषा स्कूल ।

बच्चों में मानसिक तनाव।

 हमारे जमाने में इतने वैज्ञानिक साधन नहीं।

साधना के अनुसार भेद।

इन्फीरियर सुपीरियर कांप्लेक्स बच्चों में।

आमदनी की बात।

कम ज्यादा।

भिन्न रुचि,बाह्याड़बर।

बात बात में तनाव।

 सिमटते परिवार के मूल में

पाश्चात्य शिक्षा,आय, आधुनिकता,महँगाई, तनाव।

सिमटते परिवार।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी

Sunday, February 21, 2021

இயற்கை இன்பம் प्राकृतिक सुख

 இன்றைய   आज 

இறைவன்  भगवान  के

அளித்த சிந்தனைகள்.  लिए हुए चिंतन।

மனிதன் உயர்வகை பிராணி.  मनुष्य उच्च वर्ग के पशु।

நல்லது கெட்டது அறிவான். भला बुरा जानता है।

மீன் போன்று நீந்த முடியும். मछली सा तैर सकता है।

பறவை போன்று பறக்கமுடியும். पक्षी सा उड सकता है।

சொத்துக்கள் சேர்க்கமுடியும் संपत्ति जोड सकता है।

அணைகட்ட முடியும் बाँध बना सकता है।

புதிய புதிய அறிவியல்  नये नये वैज्ञानिक

கண்டு பிடிப்புகள்। आविष्कार।

 நோய் அறி சாதனங்கள், रोग निदान साधन।

 வசதிகள். सुविधाएँ

அனைத்து வசதிகள்  सभी प्रकार की सुविधाएँ।

தானியங்கி சாதனங்கள். स्वचालित यंत्र ।

அறிவு ஞானம் மெய்ஞானம்  बुद्धि ज्ञान तत्वज्ञान।

ஆனால் வசதிகள் लेकिन सुविधाएँ

 அனுபவிக்க   भोगने

அறிவு மட்டுமே போதுமா? सिर्फ बुद्धि पर्याप्त है।

பணம். धन।

சரி . ठीक।

பணம் உள்ளவர்கள் धनी 

 அனைவரும் सब धनी

அனைத்தையும் सर्वसृव

 அனுபவித்து भोगकर 

ஆனந்தம்   आनंद 

அடைய पा 

முடியுமா? सकते हे?

பணம் படைத்தவர்கள் அனைவரும்  धनी सब के सब

  மகிழ்ச்சி யாக மனநிறைவாக  खुशी से  संतोष से

உண்டு உறங்குகிறார்களா? का पीकर  सोते हैं?

சிந்தியுங்கள்.  सोचिए।

பாடுபட்டு பல பங்களாக்கள். परिश्रम से कई बंगला

பல கோடி சொத்து குவிப்பு. कई करोड़ संपत्तियों का ढेर।

நாம் இருப்பது ஒரு வீடு. हमारा एक घर।

ஆண்டவன் நிர்ணயப் படி  भगवान के नियमानुसार

அந்த பங்களாக்கள் वे बंगला

காவல் ,காப்பவன் पहरेदार की देखरेख में।

பராமரிப்பில்.

உற்றார் உறவினர்  नाते रिश्ते या 

அல்லது குடியிருப்

போர்  பராமரிப்பில். वहाँ के किरायेदार की  देखरेख में।

குடியிருப்

போரை  காலி பண்ண வழக்கு. किरायेदारों को खाली करने मुकद्दमा।

நிம்மதியின்மை.   बेचैनी।

ஆண்டவனுக்கு காணிக்கை தானம். भगवान को भेंट दान।

ஆள்பவனுக்கு வரி. शासकों को कर।

 தானமளித்த ஆண்டவன் சொத்தை भगवान को दान दिए संपत्ति 

 அனுபவிக்க। भोगने

கொள்ளை அடிக்க लूटने

ஆக்கிரமிக்க ஒருவன்.  हड़पने एक।

வயதாகிவிடுகிறது. बुढ़ापा आ जाता है।

பலருக்கு அந்த முதுமையில் कइयों को  उस बुढ़ापे में

எங்கெங்கு  कहाँ कहाँ 

சொத்து க்கள் सपत्तियाँ है

 இருக்கின்றன 

 நினைவில்லா நிலை.  याद रहने की स्थिति में नहीं ।

உண்ணாமல் உறங்காமல் बिना खाए बिना सोए

சம்பாதித்த।  कमाए

 பணம்.   धन।

லஞ்சப் பணம். रिश्वत के धन।

கடமையாற்றாமல்  बिना कर्तव्य निभाए

சொத்து க்குவிப்பு. संपत्ति बटोरना।

பலரின் சாபங்கள். अनेकों का  शाप।

வாரிசில் லா சொத்து. लावारिस संपतृतियाँ।

ஒரு பணக்காரன். एक। अमीर।

அவன் சொத்து க்கு ஒரேவாரிசு. संपत्तियों का इकलौता वारिस।

அவன் மன நிலை சரியில்லை. उसका दिमाग ठीक नहीं।

 பணம் பணம் பணம். धन। धन। धन।

நிம்மதி.  संतोष।

இதை சிந்திக்க வேண்டும். यह सोचना चाहिए।

அளவுக்கு மீறினால்  परिमाण से अधिक होने पर,

அமிர்தம் மட்டும் அல்ல केवल अमृत ही नहीं

ஆஸ்தியும் நஞ்சே. संपत्तियाँ भी विष हो जाता है।


 அனைவரையும் ஆட்டி வைப்பவன் सबहिं नचावत राम गोसाईं।

ஆண்டவனே.

இறைவனே. भगवान ही।

இயற்கையே. प्रकृति ही

இறையின்பம் ईश्वरीय सुख।

சத்தியம் நேர்மை सत्य ईमानदारी

நடுநிலைமை तटस्तथा

தானதர்மம். दान धर्म 

வாக்கு தவறாமை. वचन का पालन।

இறை யின்பங்கள். ईश्वरीय  सुख।

இயற்கை இன்பங்கள். प्राकृतिक सुख।

 அறிவு ள்ள बुद्धिमान 

ஆறு। छै 

 அறிவு ள்ள बुद्धिमान

மனிதன் मनुष्य  जब तक इन्हें न सोचता तब तक दुख ही दुख।

சிந்திக்

காதவரை

 இன்னலே.

இன்ப மில்லை.

சே.அனந்தகிருஷ்ணன்। से.अनंतकृष्णन। चेन्नै के मन में

மனதில் இறைவன் அளித்த சிந்தனை.ईशवर के दिए हुए चिंतन।


Saturday, February 20, 2021

मातृभाषा दिवस

 வணக்கம். नमस्ते। वणक्कम।

मेरी मातृभाषा तेलुगु है। पर हमारे पूर्वज हजारों वर्ष के पहले

तमिलनाडु में बस गए।

 अब हमारी मातृभाषा तमिऴ हो गयी। हम घर में तेलुगु बोलते हैं।

पता नहीं,हम कैसे तेलुगु बोलते हैं।पर तेलुगु भाषी हमारी तमिल मिश्रित तेलुगु

समझ नहीं पाएँगे।

 सचमुच तमिल मधुर भाषा है।। इसमेें अधिकांश नैतिक ग्रंथ जैन मुनियों की देन है।

तिरुक्कुरल ,

नालडियार,

नीतिनेरि विळक्कम ,

तिरिकटुकम् आदि 

जैन ग्रंथ है।

तमिल के प्रसिद्ध पाँच महा काव्यों में  जीवक चिंता मणि जैन काव्य है।  आश्चर्य का विषय है कि  तमिल महाकाव्य  के नाम सब संस्कृत के हैं।

१.शिलप्पधिकारम,

२.मणिमेखलै

३.कुंडलकेशी

४.जीवक चिंता मणि।

५.वळैयापति।

कंबरामायण तमिल संस्कृति के अनुकूल लिखा गया है।

 यह तमिल साहित्य का१%परिचय है।











 



शहनाई

 नमस्ते वणक्कम।

शहनाई मंगल वाद्य।

वह शाह से है तो

शहनाई का शाह 

बिस्मिल्लाह खान।।

वह वाद्य यंत्र हिंदी साहित्य के

भक्तिकाल से अति प्रचलित।।

अति आनंदप्रद वाद्य।

हमारे तमिलनाडु में नादस्वरम्।

मंगल के दिन अमंगल स्वर 

अमंगल वार्तालाप

कानों पर सुनाई न पड़े,

जोर से। मंगल वाद्य।

पूर्वजों का सूझबूझ अनुकरणीय।

शहनाई  के मंगल स्वर में

 सहभागी और सहभोजी बनेंगे।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Friday, February 19, 2021

Nirmal

 नमस्ते  वणक्कम 

कलंकारकुम्भ 

निर्मल 

विधा--भावाभिव्यक्ति ,   अपनी शैली 


निर्मल केवल मनुष्य के  लिए। 

मानवता  न  तो   मन निर्मल  कैसे?

सुअर  को मल प्रिय,

कीचड प्रिय भैंस।

कुतिया के पीछे सात कुत्ते,

 छात्रा के पीछे सात छात्र।

कहते हैं छात्रावस्था जवानी,

ऐसे न करेंगे  तो कब?

मल मन ,मल प्रचार,

हमारे पूर्वजों की संयम सीख,

जितेन्द्रियता कहाँ गई?

अनुशासन संयम रहित,

शिक्षा मल।

पूर्ण ज्ञान बिना प्रमाण पत्र।

डाक्टरी और अध्यापक।

मानसिक निर्मलता बगैर

सामाजिक निर्मलता कैसे?

 भ्रष्टाचारी शासन,

रिश्वतखोर प्रशासन,

 निर्मल समाज कैसे?

 निर्मलता तथा राजा,

तथा प्रजा,

वहीं मर तो निर्मल कैसे?

हर एक नेता के मंदिर हो तो

भले ही वह नास्तिक हो तो

पवित्र भक्ति एकता कैसे?

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन,चेन्नै।
















कष्ट क्यों

 बाह्याडंबर से मध्यवर्ग

उठाते है कष्ट
चित्रपट गया, सौ रुपये में
गन्ना रस, दस रुपये के छोटा सा टुकडा,
बाहर पच्चीस, वहाँ अंदर सौ.
पुलिस, अधिकारी अन्य विभागियें को
वी ऐ पी पास,
बाह्याडंबर की बातें
मुझे विवश होकर नाते रिश्तों के संतोष
के लिए जाना पडा.
वाहन खडा करने एक घंटे के तीस रुपये.
तीन घंटे बहार निकले चालीस मिनट.
चार घंटे के लिए 120.
हीरो बदमाश कई बलात्कार, हत्या के बाद
हीरोइन से मिलना, सुधरना, .
पुलिस अन्यायी, वकील न्यायाधीश अन्यायी
मंत्री राजनीतिज्ञ अन्यायी,
हीरो के हाथ में न्याय की रक्षा.
न सरकार, न पुलिस, आहा! भारत की रक्षा.

Thursday, February 18, 2021

हवा

 नमस्ते वणक्कम।

कलम बोलती है।

विषय  हवा। वायु।

विधा --अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

 १८-२-२०२१.

 वायु भगवान 

पवन दूत 

पंच तत्वों में प्रधान तत्व।

पानी बिन जीना संभव।

जठराग्नि सह सकते हैं।

 अनशन रख सत्याग्रह  कर सकते हैं।

साँस रहित  ,साँस रोक

 जीना असंभव।

प्राणायाम , कपालभाति।

स्वास्थ्यवर्धक अभ्यास जान।

दावानल , आँधी तूफान 

खतरे का मूल   

वायुभगवान का क्रोध।।

चिंगारी का भटक अति भयंकर।

पवन दूत बगैर राम को 

सीता का पता नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

भगवान

 भगवान है कि नहीं,

हैं तो अन्याय क्यों?

अधर्म विचार क्यों?

 आचार विचार में

 भेद क्यों ?

 मजहबी कट्टरता क्यों?

  क्यों? क्यों? क्यों?

असुरों को वर पद क्यों?

अधर्मियों को सुखी जीवन कैसे?

भक्तों की ग़रीबी क्यों?

बाघ अहिंसा 

नहीं मान सकता।

गाय माँसाहारी नहीं बन सकता।

अंग जग में हिंसा अहिंसा क्यों?

 ईश्वर की सृष्टियों की सूक्ष्मता का ज्ञान समझ में आता नहीं क्यों?

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

वायु

 नमस्ते वणक्कम।

कलम बोलती है।

विषय  हवा। वायु।

विधा --अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

 १८-२-२०२१.

 वायु भगवान 

पवन दूत 

पंच तत्वों में प्रधान तत्व।

पानी बिन जीना संभव।

जठराग्नि सह सकते हैं।

 अनशन रख सत्याग्रह  कर सकते हैं।

साँस रहित  ,साँस रोक

 जीना असंभव।

प्राणायाम , कपालभाति।

स्वास्थ्यवर्धक अभ्यास जान।

दावानल , आँधी तूफान 

खतरे का मूल   

वायुभगवान का क्रोध।।

चिंगारी का भटक अति भयंकर।

पवन दूत बगैर राम को 

सीता का पता नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Wednesday, February 17, 2021

कसक।

 नमस्ते वणक्कम।

कलमकार कुंभ।

विषय कसक।

विधा --अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति 

कसक  

 मानव के जीवन में,

 कसक न तो कैसे?

 इतिहासों में पुराणों में,

राम का कसक,

सीता का कसक,

द्रोपदी , पांडव कसक।

नल दमयंती का कसक।

 शकुंतला का कसक,

विदेशी शासन का कसक।

विदेशी फेशन का कसक।

अंग्रेज़ी भाषा का कसक।

कसक रहित जीवन कैसे।

चित्र पट देखते-देखते  रोने वालों का कसक।

रोग दुर्घटना का कसक।

 बचपन में एक प्रकार का,

जवानी में,नौकरी क्षेत्र में

व्यापार में बुढ़ापे में

 कसक रहित कोई नहीं जान।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक अनुवादक।

नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई।

विषय  पर्यावरण कितना जरूरी।

विधा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

१७-२-२०२१

  पर्यावरण पर्याप्त शुद्धता के बगैर स्वास्थ्य की रक्षा असंभव।

धनी हूँ , बलवान हूँ,ज्ञानी हूँ,

जो भी हूँ,  घर को बदबू रखकर  पानी ठहराकर

मक्खी मच्छर पाल नहीं सकता।

पर्यावरण की शुद्धता की खतरनाक सावधान की 

सृष्टियाँ  ईश्वर की।

पेड़ पौधों की देखरेख न करेंगे

तो कीड़े पड़ जाते हैं।

रोज झाड़ू न लगाने पर धूलधूसरित हो जाता है।

दो दिन कमरे को बंद रखने पर

 मकड़ी के जाल बन जाते हैं।

हर बात में सफाई की जरूरत है। आजादी के सत्तर साल के बाद भी हम देखते हैं कि 

 घर के कूड़े कचरे को 

गली के कूड़ेदान के बाहर 

फेंकते हैं। पढ़ें लिखे लोग भी सड़कों पर थूकते हैं।

 प्रधानमंत्री  स्वच्छ भारत का आह्वान करते हैं।

विपक्षी दल  तमिलनाडु की सड़कों पर के कूडों का चित्र खींचकर  संपर्क साधनों में सवाल उठाते हैं कि मोदी के शासन में गली पर कूड़े-कचरे।

हरे भाई!

 तुम्हारी जिम्मेदारी है कि नहीं।  

 सड़क को खुली जगहों को

टट्टी मत बनाओ के प्रचार-प्रसार दल की क्या जरूरत।

पहले  विचार प्रदूषण को रोकना है।

अब युवकों में एक नया संक्रामक रोग फैल रहा है।

आम जगह पर आलिंगन चुम्बन।  मनुष्य तो पशु नहीं।

 संयम से रहना है। संयम सीखना है। बलात्कार की खबरें रोज देखते हैं।

कारण आजकल के चित्र पट।

तुरंत कहेंगे मंदिरों की शिल्पकला। गोपुरम दर्शन कोटि पुण्य। दर्शन के बाद संयम की सीख, पूजा अर्चना पाप पुण्य कितनी बातें।

भगवान की सृष्टि में 

प्रकृति उत्तेजना वंशवृद्धि के लिए देश हैं। पर मनुष्यों को काबू में रहने रखने जितेन्द्रियता ब्रह्मचर्य का महत्व । आजकल कृत्रिम गर्भाधान केंद्र की संख्या बढ़ रही हैं। आयुर्वेद में  शुक्ल बंधन की सीख। हर बात भारतीय शास्त्रों में विस्तार से।

पर अंग्रेजी ठंड प्रदेश के व्यवहारों का पालन करते हैं।

तमिलनाडु के एक सिद्ध पुरुष

 शुक्लपतन से मानव दुखी बनेगा। पर अंग्रेज़ी  वैद्य इसका उल्टा प्रचार।

परिणाम अवैध संबंध, तलाक,आत्म हत्या।

अतः पहले विचार प्रदूषण पर ध्यान देना पड़ेगा।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै।

Tuesday, February 16, 2021

कुम्हार குயவன்

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई, तमिलनाडु

 शीर्षक  कुम्हार

2-1-2021 

विधा अपनी भाषा अपनी शैली

चित्र पर आधारित।

माह जनवरी

पहला सप्ताह।

  हम रंग नींव  के  संयोजक, समन्वयक,सदस्य,पाठक, प्रशासक,

सब को वणक्कम। नमस्कार।।


  भगवान की  सृष्टि में, 

  मानव ही कलाकार।।

   वो धरती कितना देती है,

   अनाज,सोना,चांदी,हीरा,

   वही धरती की मिट्टी,

    कुम्हार के जीविकोपार्जन के लिए,

     मिट्टी के बर्तन, खिलौने,घड़ा वाद्य

     आधुनिकता के कारण 

       कुटिर उद्योग में जरा पतन।।

        पाठकों से निवेदन है,

        कम से कम एक 

        मिट्टी के बर्तन लेना।

       चक्र का पता चला,

        चीन से यह  चक्र कला  

         भारत आती।

        लाल मिट्टी,काली मिट्टी के बर्तन।।

         कलाकार अति ध्यान से बर्तन

        कच्ची मिट्टी से, फिर सुखाना।।

        मिट्टी के बर्तन का खाना,

       आजकल पाँच नक्षत्र  होटल में

       विशेष विज्ञापन के साथ प्रसिद्ध है।

      मिट्टी के बर्तन की रसोई ,

     स्वास्थ्य प्रद, आयु वृद्धि।

     मिट्टी के घड़े का पानी में

     प्राकृतिक धातु शक्ति।।

   और अनेक लाभ।।

  मिट्टी  वातानुकूलित बर्तन  

  तरकारियाँ ताजा रखते।

 स्वास्थ्य लाभ ही नहीं 

 भारतीय हस्त कला की सुरक्षा।

  कुम्हार का प्रोत्साहन।।

  अनेक भारतीय खोज में

   मिट्टी के बर्तन ही प्रमाण।

  बड़े बड़े बर्तन में,

  शव रख भूमि में गाढ़कर  रखते।

 मिट्टी की ईंटें भी 

आदी काल से आजतक।।

श्मशान में अंतिम क्रिया के समय

 चिता में शव रख,

 शव के बेटे या आग लगाने वाले,

 घड़े कंधे पर रख प्रदक्षिणा,

 प्रदक्षिणा के समय घड़े में 

  छेद कर  पानी निकालते

    अंत में  घडा फेंकते।

 शादी में कच्चे घड़े में 

 चूना लगा कर,

नागवल्ली घड़ा अति पवित्र।।

 मंगल अमंगल संस्कार में

 जिंदा है यह कला।।

कुम्हार की जय हो।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु


सागर

 सागर 

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई।

१६-२-२०२१

विधा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति

सागर से  घेरा  संसार,

 लहरों सा विचार तरंगें।

मानव संसार अति विचित्र।।

संसार सागर की नाव डॉवा डोल।।

भव सागर से ज्यादा जीव सागर यह में।।

 लाखों करोड़ मछुआरे के जीवनाधार।

चमकीले  मोती, रंग-बिरंगे चीपी ।

 छोटे आकार से बड़े आकार के शंख।

सागर तट की हवा स्वर्गीय सुख।

प्रेमियों के मिलन संजीव चित्रपट।

सागर नहीं तो भाप नहीं।

भाप न तो काले बादल,

मेघ गर्जन,बिजली की चमक,

रिमझिम बारिश सदा बहार कैसे?

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Monday, February 15, 2021

स्वर्ग नरक

 वणक्कम। नमस्कार।

भगवान से सृष्टित संसार। 

भगवान की प्रार्थना अनिवार्य। 

हमारे  ऋषि मुनियों को ,पैगम्बरों को 

अगजग  की एकता के लिए   के

शान्ति  के लिए ,

भाईचारा बढ़ने -बढ़ाने के लिए 

प्रेम  से रहने के लिए ,

 दान धर्म, सहानुभूति, परोपकार,फँ

निस्वार्थ समाज कल्याण, विभाग

संक्षेप में इन्सानियत,संयम, 

भगवान के प्रति भक्ति भाव।

जितेन्द्रियता, ईमानदारी,

वचन का पालन,सत्यव्रत।

    सोचिए,मनुष्य सद्य:फल के लिए मनुष्यता

छोड़ देता तो वह मृगतुल्य।

लौकिक मृगतृष्णा की मिथ्या दौड़।

माया/शैतान/सामान के चंगुल में 

फँस जाता है।

भगवान को मालूम है,

मनुष्य  जानवर है।

हम ज्ञान देते हैं, 

मनुष्यता अपनाने वालों को सुखी रखेंगे।

बाकी को बदनाम  देंगे।

सबको मृत्यु  दंड  निश्चित।

ऐसा कानून ईश्वर का हर पापी को दंड/सजा।

 अतः  हर किसी को संसार में 

कोई न कोई कष्ट  विविध प्रकार के

भोगता है। गहराई से विचार करेंगे तो

समझेंगे कि यह  भूमि ही स्वर्ग नरक।

यह धरती ही जन्नत जहन्नुम।

 असाध्य रोग,साध्य रोग,   दरिद्रता,

लाभ नष्ट,कीर्ति अपकीर्ति, ज्ञानी अज्ञानी।

अंग हीनता,पदोन्नति पदोअवनति 

अल्पायु पूर्णायु, आत्महत्या,हत्या 

काम क्रोध मद लोभ में सद्गुण भी ईश्वरीय देन है

 अतः देवेन मनीष्यरूपेन।

अन्यायी न्यायी, दोनों ही सुख दुख भोगते हैं।

 दोनों को दंड  पुरस्कार देते हैं।

अंतिम सजा मृत्यु स्वर्ग नरक भोगने के बाद।

 संसार में रहकर सौ प्रतिशत तटस्थ रहना असंभव।

अतः सिद्ध पुरुष जंगलों में पहाड़ों में दुर्गम

स्थानों में  बस जाते हैं।

 कोई सज्जनों को अपनी दिव्य  शक्ति द्वारा

मिलवाकर दिव्य संदेश देते हैं।

वह दिव्य पुरुष की नसीहतें सुनकर 

समाज में पाप पुण्य के डाँवाडोल में

मनुष्य सुख दुख भोगते हैं।

इन दिव्य पुरुषों में   समाजिक संक्रामक रोग

माया पकड़ लेती है।

पर जल्दी ही उसका भंडा फोड़ जाता है।

वह अपमानित होकर छिप जाता है या जेल का दंड भोगता है।

भगवान सृष्टियां समाज। पाप पुण्य का भंडार घर।

जैसा लेते हैं वैसा ही स्वर्ग नरक  भेज गया है मनुष्य


स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

हम सफर

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई।

१५-२-२०२१

हम सफर

अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

संसार में   हम नंगा आते हैं,

कफ़न ओढ़कर अकेले जाते हैं।

 हम सफर कैसे?

 बाईस साल तक 

लड़कियों के लिए मायके

फिर  ससुराल ।

 सरकारी नौकरी हो तो तबादला।

हमारे विचार  , हमारी परछाई

हम सफर;  

हमारी शिक्षा दीक्षा हम सफर।

रक्त संचार हम सफर।

साँस लेना हम सफर।

साँस बंद सफर बंद।

बहुत्तर साल की उम्र में

 मेरे  निकट दोस्त छे स्वर्ग सिधारे।


स्वरचित स्वचिंतक

एस अनंतकृष्णन चेन्नै।

चित्र लेखन

 नमस्ते। वणक्कम।

कार्यशाला संख्या 140.

विषय। चित्र लेखन।

   भगवान राम जो भी हो,

भूमि पर अवतार लेना,

 संसार सागर पार करना

 जन्म से मरण तक हमारे वश में,

हमारी चतुराई में 

अपने कौशल में है ही नहीं।

एक केवट की जरूरत है। इस

एक हनुमान,एक गिलहरी ।

तिनका भी हमें  उपयोगी है।

ऊँच नीच का भेद मिटा ना 

भगवान राम का उद्देश्य।

  स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै

उदासी

 उदासी   

प्रह्लाद  के प्रति  हिरण्यकशिपु 

अत्यंत  उदासी,

अहंकारी अपने नाम  न बताने से

 अपने बेटे को ही हत्या करने की कोशिशें।

प्रह्लाद  तो असीम आनन्द में।

अहंकारी राजा उदासी,

अनासक्त  ईश्वर भक्त  प्रह्लाद।

अनंत आनंद में, आह्लादित।

हृदय जलन में अहंकारी हिरण्यकशिपु।।

प्रह्लाद जी के दोहे से  चुना शब्द उदासी।

ईश्वर के अनन्य भक्त कभी न होते उदासी।।

भक्त बनो, भवसागर पार करो।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।।

मनपसंद

 नमस्ते। वणक्कम।

विषय_-मन पसंद।

विधा--भावाभिव्यक्ति अपनी शैली।


मन पसंद  बातें,

मान मर्यादा प्रद होनी चाहिए।

मनमानी न होनी चाहिए।

 मन माननी चाहिए।

 सर्व मान्य बात समाज में।

मन व्यक्तिगत और समाज गत।

परिस्थितियों के अनुकूल।

बात दबानी चाहिए।

बात बतानी चाहिए।

मनपसंद चाहें  पूरी होने,

भगवान का अनुग्रह चाहिए।

मन पसंद सब के सब मिलने पर,

भगवान   को मानता कौन?

अन्याय से डरता कौन?

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

विद्यादायिनी

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै। सरस्वती देवी से प्रार्थना ।

वणक्कम नमस्कार।

विषय :-विद्यादायिनी।

१५-२-२०२१.

 ज्ञानी भिन्न भिन्न ।

 बुद्धि प्रतिभाशाली, 

औसत मंद बुद्धि।।

विद्यालक्ष्मी का अनुग्रह।

वीणा पानी वर दे।

सद्बुद्धि दें।

सकल ज्ञान दें।

सरस्वती देवी वर दें।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै।

मनपसंद

 नमस्ते। वणक्कम।

विषय_-मन पसंद।

विधा--भावाभिव्यक्ति अपनी शैली।


मन पसंद  बातें,

मान मर्यादा प्रद होनी चाहिए।

मनमानी न होनी चाहिए।

 मन माननी चाहिए।

 सर्व मान्य बात समाज में।

मन व्यक्तिगत और समाज गत।

परिस्थितियों के अनुकूल।

बात दबानी चाहिए।

बात बतानी चाहिए।

मनपसंद चाहें  पूरी होने,

भगवान का अनुग्रह चाहिए।

मन पसंद सब के सब मिलने पर,

भगवान   को मानता कौन?

अन्याय से डरता कौन?

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


















Sunday, February 14, 2021

इश्क --காதல்


इश्क प्रेम प्यार मुहब्बत
१४-२-२०२१

सोचा बार बार प्रेम /इश्क शीर्षक।

संसार इसकी कठपुतलियाँ।

केवल लड़के -लड़की के प्रेम से
चलता नहीं संसार।
देश प्रेम देश के लिए
तन मन धन नाते रिश्ते
तज जीनेवाले जवान सैनिक।
जग शान्ति के लिए सर्वस्व ताज
सन्यासी ,आचार्य ,गुरु बने
आध्यात्मिक प्रेमी।
देश के कल्याण केलिए
वैज्ञानिक प्रेमी आविष्कारक।
यथार्थ -आदर्श सत्य -असत्य धर्म अधर्म के
चित्रण कर समाज को जगाने वाले साहित्य प्रेमी।
साहित्यकारों की रचनाओं को
जगतविख्यात करने वाले कला प्रेमी ,
संगीत प्रेमी कितने प्रकार के प्रेमी है
जगत को स्वर्ग बनानेवाले वास्तुकार ,शिल्पकार अभियंता
सब को अपने अपने विषय पर अति प्रेम श्रद्धा न तो
जग क्या होगा सोचो ,समझो।
इश्क कहते ही तन मन का नाहीं
प्रेम निस्वार्थ न हो तो
हमें रामायण नहीं ,महाभारत नहीं कुरआन नहीं बाइबिल नहीं।
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास यहि काल
अली कली में ही बिन्ध्यो आगे कौन हवाल।
स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै
*******************************************
(
न हीं इस काल में फूल में पराग है, न तो मीठी मधु ही है। अगर अभी से भौंरा फूल की कली में ही खोया रहेगा तो आगे न जाने क्या होगा। दूसरे शब्दों में, 'हे राजन अभी तो रानी नई-नई हैं, अभी तो उनकी युवावस्था आनी बाकी है। अगर आप अभी से ही रानी में खोए रहेंगे, तो आगे क्या हाल होगा।)

तन्हाई தனிமை

प्रणेता  साहित्यिक पटल।
नमस्ते वणक्कम।
14-2-2021.
शीर्षक। तन्हाई। தலைப்பு தனிமை
विधा--अपनी शैली भावभिव्यक्ति।
तन +हाई -- உடல் +உயர்வு
शरीर+ ऊँचा।
एकांत  में  शरीर தனிமையில் உடல்
आत्मज्ञान पाता है। ஆன்ம ஞானம் பெறுகிறது.
आत्म ज्ञान से       ஆன்ம ஞானத்தால்
ब्रह्मज्ञान पाता है।   பிரம்ம ஞானம்.
 अहंब्राह्मास्मि  बनने.    நானே கடவுள் ஆக
तन हाई बनने की जरूरत है। உடல் உயர்வு அடைவது அவசியம்.
 आकार में नहीं, வடிவமைத்த

हनुमान जैसे  ஹனுமான் போன்று

छाती फाड़ने पर भगवान के  நெஞ்சை பிளந்தால்
கடவுளின் தரிசனம் வேண்டும்

 दर्शन   होने चाहिए।

राजकुमार सिद्धार्थ   அரசகுமாரன் சித்தார்த்தர்

राजमहल तज,.   அரண் மனை துறந்து

 एकांत तपस्या में लगे, தனிமையான தளத்தில்

बुद्ध बने, एशिया के ज्योति बने।புத்தர் ஆனார்.ஆசிய ஜோதி ஆனார்.

डाकू रत्नाकर  लौकिकता तज।     கொள்ளையன்   ரத்நாகர் 

एकांत तपस्या आदी कवि बने।  தனிமையில் தவம் ஆதிகவி ஆனார்.

रत्नावली की आँखें लाल लाल।   ரத்தினாவளியின்   சிவந்த   கண்கள் 

 कामान्ध तुलसी बने रामानंद।  காமாந்தகன்    துளசி  ராமானந்தர் ஆனார்.

 हमारे पूर्वजों ने जितेन्द्र         நம்முன்னோர்கள்  ஐம்புலன்கள் வெல்லும் 

बनने की सीख दी।        உபதேசம்  அளித்தனர் .

पाश्चात्य चित्रपट भोगैश्वर्य ।   மேற்கத்திய திரைப்படங்கள் ஐஸ்வர்யம் அனுபவிக்க .

 भारतीय पूर्वज तन +हाई      இந்திய  முன்னோர்கள் உடல் +உயர்ந்தவர்கள் 

मन ऊँचा, एकांत मिलन।    உயர்ந்த  மனம் ,தனியான சந்திப்பு 
   
हर साल बच्चा।            ஒவ்வொரு  ஆண்டும்  குழந்தைகள் 

आजकल बहिरंग  चुंबन,    இந்நாட்களில்  வெளிப்படையான முத்தங்கள் .

कमरे में  वातानुकूल,
पर कृत्रिम   குளிர்சாதன  அறை 

गर्भ धारण केंद्र
    ஆனால் கருத்தரிப்பு  மையங்கள் அதிகம் .


तन +हाई नहीं,     உடல் +உயர்வல்ல 


मेरे दादा दादी मिलन देखा नहीं।  என் தாத்தா  பாட்டி  சந்திப்பை பார்த்ததில்லை 

आज बहिरंग सूक्स एजुकेशन          இன்று வெளிப்படையான  பாலினக் கல்வி 

संयम नहीं, तन हाई नहीं।       புலனடக்கம் இல்லை ,உடல் உயர்வாக இல்லை 

तन्हाई का ब्रह्म ज्ञान नहीं।।  தனிமையில் பிரம்ம ஞானம் இல்லை .

जागो,जगाओ,  तन्हाई में       விழித்துக்கொள்ளுங்கள் .எழுப்புங்கள் .

पाओ आत्मज्ञान,आत्मबल, ब्रह्म ज्ञान।  ஆன்ம ஞானம் ,ஆன்மபலம் ,பிரம்ம ஞானம் பெறுங்கள் .

पियक्कड़ दल  बहिरंग    குடிக்கும் குழுக்கள்   வெளிப்படையாக .

 आलिंगन चुम्बन नाच  अस्थाई सुख।  ஆலிங்கனம் ,முத்தம்  நடனம் தற்காலிக சுகம் .

तन्हाई में सोचो,  தனிமையில் சிந்தியுங்கள் 

तन और मन को  உடலையும் மனதையும் உயர்த்துங்கள் .

हाई बनाओ,

भारतीय ऋषि , तुलसीदास, वाल्मीकि , सिद्धार्थ की  இந்திய ரிஷி முனிகள் துளசிதாஸ்  வாலமீகி  சித்தார்த்தர்  ஆகியோரின் 


जीवनियों से सीखो संयम।  வாழ்க்கையில்  இருந்து புலனடக்கம் கற்றுக்கொள்ளுங்கள் .


चरित्र गठन आवश्यक ।       நற்குணங்கள் அமைப்பது  அவசியம் .


तन्हाई चिंतन अनिवार्य,आवश्यक।।  தனிமை  சிந்தனை கட்டாயம் ,அவசியம் .


स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै
तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।










प्रणेता  साहित्यिक पटल।
नमस्ते वणक्कम।
14-2-2021.
शीर्षक। तन्हाई।
विधा--अपनी शैली भावभिव्यक्ति।
तन +हाई --
शरीर+ ऊँचा।
एकांत  में  शरीर
आत्मज्ञान पाता है।
आत्म ज्ञान से 
ब्रह्मज्ञान पाता है।
 अहंब्राह्मास्मि  बनने
तन हाई बनने की जरूरत है।
 आकार में नहीं,
हनुमान जैसे 
छाती फाड़ने पर भगवान के
 दर्शन   होने चाहिए।
राजकुमार सिद्धार्थ   राजमहल तज,
 एकांत तपस्या में लगे,
बुद्ध बने, एशिया के ज्योति बने।
डाकू रत्नाकर  लौकिकता तज।
एकांत तपस्या आदी कवि बने।
रत्नावली की आँखें लाल लाल।
 कामान्ध तुलसी बने रामानंद।
 हमारे पूर्वजों ने जितेन्द्र 
बनने की सीख दी।
पाश्चात्य चित्रपट भोगैश्वर्य ।
 भारतीय पूर्वज तन +हाई 
मन ऊँचा, एकांत मिलन।
हर साल बच्चा।
आजकल बहिरंग  चुंबन,
कमरे में  वातानुकूल,पर कृत्रिम
गर्भ धारण केंद्र एकांत में
तन +हाई नहीं,
मेरे दादा दादी मिलन देखा नहीं।
आज बहिरंग सूक्स एजुकेशन
संयम नहीं, तन हाई नहीं।
तन्हाई का ब्रह्म ज्ञान नहीं।।
जागो,जगाओ,  तन्हाई में
पाओ आत्मज्ञान,आत्मबल, ब्रह्म ज्ञान।
पियक्कड़ दल  बहिरंग
 आलिंगन चुम्बन नाच  अस्थाई सुख।
तन्हाई में सोचो,तन और मन को
हाई बनाओ, भारतीय ऋषि , तुलसीदास, वाल्मीकि , सिद्धार्थ की 
जीवनियों से सीखो संयम।
चरित्र गठन आवश्यक ।
तन्हाई चिंतन अनिवार्य,आवश्यक।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै
तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।




















 




















 











Friday, February 12, 2021

मेरी यात्रा

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान, गुजरात इकाई।

१३-२-२०२१.

  शीर्षक - मेरी यात्रा।

विधा अपनी शैली अपनी भाषा अपनी भावाभिव्यक्ति।

 हर मनुष्य की अपनी विशेष यात्रा।

   जीवन की प्राकृतिक यात्रा अलग।

ईश्वर की यात्रा भक्ति यात्रा अलग।

उल्लास यात्रा अलग।

वैज्ञानिक यात्रा अलग।।

मानसिक यात्रा अलग।

 मन है तो काल्पनिक यात्रा।

 काल्पनिक यात्राके लिए,

पैसे की जरूरत नहीं।

 मिस्र के पिरामिड,

अमेरिका का नया घिरा।

वायुयान उड़ान,

 ३६०००  की ऊँचाई,

कितना आनंद, कितना संतोष।

काल्पनिक यात्रा अति सुलभ।

 बुढ़ापा, अंतिम यात्रा न जाने कैसा हो?

समझ में नहीं आता मेरी यात्रा।

मरी यात्रा  नाते रिश्तेदारों के बीच में हो या

सुनामी लहरों में लापता हो।

कोराना या किसी संक्रामक रोग 

भयभीत शव का दफना जाता हो।

जैसा भी हो मेरी यात्रा   ईश्वर पर निर्भर।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
























 






बिंदिया। பொட்டு

 नमस्ते। वणक्कम।

१३-२-२०२१

बिंदिया 

भारतीय नारियों का मंगल चिन्ह।

 शुभ लक्षण।

बिंदिया हीन नारी

अमंगल, अपशकुन।

आधुनिक पेंशन के प्रभाव,

मंगल  लाल कुंकुम कई रंगों में।

अपने पहने वस्त्र रंग के अनुसार।

 पीले,काले,नीले,लाल।

काजल भी पेंसिल।

अधिक पढ़ी लिखी तो

बिंदिया को सूक्ष्म दर्शी द्वारा

देखना पड़ता।

चुडिदार पहनने पर

सिर पर फूल रखना पेंशन नहीं।

ईसाई स्कूलों में

हिंदू लड़कियों को भी 

बिंदिया रखना मना।

अमेरिका और अन्य प्रवासी

नारियाँ  माथे पर सिंदूर न रखती।

एक तमिल फिल्म नारी

अपने मंगल सूत्र उतार

टट्टी में डालकर पानी डालती।

शनै:शनै: भारतीय विदेशी शैतान

बिंदिया की चमक मिटा रही है।

कुंकुम में केमिकल स्किन अलर्जी।

डाक्टर कहते हैं   , बिंदिया रखना 

 छोटा आकार,वह भी नदारद।

सीखते अंग्रेज़ी उसका

 प्रभाव तिलक कर।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Thursday, February 11, 2021

कुंडल ---குண்டலம்

 नमस्ते। वणक्कम। நமஸ்தே . வணக்கம் .

कलमकार कुंभ साहित्यसंस्थान ,दिल्ली।
१२-२ -2021
विषय ---कुण्डल குண்டலம்

विधा --अपनी भावाभिव्यक्ति। अपनी शैली। ------------------------------------
कुंडली कर्णाभूषण , குண்டலி செவி ஆபரணம்
अति आकर्षक। --------அதிக கவர்ச்சி .
जन्म कुंडली - भविष्य प्रकाशक .
तमिल के पंच महाकाव्यों में एक
कुंडल केशी घुँघरू सुन्दर बालवाली नायिका।
कुंडल शब्द अति प्रचलित ,
दान वीर कर्ण कवच कुंडल।
कर्ण कुण्डल ,कवच कुण्डल ,कुंडल केशी
भारतीय आध्यात्मिक आ सेतु हिमाचल तक।
अति प्रसिद्ध विचारात्मक एकता का प्रमाण।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन ,चेन्नै
तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

रोटी உணவு உ

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई।

रोटी।

विधा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति


 बगैर आवास,बगैर वस्त्र  पशु सा ,

रह सकता है मानव।

बगैर रोटी के जिंदा रहना असंभव।

 काम में मग्न  वैज्ञानिक, शोधार्थी,

भूख का अनुभव नहीं करते।

न्यूटन  की पत्नी 

उसके पास नाश्ता रखती।।

उसके दोस्त   खाता,

पत्नी पूछती तो खाली थाली देख

कहते का चुका ।

ऋषि मुनि भूखा प्यासा 

अनशन रह तपस्या में लीन हो जाते।

 व्यस्त मनुष्य अपने लक्ष्य में विलीन

भूख   का महसूस ही नहीं करते।


मजदूरों को देखा कभी कभी काम में

इतना मग्न हो जाते,

काम पूरा होने के बाद ही

भूख का महसूस करते।

 भूखा प्यासा घंटों भजन में लगे

भक्तों को मैं ने देखा।

फिर भी "भूखा भजन

 न गोपाल" है प्रसिद्ध ।



संत तिरुवल्लुवर ने कहा। है -

श्रवण अध्ययन के लिए कुछ न हो तो

तब पैंट को कुछ दे सकते हैं।

कर्तव्य प्रधान हो तो रोटी अप्रधान।।

जवान पुलिस को सलाम

 जो रोटी समय पर नहीं खाते।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन, चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।















कठपुतलियाँ। கைப்பாவைகள்

 साहित्य संगम संस्थान और असम इकाई।

नमस्ते वणक्कम।

११-२-२०३१.

एस अनंतकृष्णन चेन्नै हिंदी प्रेमी प्रचारक तमिलनाडु की मौलिक रचना।

विधा:--अपनी भाषा अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।


विषय। --कठपुतलियाँ

----------+++++++++++++++

 मनुष्य  अपने को   अति बुद्धिमान  मान,

 करोड़ों  की भ्रष्टाचारी करता है,

 रिश्वतखोर  बनकर मनमाना करता है,

उनको न सर्वेश्वर  का डर।

न नश्वर जगत का डर।

न बुढ़ापे का डर।

करोड़ों रुपयों से  बुढ़ापा रोक नहीं सकता।

जापान में भूकंप, दावानल, आँधी तूफान,

 टोरंडो, कोराना , प्राकृतिक कोप ।

मृत्यु निश्चित ईश्वरीय कानून।।

ज्ञानी , ऋषि मुनियों संतों की सीख

 अगजग अखिलेश  की कठपुतली।

यम कब आएगा किसको पता!

इंदिरा गांधी को अंग रक्षक,

 संचय को विमान, राजीव को हिंदी कविता।

आंध्रा मुख्यमंत्री को हेलिकॉप्टर,

शास्त्री लाल बहादुर को हार्ट अट्टेक,

 महात्मा गांधी को गोली।

 पद ,अंगरक्षक, पैसे , अधिकार न कुछ कर सका।

 जानो समझो मानो,   भगवान पर भरोसा रखो।

 हम सब हैं ईश्वर की कठपुतलियाँ।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै।  तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

प्रेम दिवस காதல் நாள்

 प्रेम दिवस, ११-२-२०२१.

 समाज , சமுதாயம்

भारतीय संस्कृति  பாரதம் பண்பாடு

बिगाड़ने का  கெடுப்பதற்கான

पाश्चात्य सभ्यता ? மேற்கத்திய நாகரீகமான?

यह बयान सच ? இந்த அறிக்கை உண்மை யா?

तब तो राधा कृष्ण , அப்படி யாரால் ராதா கிருஷ்ணன்

शिव पार्वती சிவ பார்வதி

कार्तिक वल्ली। கார்த்திக் வல்லி

    मीरा आंडाल । மீரா ஆண்டாள்

नल -दमयंती, दुश्यंत शकुंतला। நள-தமயந்தி துஷ்யந்தன் சகுந்தலை

 कितनी भारतीय कहानियाँ। எத்தனை யோ பாரதக் கதைகள்.

  तमिल के रामायण रचनाकार  தமிழின் ராமாயண கவி

कंबर का बेटा अंबिकापति-अमरावती। கம்பரின் மகன் அம்பிகாபதி, அமராவதி காதல்

पर न जाने भारतीय संस्कृति। ஆனால் பாரதம் பண்பாடு

प्यार को विषैला मानता ही नहीं, விஷமுள்ள தாகக்

 கருதி. காதலை எதிர்க்கிறது ஏன் என்பது தெரியவில்லை.

विरोध भी करता है।

कुल मर्यादा,चरित्र रक्षा, अनुशासन குல மரியாதை,நடத்தை பாதுகாப்பு, ஒழுக்கம்.

कारण भारतीय गरीबी रेखा। வறுமைக் கோட்டிற்கு கீழ் உள்ள பார்த்தீர்கள் தான் காரணம்.

अमीरों की लापरवाही, பணக்காரர்களின் பொறுப்பற்ற நிலை

 ठगों की निर्दयता। மோசக்காரர்களின் இரக்க மற்ற தன்மை.

पतिव्रता धर्म, तलाक का भय பதிவிரதை தர்மம், விவாகரத்து அச்சம்

प्रेम दिवस को नहीं चाहता। காதலர் நாளை விரும்பவில்லை.

 इन सब की परवाह न तो இவை எல்லாம்  அலட்சியம் என்றால்  காதலர் தினம் கொண்டாடலாம்.

मनाते प्रेम दिवस।

आम जगह आलिंगन चुंबन देख பொது இட முத்தங்கள் கட்டிஅணைத்தல்  பார்த்து மிருகமாய் ஆன

पशु  बने मानवता -पशुता देख   மனிதம்-மிருகத்துவம் பார்த்து கை தட்டுங்கள்.

तालियाँ बजाइए।

मैं नहीं चाहता प्रेम दिवस। எனக்கு காதல் தினம் விருப்பமில்லை.

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।




























स्वर्ग नरक

 नमस्ते वणक्कम।

११-२-२०२१

कलमकार कुंभ।

शीर्षक  जन्नत।

विधा। भावाभिव्यक्ति ।अपनी शैली


जन्नत जहन्नुम के 

डराने धमकाने से

न्याय का शाश्वत शासन।

धर्म राज्य की अनश्वरता

स्वर्ग का लोभ,नरक का भय।

सचमुच नश्वर जगत में ही 

जन्नत और जहन्नुम।।

  पद राज पद अलग-अलग।

 जन्नत जहन्नुम नहीं अलग-अलग।।

दशरथ चक्रवर्ती, राम, धर्म पुत्र 

सब की जीवनी ही इसका प्रमाण।।

 प्रधान मंत्री इंदिरा का

 व्यक्तित्व विख्यात।पर

व्यक्तित्व जीवन शोक प्रधान।

पति अलग,बड़े पुत्र की आकस्मिक मृत्यु

एकांत में अति दुखी ।

जयललिता देवी तुल्य नेत्री।

एक समय आत्म हत्या तक चली।

समाज में कइयों को देखा,

  नपुंसक की नरक वेतना।

अंधे,बहिरों की वेदनाएँ।

धनी भी असाध्य रोगों में।

गरीबों की मीठी-मीठी नींद।

अमीरों की निद्रा गोली नींद।

 करवटें बदलना।

पियक्कड़ अमीर के फुटपाथ नींद।

 जान समझ मन कहता है--

स्वर्ग/जन्नत जहन्नुम नरक यहीं 

भूलोक पर न अन्य लोक में।


स्वरचित  स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

तकदीर और तदबीर। अर्थात भाग्य और प्रयत्न।

 आज मेरा अपना शीर्षक 

  तकदीर और तदबीर।

 अर्थात

 भाग्य और प्रयत्न।


आप प्रचारक अपनी कल्पना दौड़ाइए कि

भाग्य भला। या  कोशिश ।

स्वरचित और स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

 भाग्य भला या प्रयत्न

  विधि की  विडंबना ,

भाग्य बल सही है ,

रामराम जप परावलंबित भक्त।

 उनके तपोबल, 

भविष्यवाणी के सामने

बड़े बड़े सम्राट,करोड़पति, उद्योगपति,

निदेशक, अभिनेत्री सब को देखा।

पऴनी में  "चाक्कडै चित्तर" ।

 बड़े-बड़े सम्मानित लोग,

उनके दांत मार की प्रतीक्षा में

घंटों खड़े रहते।

दूसरे नग्न स्वामी  उनके काटे जूठे केले 

खाने खड़े रहते।

सबको सद्यफल प्राप्त करने की अभिलाषा।

 तभी मुझे रामायण का प्रसंग  

शबरी का राम को जूठे बेर खिलाना

 प्रत्यक्ष सामने आया।

भाग्य भला?

हम नहीं कह सकते।

 यूं चाक्कडै चित्तर,नग्न स्वामी,शबरी

भाग्यवान या प्रयत्नशील।

 इनकी अचंचल भक्ति ध्यान, दृढ़ भक्ति

एकाग्रता प्रयत्न है कि नहीं।

वाल्मीकि , तुलसीदास की कठोर साधना ईश्वर नाम ही।

भक्त त्याग राज केवल 

ईश्वर ध्यान ही  और कुछ नहीं,

भगवान बुद्ध  महावीर की कठोर

ध्यान ही प्रयत्न।

 एकाग्रता ही परिश्रम ध्यान।

 तदबीर बगैर तकदीर असंभव।

पेग़बर मुहम्मद  की तपस्या फल पैगाम।

भाग्य और प्रयत्न उनका ईश्वर ध्यान।

हर एक कर्म फल के अनुसार

प्रयत्न शील और भाग्यवान।

 अभियंता बनना, डाक्टर बनना अध्यापक बनना भाग्य।

अपने अपने भाग्य पर चमकना प्रयत्न जान।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै हिंदी प्रेमी प्रचारक तमिलनाडु

माता -पिता

  नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई।
११-२-२०२१
माता-पिता
विधा-अपनीभावाभिव्यक्ति / युगानुकूल चित्रण

रामायणकाल में सीता भूमि से मिली।
माता -पिता का प्रमाण नहीं।
देव रहस्य ऋषिमूल नदी मूल न देखना।
महाभारत में विचित्रवीर्य तो पति नाम मात्र के.
पिता अन्य व्यक्ति।
तमिलाडु के आण्डाल तो बगीचे में मिली।
बचपन से थी विष्णुप्रिया ,ईश्वर की कवयित्री , भक्ता। प्रेमिका।
हर विश्व विख्यात के दिव्य पुरुष माता-पिता रहित।
साई शिर्डी के कैसे आये पता नहीं।
आजकल के समाचार पत्रों में चरित्रा हीन माता- पिता
खुद पुत्रों यापुत्री को ,पतिपत्नी को
पत्नी -पति को मार डालते हैं .
कुंती की कथा सर्वविदित।
आजकल का फेशन तलाक।

मानव मन संयम या जितेंद्र न हो तो
यह संक्रामक रोग परिवार में असाध्य रोग होगा ही।
इसीका प्रमाण प्रेमदिवस ,माता दिवस ,पिता दिवस।
आम जगह चुम्बन दिवस ,आलिंगन दिवस।
सोचो जागो आदर्श परिवार की सीख का प्रचार करो।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन ,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी

आम के आम गुठले का दाम

 Anandakrishnan Sethuraman

नमस्ते। वणक्कम।
११-२-२०२१
आम के आम ,गुठले का दाम।
यह मुहावरा कितना सत्य ,कितना असत्य।
अनुभव मेरे विपरीत।
किसीको आज तक जिंदगीभर
आम के आम गुठली के दाम मिले ही नहीं।
एक खोकर दूसरा पाना,
कैसे आम का आम गुठली का दाम होगा।
एक करोड़ की पूँजी ,धंधे में लाभ।
फिर व्यापार बढ़ाने की चिंता .
एक करोड़ सांसद ,आम के आम गुठलियों के दाम।
फिर अगलेचुनाव में लड़ने पैसे जोड़ना
बदनाम से बचने की चिंता।
मेरे एक दोस्त ने आम तोड़ने पत्थर फेंका,
आम मिले पर पत्थर वहाँ खड़े पुलिस केसिर पर.
आम लेने दोस्त झुका तो पुलिस की लाठी दोस्त केसिर पर.
सोचा तो सब जो क्षणिक लाभ मिलते हैं
सोचते हैं अपनेदोनों हाथों में हैं लड्डू।
मानव का सुख ,संतोष, भरा -पूरा परिवार।
आम का आम गुठलियों के दाम।
कितने भाग्यवानों को पता नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन , चेन्नै।