Thursday, November 29, 2012

तमिल-हिंदी सीखो भूतकाल =इरंत-कालम

tamil-hindi  seekho.

तमिल-हिंदी  सीखो

भूतकाल =इरंत-कालम

  नान  नेटरु   सिनेमा  पोनेन = मैं  कल  सिनेमा  गया।/गयी

नी  सिनेमा    पोनाय ,==तुम सिनेमा गए।/गयी।

अवन सिनेमा  पोनान ==वह  सिनेमा गया।

अवल   सिनेमा   पोनाल .==वह सिनेमा गयी।

अवर  सिनेमा  पोनार .=वे  सिनेमा  गए।/गयीं।


अवर्कल  सिनेमा  पोनार्कल ==वे  सिनेमा  गए।/गयीं।



Wednesday, November 28, 2012

सनातन धर्म

 सनातन  धर्म


भारत  भगवान   के  कृपाकटाक्ष   से  कई विदेशों  के आक्रमण के बाद,शासन 
 के बाद,कई  लुटेरों  के  लूटने  के बाद,कई  मंदिरों के तोड़ने के बाद  भी 

भी  हिन्दू  धर्म   और  भारत देश  ऊंचा है  तो इसमें  मनुष्यों की शक्ति से 

 एक   ईश्वरीय  शक्ति  साथ दे  रही है।


 सर्व   प्रथम  पाश्चात्य देशों ने   भारत की ओर  सम्मान की  दृष्टि  से  देखा तो  उसके पीछे एक ईश्वरीय - शक्ति स्वामी विवेकानंद के  रूप में   प्रकट हुई .  उनका यह  संबोधन विश्व -धर्म  सम्मेलन  में  सनातन -धर्म का  बहुत  बड़ा सन्देश  "वसुदैव  कुटुम्बकम " का    क्रियान्वयन था।

आज  भारत    की  तरक्की हुई  है।  देश और भी  तरक्की होगी .क्योंकि  कई  देश -भक्त  देश की  सच्ची  सेवा तन-मन से कर  रहे हैं .धन से कर रहे  हैं।

देश  की सुरक्षा  की  प्रार्थना  और तपस्या में    लग रहे हैं।
धनी को आत्मानुभव हो रहा है कि  बुरी कमाई शान्ति नहीं देगी।जान नहीं बचायेगी .

धन है,लेकिन  वह सब की भलाई के  लिए नहीं है ,तो सच्चा आनंद नहीं है।

  इसी देश में एक राक्षसी दल हैं,रिश्वत ,भ्रष्टाचार,मारपीट,सत्ता,दूसरों से छीना -झपटी करना ,दूसरों को डरा-धमकाना ,अपने स्वार्थ और अहम् 
की सुरक्षा के लिए  जितना अन्याय अत्याचार हो ,सब कर सके।उनके जीवन  भी हार का ,अपमान का ,आत्म ग्लानी का महसूस करता है। में यही सजा है।

उनको ऐसी विवशता आ जाती हैं,अंत में अपने जीवन काल में ही देशोंनती  कार्य में लग जाते हैं। देश का विकास होता है। हमारे देशवासियों में देश द्रोही थे ;देश को विदेशों के हाथ में सौपकर सुख की नींद   सोना चाहते थे।उनकी जीत देश के कल्याण चाहकों  के कारण हार में बदल जाती।

हमारे देश के  सभी शासक  धर्म का झंडा फहराते थे।मंदिर बनता था;जैन मंदिर ,बुद्ध विहार,सिक्ख मंदिर,मस्जिद ,गिरजा -घर बनवाये गए .

जिनमें धर्म के प्रति तनिक श्रद्धा और भक्ति उत्पन्न हो जाती,तब उनमे पवित्र भावनाएँ  जाग जाती।

यही  सनातन धर्म जिसको लोग खुल्लम खुल्ला खिल्ली उड़ाते हैं,सब को सहनकर  विकास हो रहा है। नमस्कार ,योगा ,हरे राम,साईं राम,हरे कृष्ण ,
शिव  ,हर-हर महादेव,जयजय शंकर की पुकार संसार के -कोने कोने में गूँज 
रहे है।जिसके पीछे  केवल आत्मानुभूति है।अपने-आप पल रहा है;किसीका जोर दबाव नहीं है। यह आत्मानुभव का विकास में एक शान्ति है।सूर्य प्रकाश को देखकर  भी कोई  छाता   तानकर छिपाना 
 चाहता है ,तो भी वह तेज़ प्रकाश   ही;वैसे ही चाँदनी  रात ;

सनातना धर्म में सूरज का गरम है;और चांदनी की शीतलता है। अतः वह किसी की निंदा या दोषारोपण की परवाह नहीं करता।








 

Tuesday, November 27, 2012

तमिल- हिंदी सीखो भविष्यत् काल =एतिर्कालम

तमिल- हिंदी   सीखो   भविष्यत् काल =एतिर्कालम
 नान    हिन्दियिलुम तमिलिलुम   पेसुवेन == मैं   तमिल और  हिंदी   में  बोलूँगा।

नान   आन्गिलत्तिल  कडितम   एलुतुवेन ==मैं  अंग्रेजी में पत्र  लिखूँगा .

नान  एनतु  नन्बरकलै   सन्दिप्पेन ==मैं अपने दोस्तों से मिलूँगा . 

नान नाट्टिर्कु   तोंडू  सेय्वेन ==मैं अपने  देश  की सेवा  करूँगा .

नान एलैकलुक्कू  उदवी सेय्वेन =मैं गरीबों की सेवा करूँगा . 

மனம்

 
 
 
மனம் 
 
 
 மனதில்  உறுதி வேண்டும் .
 
 
 
ஒருமை  உடன் நினது திருமலரடி நினைக்கவேண்டும் .
 
 
 
 
நினைக்க  ஒரு மனம் வேண்டும்.
 
 
 
மறக்க  ஒரு மனம் வேண்டும்.
 
 
 
மனம்  ஒரு குரங்கு .
 
 
 
 பொன் மனம்.
 
கல் மனம்.
 
 
மனம்  வெள்ளை .
 
 
உள்  மனம்.
 
புறமனம் .
 
 
 

Saturday, November 24, 2012

तमिल -हिंदी सीखिए

तमिल -हिंदी सीखिए 

अवन प्रार्त्तनै  सेय्किरान==वह  प्रार्थना करता है।

अवल  प्रार्त्तनै  सेय्किरान।=वह  प्रार्थना करती है।

नाय ओडुकिरतु।=कुत्ता दौड़ता है। *** जड़ और पशु विशेष  के लिए क्रिया का प्रयोग अलग  है।


नांगल प्रार्त्तनै  सेय्किरोम।=हम  प्रार्थना करते हैं।


नींगल  प्रार्त्तनै  सेय्किरीर्कल।=आप  प्रार्थना  करते हैं।

अवर प्रार्त्तनै  सेय्किरार =वे प्रार्थना करते हैं।  अवर =वे   (आदर सूचक)इवर =ये

अवर्कल  प्रार्त्तनै   सेय्किरार्कल ==वे  प्रार्थना  करते हैं।  अवर्कल =वे (बहुवचन)     ==इवर्कल = ये

 

तमिल-हिंदी सीखो

तमिल-हिंदी सीखो


नान तिनन्तोरुम कालैयिल प्रार्त्तनै सेय्किरेन ।== मैं रोज़  सबेरे   प्रार्थना करता  हूँ।।

नीयुम  प्रार्त्तनै  सेय्किराय।==तुम भी प्रार्थना करते हो।

अवनुम प्रार्थनै सेय्किरान= वह भी प्रार्थना करता है।

Tuesday, November 20, 2012

तमिल-हिंदी सीखो।

तमिल-हिंदी सीखो।
इरुन्तान =था .
इरुन्ततु =था।
इरुन्ताल =थी।
इरुन्तन=थे =iruntana
इरुन्तनर =थे
इरुन्तनर =थीं
हम  थे =नांगल इरुन्तोम    थे =इरुन्तोम
आप  थे = नींगल इरुन्तीर्कल
वे थे =अवर्कल इरुन्तनर    थे =इरुन्तनर
ये थे =इवर्कल  इरुन्त्नर
मैं  था =नान इरुन्तेन
तुम थे ==नी इरुन्ताय
वह था= अवन इरुन्तान।
वह था =अतु इरुन्त्तुतु
वह  थी =अवल इरुन्ताल
यह  था =इतु इरुन्ततु
यह था =इवन इरुन्तान
यह थी =इवल इरुन्त्ताल

हिंदी  और तमिल में  था,थे,थी,थीं, के  फरक देखिये।
तमिल  में अधिक  शब्द हैं। ध्यान से पढ़िए।
उत्तम पुरुष,  मध्य पुरुष, अन्य पुरुष  में हिंदी और तमिल का प्रयोग सीखिए
बार बार अभ्यास करने से मालूम हो जाएगा।









Monday, November 19, 2012

है।है।है।

मनुष्य  को नचानेवाली  बड़ी शक्ति एक है। वह शक्ति मनुष्य को अक्सर भ्रम में डाल  देती है। मनुष्य असमंजस में पड जाता है।  अपने बुद्धि बल से जीतनेवाला मनुष्य  सफलता  को भाग्य के हाथ में सौंप देता है। यह विधिवाद न हो तो मनुष्य का जीवन क्या हो जाता। कर्म-फल,पाप-पुण्य ,पूर्व जन्म का फल ये शब्द अक्सर मनुष्य के मुख से निकलते रहते हैं।
ऐसी परिस्थिति में उसको बचने-बचाने,बढ़ने बढाने,दुःख को सुख में बदलने एक ऐसी शक्ति की जरूरत होती है।
वही ईश्वरीय शक्ति है।
यह  शक्ति ,अपूर्व आत्म संतोष देने की शक्ति मनुष्य को मिलनी है। यह क्या केवल सन्यासी को ही मिलेगी?लौकिक
पुरुष क्यों प्राप्त नहीं कर सकता ? उसमें कौन सी कमी है?
उसमें नश्वर दुनिया का मोह घर कर लेता है।वह  जग को अपने इशारे पर नचाना चाहता हैं। उसमें अहम् ब्राह्मास्मी  का अहम्  हो जाता है।हर मनुष्य अपने को ही भगवान का अवतार मानने लगता है।वैज्ञानिक  जो सुख सुविधाओं का आविष्कार करता है,उससे कोई हानी नहीं हैं। जो अपने को ईश्वर मानता है,वह मानुष को अपना अधीन बनाने के लिए मानुष-मानुष में भेद भाव पैदा करता है। ईश्वर के दर्शन एकता के लिए है।वास्तव  में वह फूट डालने लगता है।
अतः ईश्वर और धर्म जो  एक बड़ी शक्ती  है,वह छोटे दायरे में फिसल जाती है।
वैज्ञानिक साधन सब के लिए हैं।धर्म मनुष्यता की रक्षक के  नाम से भक्षक  हो जाता है।अतः मनुष्य दुखी है।

Sunday, November 18, 2012

तमिल-हिंदी सीखो। हिंदी में है,हैं ;था;थी;थे;थीं। सहायक क्रियाएं=is, are, was,were

तमिल-हिंदी सीखो।

हिंदी में है,हैं  ;था;थी;थे;थीं। सहायक क्रियाएं=is, are, was,were के अर्थ में प्रयोग होती हैं।
ये क्रियाएं  जड़,चेतन,मनुष्य सब के लिए हैं। पर तमिल में अलग-अलग शब्द हैं।
जड़ वस्तु  के लिए
है= इरुक्किरतु .
 मेसैयिन मेल ओरु पुत्तकम  इरुक्किरतु।=मेज़ पर एक किताब है।
इरुक्किरतु =है।

वहाँ  एक कुत्ता है= अंगे ओरु नाय इरुक्किरतु।

वहाँ  एक  लड़का है=अंगे ओरु पैयाँ इरुक्किरान;
है= इरुक्किरान।
वहाँ  एक लडकी है= अंगे ओरु सिरुमी इरुक्किराल।
है=इरुक्किराल।
लीं के अनुसार  "है " के अर्थ सीखिये .
कल  "हैं" फिर अन्य  क्रियाएँ  सीख सकते हैं।क्रमशः 

Saturday, November 17, 2012

महाराष्ट्र प्रांत के महा योगी,हिन्दू धरम के महारथी,हिन्दुवों के ह्रदय सम्राट,मिट्टी  के लाल ,हिदुवों के आधार स्तम्भ आज हमें छोड़कर चले गए। यह प्राकृतिक क़ानून है।हम दुःख सागर में चंद  दिन  डुबकियाँ  लेते रहेंगे। दिवंगत आत्मा की श्रंदान्जलियाँ  समर्पित करते रहेंगे। लेकिन उस अमर आत्मा का संतोष तभी होगा,जब हर एक के दिल में उनके 
समान धार्मिक भक्ति दृढ़ हो।हिन्दू धर्म में एकता हो जाएँ।हर कोई हिन्दू उच्च हो या निम्न अपने को हिन्दू कहने में गर्व का अनुभव करें।जिन लोगों ने अपनी विवशता,लाचारी या व्यक्तिगत अपमान या परिस्थितियों से अन्य धर्मों को अपनाया,उन सबको अपने मात्ृ -धर्म  के प्रति श्रद्धा और भक्ति उत्पन्न हो। सारे राष्ट्र में धार्मिक एकता हो। उनके सिद्धांत में भेदभाव इसीलिये हैं कि  हिदू-धर्म पर बुरा असर पडा है। सब हिन्दू इसी चिंता में है  कि  हिन्दुओं का स्वर एक हो। ऐसा महान लक्ष्य तक पहुँचने के कार्य में लगना ही उनके प्रति हमारी बड़ी श्रन्द्धान्जली हो सकती  है। हम देश की प्रगति में एकता का सन्देश  लेकर आगे बढेंगे। उनका दैविक बल हमें मिल जाएगा।

Friday, November 16, 2012

तमिल -हिन्दी सीखो। =कटटलै विनै ==विधि क्रिया।

तमिल-हिदी सीखो।
तमिल -हिन्दी सीखो। =कटटलै  विनै ==विधि क्रिया।
नी एन्ने विरुम्बू।===तुम मुझसे  प्रेम करो।
      मनितरकलै   वेरुक्काते==मनुष्यों से नफरत मत करो।
एलैकलुक्कु  उदवी  सेय ==गरीबों  की मदद करो।
कालैयिल सीक्किरम एलुन्तिरू ==सबेरे  जल्दी उठो।
इरविल  सीक्किरम तूंगु ===रात को जल्दी सोओ।
तिनन्तोरुम  प्रार्त्तनै  सेय ==रोज़ प्रार्थना करो।

Thursday, November 15, 2012

तमिल -हिंदी सीखो ="विधि" वाक्य



तमिल -हिंदी सीखो 
"विधि" वाक्य

नी पो =तुम जाओ==नी पो।     नींगल  पोंगल= आप जाइए।
नी वा=तुम आओ।              नींगल वारुंगल= आप आयिये .
नी वुटकार =तुम बैठो।         नींगल उट्कारुंगल =आप बैठिये।
नी पार=तुम देखो।              नींगल पारुन्गल= आप देखिये।
नी पड़ी=तुम पढो।              नींगल पडियुन्गल।==आप पढ़िए।
नी पाडू==तुम गाओ।           नींगल पाडुंगल =आप गायिए .
नी केल==तुम  सुनो।            नींगल  केलुंगल = आप  सुनिए।।
नी एलुतु =तुम लिखो .         नींगल एलुतुंगल ==आप लिखिए।

नी विलैयाडू =तुम खेलो .     नींगल विलैयाडुंगल। =आप खेलिए।
नी साप्पिडु =तुम खाओ .       नींगल  साप्पिडूंगल =आप खायिये ;
नी काफ़ी कुडि =तुम काफ़ी  पिओ .     नींगल काफ़ी  कुडियुंगल .==आप काफ़ी  पीजिये। 
नी पत्तु   रूपाय कोडु =तुम दस रूपये दो।    नींगल पत्तू  रूपाय कोडुंगल । =आप दस रूपये दीजिये।
बोलचाल की तमिल में   आदर सूचक "विधि" वाक्य में अंतिम  "ल" का उच्चारण नहीं करते।
उदाहरण :--नींग  वांग= लिखित तमिल में  "नींगल वारुंगल ". बोलचाल और लिखित तमिल में ज़रा बड़ा फरक है।
नींग  कुडिंग =आप पीजिये। बोलचाल। नींगल कुडियुंगल =लिखित .=

Sunday, November 11, 2012



२०१२ नव वर्ष  की शुभ कामनाएं

अनंत आनंद का वर्ष २०१२ हो,
अन्याय अत्याचार का अंत हो,
अधिकारियों के मन में,
आम जनता की सेवा करने
तटस्थता हो.
राजा नैतिक दलों की ,
संख्याएं   घटे.
नेताओं के मन से .
स्वार्थता मिट जाएँ.
अपनी उन्नति,
अपने नाते रिश्तों की ,
अहम् की उन्नति -विचार
स्वार्थ कार्रवाई से दूर
देश के समस्त , 
सर्वजन सेवा का भाव हो.
नकली ठगी
 सन्यासी साधुवों
का भेद खुलें.

पोल खुलें,
छद्म वेश्धारियों   का. 
गिरगिट सा रंग बदलनेवाले,
नेताओं के मन में,
केवल देश की चिंता जगे.
२०१२ में
सब के सब निस्वार्थ बने.
सरकार  अपव्यय न करें  
पुलिस अधिकारी और पुलिस ,
चोरों-लुटेरों,डाकुओं के पक्ष में न होकर
जनता की सच्ची सेवा में लगें.
सत्य ,धर्म,ईमानदारियों का राज हो.
ईश्वर सब के मन में ,
सुविचार जगाने की कृपा करें.
यहीं मेरी मनोकामना २०१२ नव वर्ष में.

naaladiyaar


तमिल साहित्य के सर्वश्रेष्ठ  ग्रन्थ है --नालाडियार अर्थात  चार चरण के पद्य.यह नीति ग्रंथों में श्रेष्ठ है. इस   ग्रन्थ में

एक चमत्कार है. एक जमाने में पांडियराजा के दरबार में  अकाल पीड़ित आठ हज़ार कवि थे. अकाल  के बाद भी राजा ने   उन कवियों को  विदा नहीं किया. कवियों ने बिना राजा से बताये ग्रंथों को वेकै नदी में फ़ेंक दिया.और राजा से बिना बताये चले गए.नदी में फेंके ग्रंथों में नालाडियार ग्रन्थ मात्र उलटी दिशा में आया और किनारे पर लग गया.नालाडियार के चार सौ पद्यों को पदुमनार नामक कवि ने संग्रह किया.
उनमें शिक्षा सम्बन्धी पद्यों का हिंदी भावानुवाद देखिये.


शिक्षा ही सुन्दर है 
r
लोग सोचते हैं ,सर के केश में सुन्दरता  है,
इत्रवगैरह सुगन्धित वस्तू लगाने में  और ,
रंगबिरंगे कपड़ों में सुन्दरता है.वास्तव में
इन सब की खूबसूरती सच्ची नहीं है.
सच्ची सुन्दरता शिक्षा प्राप्त करने में है.
शिक्षा ही हमें पक्की राय देती है --
अच्छी चालचलन सिखाती है.
शील सिखाती है.
தமிழ் மூலம்
குஞ்சி அழகும் கொடுந்தானைக் கோட்டழகும்
மஞ்சள் அழகும் அழகல்ல-நெஞ்சத்து
நல்லம் யாம் என்னும் நடுவுநிலைமையால்,
கல்வி அழகே அழகு.

௨-/2./२
शिक्षा से संसार का कल्याण हैं.
शिक्षा ही ऐसी बात है,
जो दूसरों को देने  से कम नहीं होगी.
मनुष्य का बढ़प्पन शिक्षा  देने  में है.
शिक्षा के संग्रह से कोई बुराई नहीं होगी.
 सप्तलोकों में शिक्षा-सम 
   बूटी  भोलापन,
बेवकूफी  नष्ट करने , 
और कोई नहीं है.

இம்மை பயக்குமால்,ஈயக்குறைவின்றால்,
தம்மை விளக்குமால் தாமுளராக் கேடின்றால்,
emmai உலகத்தும் யாம் காணோம் கல்வி போல்
மம்மர் அறுக்கும் மருந்து .

राय



राय

राम कौन है?किसकी पत्नी को मोदी ले गये. रावण गुणी था;एक ही अपराध दूसरे की पत्नी उड़ाना. रावण पर और कोई दोष नहीं ..उस में यह नेक था,सीता के मन बदलने के बाद अपनाना. उसके शासन में लंका स्वर्ण पूरी थी;क्या मणि शंकरजी रामायण जानते हैं? रावण शिव भक्त था।.तपो बलि था।.शाह्जहान शेरशाह को मारा तो   मुमताज  को जबरदस्त अपना ही बना लिया;रावण ने वैसा नहीं किया. सोचकर बोलोजी.





11/11/2012 at 01:39 AM
मणिशंकर अय्यर ड्रमुख दल की पूँछ पकड़कर आगे बढते है. 45 साल हो गये तमिलनाडु में. कांग्रेस अकेले चुनाव लडकर जीत नहीं सकता. दाऊद जो तहखाना दादा है ,उनकी तुलना करनेवाले कितना नीच होंगे;वह भी स्वामी विवेकानान्द  और आत्मनिर्भर गुजरात के मुख्य मंत्री केसाथ; समझता हूँ इन की बुद्धि फिर गयी है. मोदी साधक ;दाऊद के पिछलग्गू कांग्रेस. जनता समझ गयी. आगे कांग्रेस का दाल नहीं गलेगा.1967 से तमिलनाडु में दाल नहीं गला. क्या वह अकेले आनेवाले संसद चुनाव में लडकर तमिलनाडु में जीत सकता है. उनको जयललिता या करुणानदि का समर्थन चाहिये . मतदाता जागो; देश को बचाओ ;एक सुमगलेर जिसका नामोनिशान मिटाना है,छी!धूर्त.


परेशानियाँ ;समाचारों की परेशानियाँ; लोगोंके दिलमें 'फल फिर गलत मत. मत मत;हिदी में ओट के लिये मत शब्द'.धर्म के लिये मत. मत मंथन मत की मतलब की ;मतलब =स्वार्थ. अतः भ्रष्टाचार. में मतदाता शामिल है; जागना है. स्वार्थ की लड़ाई में लोग हर जाते है;मर जातेहै. शासक सुखी हैं;उनके चाटुकार मंगल मानते है. ईश्वरीयशक्ति देशकी रक्षा करती है.

नशे चढने का रोग फैलाने पर, होश उडेगा ही; छोड़ेगा नहीं.

 एक मच्छर ,कई मच्छर , 

मच्‍छ्रों से रोग ,

संक्रामक रोग. 
वह रोग है,
भ्रष्टाचार।

पहले ही भ्रष्टाचारों के मच्छर काटकर, 

काले धन जोडनेका रोग डेन्गूसे,

कालरा से बढ़कर, 

सुदृढ़ हो गया।

इसके आकर्षण से, 

जितने भी नये मच्छर,

ईमानदारी मच्छर आये; 

भ्रष्टाचारी  मच्छरों का चमक -धमक

 हृष्ठ-पृष्ठ ,गुलाबी गाल,आकर्षक आंखे देखी; 

माया घेर ली;

ममता बाँध ली;

लाल का बोरा बांधा;

 होगये मच्छरों  की   भीड़; 

ए मच्छर अति चतुर निकले; 

एक का विरोध करते,

उसी से सम्बंध रखकर 

बिना शादी के भ्रष्टाचार क़ेबच्चेपैदा करते; 

लोग तो इनके काटने से डरते नहीं;

विष का औषद विष बन गया; 

अतः नये मच्छर ,पुराने मच्छर से मिल जाएं . 

तो गरीब दुर्बल मच्छर रोग नसाहकर दुरब्ल होंगे; ए 

अमीर मच्छर नए  आवरण से रोग फैलाते रहते; 

मुफ्त शब्द के जाल में गरीब मच्छर फंस जाते; 

येतो एक संक्रामक रोग; 

एक केबाद एक; 

मिटेगा नहीं; 

यह न जान लेगा;

सताता रहेग.

ये हैं आकर्षक नशीले मच्छर

नशा चढेगा
प्राण चलेंगे;

फिर भी आनंद का मस्ती;

देश बर्बाद नहीं सोचेगा, 

नशे चढने का रोग फैलाने पर,

होश उडेगा ही;

छोड़ेगा नहीं.

Saturday, November 10, 2012

जनता सावधान ;

जनता  सावधान ; 
विश्व वन्द्य  स्वामी  विवेकानंद ,
जिनके भाषण से , भारत का सम्मान बढ़ा ,
उनकी तुलना एक देश द्रोही से;
करनेवाले कितना होंगे नीच;
गुजरात की प्रगति देख;
प्रत्यक्ष प्रमाण;
उनकी तुलना  एक तहखाने के दादा से;
एक कमीने से ';
जिसको भूलना है;
भुलाना है;
उनकी याद रखते  है तो 
कैसे हैं येनेता;  काले धन छिपानेवाले।
लुटेरों  केसाथ  चिपककर  रहनेवाले;
जनता को बुद्धू  समझ रहे हैं।
आगे  इनको ऐसी सीख  सिखाना है,
जिससे   फिर जनता के आगे 
खड़े रहने का,बोलने का ताकत  न हो;
देश केलिए,देश की तरक्की  के लिए,
देश का सर ऊँचा  रखने  के लिए,
पैसों का मोह छोड़,
चुनिए  नेकों को;
ईमान्दारियों  को;
पता चल गया जिसके मन में बसा है ;
ब्लाक मार्केट का दादा 
जिसका नाम लेना भी पाप  है;
भारतीयों के लिए।
मणिशंकर अय्यर ड्रमुख दल की पूँछ पकड़कर आगे बढते है. 45 साल हो गये तमिलनाडु में. कांग्रेस अकेले चुनाव लडकर जीत नहीं सकता. दाऊद जो तहखाना दादा है उनकी तुलना करनेवाले कितना नीच होंगे;वह भी स्वामी विवेकानन्द  और आत्मनिर्भर गुजरात के मुख्य मंत्री केसाथ; समझता हूँ इन की बुद्धि फिर गयी है. मोदी साधक दाऊद के पिछलग्गू कांग्रेस. जनता समझ गयी. आगे कांग्रेस का दाल नहीं गलेगा.1967 से तमिलनाडु में दाल नहीं गला  कांग्रेस का।. क्या वह अकेले आनेवाले संसद चुनाव में लडकर तमिलनाडु में जीत सकता है. उनको जयललिता या करुणानदि का समर्थन चाहिये . मतदाता जागो; देश को बचाओ ;एक सुमगलेर जिसका नामोनिशान मिटाना है,छी!धूर्त. उनका नाम ले रहा है।

Friday, November 9, 2012

तमिल-हिंदी सीखो उलोकम =धातु

  तमिल-हिंदी सीखो 

उलोकम =धातु 
इरुम्बू=लोहा 
तंगम=सोना 
पित्तलै =पीतल
तामिरम=ताम्बा 
वेंकलम=काँच 
पंच लोकं=  पञ्च-धातु।

तमिलनाडु के हिंदी प्रचारक


तमिलनाडु   के   हिंदी प्रचारक

महात्मा  गांधीजी ,राष्ट्र पिता  ने   देश-भर  भ्रमण  करने के बाद  ,  देश की  एकता   के लिए एक आम भाषा   के रूप  में   हिंदी को चुना।  वे बड़े  दूरदर्शी  थे।भविष्य के ज्ञाता थे।

उन्होंने   चेन्नै  को केंद्र बनाकर  दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना की।  1918 में स्थापित यह संस्था निस्वार्थ देश भक्त  प्रचारकों के अथक परिश्रम से फूली-फली।
1965 -67में हिन्दी का विरोध चला।बसें जलाई गयीं।रेल जले। कई हिंदी प्रचारक  क्रातिकारियों के कारण  अपमानित हुए।हिंदी के नाम्  लेनेवालों की जान का  खतरा था।
उस समय मैं हिंदी के प्रचार क्षेत्र में आया।मेरी मां  गोमतिजी और मामा सुब्रह्मणि यम जी सब हिंदी प्रचार  में लगे थे। तिरुच्चिहिंदी प्रचार सभा के सचिव टी।पि।वीराराघवन जी, संगठक  श्री  ई।तन्गाप्पंजी,श्री आर।के।नारासिम्हनजी ,श्री वि।एस।राधाकृष्णन जी, श्री सुमतींद्र,श्रीमती मीनाक्षीजीसब  सभा  की सेवा में लगे रहे।
श्री मति प्रेमाजी कालेज के  प्राध्यापिका के साथ हिंदी प्रचार में लगी रही।मदुरै में जी।पि।माधावाचारीजीऔर उनके दोस्त प्रचार कार्यमे लगे रहे।सेलम में बालाकंदसामी 
जैसे प्रचारक थे। तमिलनाडु  के  पलानी केंद्र में मैं और मेरी माँ  बिलकुल हिंदी प्रचार मुफ्त  में कर रहे थे।माँ  आज भी कर रहीं हैं।19667 से 1977 तक हिंदी सेवा के बाद 
मुझे सरकारी aided  स्कूल में नौकरी मिल गयी। चेन्नैमें  हिंदी के प्रचार में लगा। लेकिन यहाँ प्रचार दुसरे ढंग का था। जो भी हो सभाके संकट  काल में  मैंने साथ दिया;मेरे संकट कालमें सभा ही साथ दिया।अतः मैं सभा के प्रति आभारी हूँ .

लेकिन आज सभा आमजनता में प्रचार करनेवाले  प्रचारकों के प्रति ध्यान न देकर स्कूल -कालेज की प्रगतिमें लगी है।स्थाई हिंदी प्रचारकों की नियुक्ति में ध्यान नहीं दे रहीं है। सभा केचुनाव  में नए लोग आ नहीं सकते।चुनाव के बाद या पहले  अदालत में मुकद्दमा चल रहे हैं या चल रहे थे।ऊटी में बी।एड।प्रशिक्षण कालेज बंद।
राज्य सरकार का समर्थन भी नहीं;केंद्र सरकारका भी।प्रचार कार्य हो रहा हैं।लाखों की संख्या में विद्यार्थी पढ़ रहे है।
तमिल कवी सम्राट कणणदासन की एक कविता है:
हिंदी मोर नाचो;धीरे-धीरे ;
एक दिन मातृभूमि अपनाएगी।
लेकिन अब हिंदी क्षेत्र में भी  हिंदी प्रचार की ज़रुरत है।
भारतीय भाषाएं अंग्रेजों के जमानेमें  विकास की दिशा में बढ़ रहीं थी।
आजादिके  67 वर्षके  बाद अंग्रेजी जीविकोपार्ज की भाषा बन गयी।
तब भारतीय भाषाएँ --अब जनता को इस दिशा में भी सावधान रहना है और ध्यान देना है।

Thursday, November 8, 2012

तमिल -हिंदी सीखिए

तमिल -हिंदी  सीखिए 
  
अंगु  वरुबवन  एन्नुडैय  नन्बन .===जो वहाँ आता है,वह मेरा दोस्त है।=அங்கு  வருபவன் என்னுடைய  நண்பன்.
उण मै   पेसुबवनिन   उल्लम  अमैति याक इरुक्कुम==जो सच बोलता है,उसका दिल शांत रहेगा। 
गंगै   आरू ओडुम  नाडू एन्नु डै य   भारत नाडू।==जिस देश में गंगा बहती है,वह मेरा भारत नाडू।
नान पादुम पाडल   तेयवीकमानतु ।==जो गाना मैं गाता हूं ,वह दैविक है।

Wednesday, November 7, 2012

तमिल-हिन्दी सीखो। "अपना " का प्रयोग

तमिल-हिन्दी   सीखो।

"अपना "   का  प्रयोग

राम  अवन  मनैवियै नेसिककिरान ==राम उसकी  पत्नी से प्रेम  करता  है।(अन्य  पुरुष )

हिन्दी   के समान  ही  अवन -उसकी   अन्य पुरुष

तन्नुडैय =अपना

राम  अपनी पत्नी  से प्यार करता  है।= रामन   तन्नुडैय   मनैवियै नेसिक्किरान।

अवन  तन्नुडैय  कारै   ताने  ओट्टूकिरान ===वह अपनी गाडी खुद चलाता है।  खुद =ताने।

वह अपने निजी  घर में   रह्ता है।==अवन तन  सोंद  वीटटिल   वसिक्किरान। .   (निजी=सोंद )

नान  एन्नुडैय  वीटटिरक्कुप  पोकिरें।==मैं   अपने घर जाता  हूँ .

(तमिल  में अन्य पुरुष में ही तन ,तन्नुडैय  का   प्रयोग होता  है।)

नी उन्नुडैय  =तुम अपना

नान  एन्नुडैय  =मैं   अपना

नांगल  एन्गलुडैय  ==हम हमारा





Monday, November 5, 2012

तमिल-हिन्दी सीखो करण कारक =से=आल


तमिल-हिन्दी  सीखो 
करण  कारक =से=आल  

मनितन   कणकलाल पार्क्किरान।==मनुष्य आँखों से देखता है।

मनितन  कातुकलाल  केटकिरान =मनुष्य  कानों से  सुनता है।

मनितन  मूक्काल  सुवासिक्किरान= मनुष्य नाक से सूंघता है।

मानितन  नाक्काल  रुसी पार्क्किरान=मनुष्य जीभ से स्वाद लेता है।

मनितन पर्क्कलाल कटिक्किरान।==-मनुष्य दांतों से काटता है।

कण= आँख 
कातु =कान 

मूक्कू =नाक 

नाक्कु =जीभ 
पल=दाँत 

आल =से =(करण  कारक)

कण +आल=कणणाल  = आँख से 

कणकल =आँखें =आँखों से 
मूक्कु  +आल =मूक्काल =नाक से 

नाक्कू +आल =नाक्काल ==जीभ से 

पल +आल=पल्लाल =दाँत से 

पर्कल =दाँत 
पर्कलाल =दांतों से 











Saturday, November 3, 2012

तमिल -हिंदी सीखो था;थे;थी;थीं।

तमिल -हिंदी सीखो ---था;थे;थी;थीं।

अपूर्ण -भूत =  तोडर इरंद कालम 

रामन  पाडिक्कोंडिरुन्तान = राम  गा रहा था।=राम =रामन (तमिल में )

सीतै   तुणी   तुवैत्तुक कोंडिरुन्तान .==सीता कपडा सी रही थी।

पैयन  पडित्तुक  कोंडिरुन्तान .= लड़का पढ़ रहा था।

था=इरुन्तान  
थी= इरुन्ताल 
थे और थीं = इरुन्तार ;इरुन्तोम ;इरुन्तार्कल; इरुन्तनर; इरुन्तन;

पिताजी थे= अप्पा इरुन्तार;
माताजी थे=अम्मा इरुन्तार।
लड़के थे--पैयन्कल  इरुन्तनर ./इरुन्तार्कल।
कुत्ते थे--नायकल  इरुन्तन।

तमिल में उत्तम पुरुष आदर सूचक शब्द  की क्रिया   इरुन्तोम।
हम दिल्ली में थे।==नांगल दिल्लियिल इरुन्तोम।
आप=आदर सूचक केलिए == इरुन्तीर /इरुन्तीर्कल।
आप  हमारे साथ थे ==नींगल एन्गलुडन  इरुन्तीर्कल।

वे थे =अवर इरुन्तार;एक वचन 
वे थे=अवर्कल इरुन्तार्कल (बहुवचन)

गांधीजी थे=गाँधी    इरुन्तार।

गांधीजी और तिलकजी थे।-गान्दिजीयुम  तिलकरुम इरुन्तनर।।




hamaare guru shiv-2




शिव भगवान के दाये हाथ में डमरू है.संसार के कारक समस्ती सप्त स्वरुप का सूचक है वह डमरू.समझाने  केलिए कहें तो सतगुरु के हाथ में उनकी इच्छानुसार विस्तृत और संकुचित करने के लिए है.यह संसार ब्रह्म ज्ञानी के लिए उसकी इच्छा पर निर्भर है.
शिव के समीप एक हिरन है.वह मृग मन का प्रतीक है.मन चंचल है हिरन सा.उछल कूदने  वाला हिरन मन सा.आत्म -वस्तु मृग-सा  मन  की दृष्टी  तक नहीं पहुंचेगी.इसी कारण से शिव -नटराज के पैर के समीप है.बाघ अहंकार का प्रतीक है.अतः बाघ को मारकर उसका चरम कटी प्रदेश और शरीर को ढका हुआ है.अहंकार का वध नटराज से ही संभव है
भारत  में जितनी धार्मिक सहिष्णुता है,
उतनी और कहीं नहीं है।

मनुष्य  मन  अत्यधिक चंचल हैं।
क्या  वह थोड़ी देर चुप रह सकता हैं।

उस मन को काबू में लाने के प्रयत्न  में  वह हार जाता है।
मानसिक न्यंत्रण एक बड़ी तपस्या  है।
मन को काबू में रखने की बाधाएं  प्राकृतिक है।
अतः अप्राकृतिक न्यंत्रण मुश्किल हैं।

खुशबू,बदबू ,ठंडी हवा  ,गरम हवा,गर्मी,सर्दी,
प्राकृतिक परिवर्तन,उत्तेजना ,प्रेरणा,प्रोत्साहन आदि 
मनुष्य में प्राकृतिक बाधायें हैं।


Friday, November 2, 2012

तमिल और हिंदी सीखो। विना सोर्कल =केल्वि सोर्कल==प्रश्नवाचक शब्द

तमिल और हिंदी सीखो।

विना सोर्कल =केल्वि  सोर्कल==प्रश्नवाचक शब्द 

यार=कौन 
ऍन्न= क्या 
येन =क्यों 
एप्पोलुतू ==कब 

एँगे =कहाँ 

एप्पडी =कैसा 

एतर्क्काका =किसलिए 
यारुक्काक= किसकेलिए 

इतु   एन्न?==यह  क्या है?
इतु  पेना .=यह  कलम है।

इतु   यार ?=यह कौन है?

इवन   पैयन = यह लड़का है।
इवल सिरुमी।=यह लडकी है।
अवल यार?=वह कौन है?
अवल सीता .=वह सीता है।
अवन  यार?=वह कौन है?
अवन रामन।=वह रामन है।