Monday, May 31, 2021

पाषाण की अभिलाषा।

 नमस्ते वणक्कम।

पत्थर की अभिलाषा।

 मैं हूँ पाषाण।

  मानव का मन पाषाण।

 यह तुलना मुझसे

सहा नहीं जाता।

 पत्थर के छेद में

 पक्षी रहते हैं।

 जटी-बूटियाँ पलती है।

मैं मंदिर निर्माण में सहायक।

 मंदिर की सीढियाँ,

 बुनियादी पत्थर,

 सुंदर ईश्वर की मूर्तियाँ,

  स्तंभ,स्तंभ की प्रतिमा एँ,

 गुफाएँ,  सिद्ध पुरुषों की तपस्या आवास।

 मुहम्मद नबी को पैगाम स्थान।

 मेरी तुलना मानव मन से 

न करना।

 मानव मन चंचल।

 गिर गिर समान।

 आज एक धर्म,

 कल एक धर्म।

आज एक मजहब।

 कल एक मजहब।

 आज एक दल 

कल एक दल।

 सद्यःफल न मिलें तो

 ईश्वर परिवर्तन।

 ईश्वर पर विश्वास नहीं,

ज्योतिष पर अंध विश्वास।।

  मैं पाषाण हूँ,सुदृढ।

 बम रखकर चूर्ण करता

 मानव निर्दयी।

कई पहाड़ नदारद।

 प्राकृतिक संपत्तियों को

 मैं सुरक्षा करता हूँ।

 मानव बिगाड़ता है,

 निर्झरी चंचल मानव को 

 मुझसे तुलना न करना।

 मैं अपना अपमान 

सह नहीं सकता।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Sunday, May 30, 2021

बारीश भावना ओन की

 नमस्ते वणक्कम।

नव साहित्य परिवार।

 बारीश भावनाओं की।

मौलिक रचना मौलिक विधा।

 मनोभावनाओं की बारीश,

 आध्यात्मिक मंच,

 ईश्वरीय शक्ति महिमा भजन

 भक्ति भावना,

 तभी मोबाइल की घंटी,

 उठाया तो सुंदर अभिनेत्री का

 अर्द्ध नग्न चित्र, आचार्य के बिस्तर पर, भक्ति भावना 

घृणा में,

दूसरी खबर बलात्कार

 भावना क्रोध ,

लडकी की हालत शोक।

मंत्री के रिश्तेदार ,

नाबालिग की छूट क्रोध।

 खबर रोज मानव मन में

 भावनाओं की बारीश।।

चित्रपट नायक

 बदमाश अनपढ।

सुन्दरी पर नज़र,

अन्याय के विरुद्ध 

 अकेला मेशिनगनों से,

 हस्त बम से बचता

 पुलिस को मारता पीटता

 कानून की रक्षा। वही रक्षक।

दर्शकों के मन में 

श्रृंगार,भय,क्रोध,घृणा,वीर,

 भक्ति भावों की वर्षा।

 भावनाओं की बारीश।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Saturday, May 29, 2021

सुविचार

 नमस्ते वणक्कम।

मानव का मन

सदा  चंचल ही नहीं

सद्यःफल  की माया में

  ईश्वर  के रूप 

बदल देता है,

नेता बदल देता है

अपने सिद्धांत

 बदल देता है

अपने विचार बदल देता है।

न्याय मार्ग 

बदल देता है।

परिणाम स्वरूप

मानव अपनी

 मानवता

खो देता है।

अपनी एकता

 खो देता है।

 भगवान की भक्ति में

स्वार्थ वश

भिन्न मजहब,

भिन्न रूप

भिन्न भेद

  भिन्न संप्रदाय।

 भगवान एक 

पंथ अनेक।

परिणाम 

  चापलूसी 

बन जाता है।

 भक्ति  स्वार्थ।

भक्ति धंधा।

पंच तत्व सब को

देते समान फल।

हवा  एक समान।

हवा में फैलती बीमारी 

एक समान।

विष किरीट कीटाणु

(कोराना)

हिंदु मुस्लिम ईसाई नहीं देखता।।

 भगवान के विविध रूप,

विविध मार्ग मानव सृष्टि।

  अतः न शांति।।

 न धर्म ।

न सत्य।

 भक्ति बन रहा है

जीविकोपार्जन का साधन।

अतः भक्ति में है 

प्रदूषण।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

सुविचार

 नमस्ते वणक्कम।

 हिंद देश परिवार,

महाराष्ट्र इकाई।

30-5-2021.

सुविचार।

    मनुष्य में 

मानवता जगानी है।

आजकल कोराना काल है।

 विचार प्रदूषण अति भयंकर।

  खाद्य-पदार्थों में ,

 मिश्रण जहरीला।।

 दूध में तेल में भी

 नकली तेल।।

 मानव में भी मिश्रण।

 भारत में देश भक्त सही।

 देशद्रोही हैं ज्यादा।।

 भ्रष्टाचारियों की कामयाबी।

 सत्यवानों का 

अस्तित्व मिटना।

 हिरन और बाघ की 

शादी समान।।

 अहिंसा में हिंसा को मिलाना,

 सत्य में असत्य को मिलाना।

 संयम में असंयम को मिलाना,

ईमानदारी में बेईमान मिलाना,

 विचार प्रदूषण ।।

 कहते हैं कलियुग की बात।।

ग़लत है यह 

युग युग की बात।।

 ऋषिमूल नदी मूल

 मत देखना।

 कबीर का जन्म ग़लत,

कर्ण का जन्म गलत।

 जन्म से बढ़कर कर्म।

कबीर तो वाणी का डिक्टेटर।

 कर्ण तो दानवीर, 

कृतज्ञता का प्रतिबिंब।

 यहां काव्य में 

विदुर नीति का महत्व।

 फिर भी विदुर बहिष्कृत।।

पिता एक,पर माँ अलग।

 यही विचार प्रदूषण।।

 अतः जन्म से दूषित कबीर

 सुधारवादी का कहना है--

जाति न पूछो साधु की ,पूछ लीजिए ज्ञान।।

मोर करो तलवार का,

पड़ा रहने दो म्यान।।

 निंदक को 

दूर रखना है या पास।

 निंदक हमारे शुभ चिंतक।

"निंदक नियारे राखिए,आंगन कुटीर समाय।

 वे तो सतर्क की घंटी बजाएँगे।

हमें प्रदूषण से बचाना है,

खासकर विचार प्रदूषण से।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

हवा

 नमस्ते वणक्कम।

भगवान है पंच तत्व।

हवा नहीं देखती

भेदभाव।

केवल अल्लाह के भक्तों को ही नहीं,

केवल ईसा के भक्तों को ही नहीं,

शिव, राम,कृष्ण,

विष्णु भक्तों को ही नहीं सब के लिए बराबर।

हवा नहीं तो

सब मजहबी साँस

घुटकर मर जाते।

पानी को तो

बाँध बाँधकर 

रोक सकते।

 पानी पीने

 जा सकते हैं।

पर हवा न तो आग बुझ जाता।

सभी जीवरासियों के

प्राण पखेरु उड़ जाते।

वायु से फैलती बीमारियाँ,

वह नहीं देखता

मजहबी भेद।

मानवता प्रधान न तो

मानव जानवर सब बराबर।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


Friday, May 28, 2021

पिता

 नमस्ते वणक्कम।

कलम बोलती है।

विषय पिता।

तिथि 28-5-2021

विधा मौलिक रचना तो विधा भी मौलिक।

++++++

  पिता  पिछले 

जन्म का कर्म फल।

 पिता की आमदनी

  परिवार के लिए।

 विदेश में एकांत,

 उनको अपने 

माता पिता की चिंता।

भाई बहन की चिंता।

 अपनी पत्नी की विरह चिंता।

 अपने बच्चों की तुतली बोली 

 न सुनने की चिंता।

 इन सबको सानंद रखने

कमाने की चिंता।

 वीर सैनिकों की अपनी चिंता।

 घर का खाना नहीं,

 अपने प्यारे बच्चों की तुतली बोली सुनने का अवसर नहीं।।

 अपनी मन पसन्द पहनने ओढ़ने की चिंता ,

 वह तो बेचारा भला आदमी।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

अनादर

 नमस्ते। वणक्कम।

साहित्य बोध।

28-5-2021.

विषय  :अनादर।

विधा

मौलिक रचना मौलिक विधा

**************

 आदर मिलना कठिन है,

 अनादर मिलना 

अति आसान।

 ईमानदारी सेवा का तो

 अनादर तत्काल।।

 मैं तो अध्यापक ,

 परिक्षा भवन में सख्त।

अंक देने में सख्त।

 जो फीस लेकर 

 प्रश्न पत्र देते,अंक देते,

 नकल करने छोड़ते

 उनका आदर सद्यःफल।।

अनादर ईमानदारी  की।पर प्रशंसा होती  ज़रूर।

 अवकाश प्राप्ति के 

 बिदाई समारोह पर।

 यही कहते  में तो

 हमारी कमाई पर बाधक।।

 शिक्षा छोड़ दीजिए,

सांसद विधायक 

पैसे के बल पर चुने जाते हैं।

  देश भक्त प्रलाप करते हैं।

  दरिद्र रहते हैं, अनावरित।

 आदरित सम्मानित लोग,

  सत्य कर्तव्य धर्म पर 

अधिक बोलते।

यह राजनैतिक बहुरंगी लोग।।

आध्यात्मिक क्षेत्र भोग रहित 

त्याग का क्षेत्र।।

हीरे-जवाहरात अलंकृत भगवान,

  स्वर्ण सिंहसन , मुकुटधारी

 आचार्य भक्तों से कहते,

 त्याग मय जीवन ध्यान कर।

 अनासक्त रह , गुरु दीक्षा दस हज़ार।

 बाह्याडंबर आदरित।

रैदास जैसे फुटपाथ संत

 अनादरित।

 ऐतिहासिक काव्यों में

 जो अनादरित

 वे ही स्थाई सम्मानित।

 पर आर्थिक दृष्टि से अनादरित।।

 चायवाला अनादरित।

 मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आदरित।

 भगवान भी बाह्यडंबर न तो

 अनावरित जान।

 सीधे सादे कपड़ों का

विद्यासागर अनादरित।

 वे ही बहुमूल्य कपड़ों से आदरित।

 अनावरित सब दिव्य तुल्य।

 आदरित सब शासक।

ताजमहल आदरित।

 मुमताज को शाहजहाँ कैसे

 अपनाया वह अनावरित।।

कुंती आदरित,

कर्ण को बहाना अनावरित।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

परिणय

 परिवार दल।

नमस्ते वणक्कम।28-5-2021.

परिणय 

मौलिक रचना मौलिक विधा।

  परिणय 

 भगवान की सृष्टियों का 

सहज प्रवृत्ति।।

 शादी के पहले भी

 तड़पता मानव।

 शादी के बाद भी

तड़पता मानव।

 शादी के पहले धड़कनें ।

 शादी के बाद भी धड़कनें।

पहली तड़प में,धड़कन में

श्रृंगार  रस संयोग वियोग का।

दूसरी धड़कनों में

आशा,निराशा,संतान पालन।

जिम्मेदारियों से भरा जीवन।

सुपुत्र -कुपुत्र,

स्वस्थ अस्वस्थ पुत्र।

प्रतिभाशाली ,

 मंद बुद्धि।

कुंती देवी का परिचय।

 सीता का परिणय।

खान गा़ँधी का परिणाम।

 व्यवस्थित,

अव्यवस्थित

जातीय,

अंतर्जातीय।

राष्ट्रीय,

अंतर्राष्ट्रीय।अ़ंतर्मजहबी।

 सब भाग्यशाली नहीं।

।भगवान की लीला।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

Wednesday, May 26, 2021

मानव सेवा।

 [27/05, 9:25 am] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम।

 मानव सेवा  

 दिन ब दिन 

बढ़ता ही रहता है।

पर  जिनकी सेवा करनी है,

उनकी सेवा नहीं करते।

 हर साल भगवान की सुंदर मूर्तियाँ करोड़ों रुपए ,

 भगवान का छिन्न भिन्न रुप

 अपमानित करने।

बाह्याडंबर की भक्ति।

   झोंपड़ी वासी केवल 

वोट के लिए।

 वहीं बद्बू ,

कच्ची सड़कें

 नशे में लड़ाई,

  मानव सैलाब कहाँ?

 नारियल तोड़ना भी एक दान।

 गणपति के सामने ऐसे 

नारियल फेंकना भक्ती के नाम दान।

 कई टुकड़े उन्हें लेंगे गरीब।

 पर आजकल ठेकेदार के हो गये।

 अब कोराना के समय

 करोड़ों के दान,

 शव‌ जलाने 

 अस्सी हजार तक।

 विदेशी के प्रवासी भारतीय 

शव बंदरगाह में,

 उसे लेने रिश्वत।।

 पोस्टमार्टम रिपोर्ट पाने रिश्वत।

 मानव सेवा महेश्वर की सेवा,

जहाँ करनी है वहाँ बेरहमी।

 वह आजकल नहीं,

सत्य हरिश्चन्द्र के जमाने से।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

[27/05, 9:32 am] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम।

कलमकार कुंभ।

26-5-2021.

रोशनाई।

मौलिक रचना मौलिक विधा।


पाषाण में लिखना,

ताड़ के पत्ते में लिखना।

हाथ में वस्त्र में नीले धब्बे की

 रोशनाई का जमाना 

बीत गया।

जब  मैं स्कूल में पढ़ता था,

अप्रैल पहली तारीख को

 रोशनाई का होली 

 तमिलनाडु में।

पता नहीं उत्तर में भी

 हुआ होगा।

  रोशनाई अब रीफिल में।

 टंकण में, 

संकणिक में 

 मोबाइल में।

 ईमेल है तो हस्ताक्षर की भी 

नहीं जरूरत।

तब रोशनाई 

 पढ़ाई तक।

  रोशनाई न तो

  लिखना असंभव,

  वह जमाना चला गया।।

अब डाकुमेंट रैपर नहीं,

टंकण नहीं।

 संकणक।

 रोशनाई रिफिल में

केवल हस्ताक्षर के लिए।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Monday, May 24, 2021

कविता

 नमस्ते वणक्कम।

सा.स.प.ब.इ।२४-५-२०२१.

विषय  कविता।

विधा

मौलिक रचना मौलिक विधा।

 विभीन्न मनोभावों के

 नवरसों की अभिव्यक्ति है

 कविता।

 ईश्वर भक्ति जगाती 

कविता।

 राष्ट्र भक्ति जगाती 

कविता।

 प्राकृतिक शब्द चित्रण है 

कविता।

 प्रेरणादायक 

कविता।

समाज का दर्पण है 

कविता।

 संयोग रस में मोह,

 वियोग में शोक

 कविता में वर्णन अनुपम।।

 शिक्षाप्रद कविताएँ

 प्रगतिवादी कविताएं,

प्रयोग वादी कविताएँ।

साम्यवाद समाज वाद

कविताएँ।

 

 नर हो, न निराश करो मन को।


बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी हो।


सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हमारा।


मज़हब नहीं सिखाता 

आपस में वैर रखना।।


 तोड़ लेना वन माली,

 उस पथ पर देना फेंक।

जिस पर जावे वीर अनेक।


  सत्यम,शिवं, सुंदरं  के

 अपूर्व रूप कविता।।

  स्व रचित, स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै।

अस्तित्व

 नमस्ते वणक्कम।

 अस्थाई भूलोक में

 अस्तित्व मिटाने की

 धमकी क्यों?

 अस्तित्व मिटाने भगवान तैयार।।

 शैशव  अस्तित्व मिटाकर,

  लड़कपन मिटाकर जवानी।

जवानी मिटाकर प्रौढ़ावस्था।

 प्रौढ़ावस्था मिटाकर बुढ़ापा।

 बुढ़ापे का अंत शव।।

 प्राकृतिक कोप

 सुनामी,भूकंप, सुनामी।

अब कोराना।

 अस्तित्व अपने आप मिटने,

 मिटाने मिटवाने सन्नद्ध।

 समयानुसार अस्तित्व ।

शतृ मिटा देते अस्तित्व।।

 बंदूक,बम,जहर, षड़यंत्र।

 खुद धर्मराज यम तैयार।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।



 


यो

Sunday, May 23, 2021

प्रकाश पुंज तथागत गौतम

 नमस्ते वणक्कम।

 समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान, भारत।


विषय विश्व प्रकाश पुंज तथागत बुद्ध।

 विधा ---

मौलिक रचना मौलिक विधा.

२४-५-२९२१.

 मैं हूँ

 स्वतंत्र भारत का नागरिक।

  स्वार्थ भ्रष्टाचार भरे 

अधिकारी,

 वज़न रखने पर ही

 सरकारी काम।

 करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचारशासन।

 सद्यःफल के लिए देश द्रोह।

 अमीर हो तो,

राजनैतिक नेता  हो तो 

 अपराधी होने पर भी

 बारहों साल का मुकद्दमा रिहाई।।

 पैसे लेकर वोट देनेवाले मतदाता।।

करोड़ों रुपए चुनाव में खर्च।

 लाखों करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार।

 अब बुद्धि की जीवनी 

पढ़ता हूँ,

 राज महल की 

सुख सुविधाएँ तज।

 शाश्वत नियम रोग, बुढ़ापा,मृत्यु के

 शाश्वत कानून से

 अगजग बचाने तपस्या।

 अनशन से अर्द्ध प्राण शरीर।

 अहीर अछूत के उपदेश 

 खीर पीकर,

 छूत अछूत के भेद दूर करने का

 संदेश पाकर,

 अछूत से यह संदेश

 "भूखा भजन न गोपाल".

 पहला समत्व संदेश।

 अहरिन के खीर से ऊर्जा।।

 प्रेम,सेवा, परोपकार,दान धर्म का संदेश।

 सत्य, अहिंसा की प्रधानता।

  वेश्या का मानसिक परिवर्तन।

 वेश्या को आश्रम में स्थान।।

 क्रूर युदध प्रियय निर्दयी

 अशोक,

 निंदनीय घृणित राजा

 महान चक्रवर्ती 

जनसेवक की 

 ख्याति प्राप्त अशोक।

  विदेशों में जिंदा बुद्ध।

एशिया का प्रकाश पुंज

 बुद्ध के चरणों में

 बुद्धम चरणम् गच्छामि।

   क्यों आजकल के सांसद

 विधायक न समझते

 मृत्यु शाश्वत सत्य,

 अब कोराना  

करोड़ पति को भी 

आतंकित  रोग।

 धन  नहीं, 

शुद्धता बचाता मानव को  ।

 त्याग मय जिंदगी  

प्रकाश पुंज तथागत गौतम का जीवन।


  स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी

उम्मीद

 हिंद देश परिवार जम्मू कश्मीर इकाई को नमस्ते।वणक्कम।

२४-३-२०२१.

विषय उम्मीद

विधा 

मौलिक रचना मौलिक विधा

********"""""********"

 कई  दलों में 

 विश्वास उम्मीद,

आशा  ,भरोसा

  लिख रहा हूँ 

भगवान पर भरोसा रखकर।।


कोराना का आतंक,

 उम्मीद है 

इसलिए मानव

 जी रहा है,

जी में भय है तो

जीने का भरोसा न होगा।।

 हमारे भारतीय सनातन,

 आरोग्य मार्गदर्शन पर

 अविश्वास उत्पन्न करके

  अन्य अजनबी शासकों पर

  उम्मीद परिणाम,

   रोग उल्लंघन  शक्ति कम।।

  हाथ पैर धोना,

 घर में प्रवेश करना।

जूता उतारकर अंदर आना।

इस पर खिल्ली उठाकर

 जूते के साथ जाना।।

 पाश्चात्य देशों में,

सर्दी ज्यादा।।

हमारे देश में गर्मी।

उनके समान वर्दी पालन,

 भारतीय रहना सहन बदलना

  भारतीय संस्कृति,

आचार व्यवहार पर

 नाउम्मीदी 

 कोराना का आतंक जान।।

  स्नान करके मंदिर जाना,

जीव नदियों के हरे-भरे देश

 भारत देश आचरण।


 बिना स्नान करके

 मस्जिद गिरिजाघर जाना,

एक  रेतीला प्रदेश,

दूसरा बर्फीला प्रदेश।

पानी नहीं,सर्दी ज्यादा

 विपरीत जलवायु

उन्हीं का पालन भारतीय।

भारतीयता छोड़ जीवन।।

अपने पर उम्मीद नहीं तो

अपने धार्मिक आचरण पर

अपनी भाषा पर,

अपने प्रशासकों पर,

 शासकों पर उम्मीद नहीं,

अपने भगवान पर 

उम्मीद नहीं

 धन ही प्रधान ,

भ्रष्टाचार रिश्वत सद्यःफल पर विश्वास।

  जब अपना उम्मीद खोकर

  विदेशी भाषा पोषाक 

   भोजन पर उम्मीद तो

   उच्च शिक्षा अपनी मातृभाषा पर नहीं,

 अब कोराना से बचने

भारतीय दवा प्रधान।

 जैनाचार्यों का मुख कवच,

 मुनि ऋषियों-मुनियों का  एकांत जीवन  ,

 स्नान,हाथ मुख की सफाई।

 बाहर पड़ोसी खाना न खाना।

पानी,चाय बाहर न पीना,

 पुराने आचरण पर उम्मीद।।

 अगजग में यही प्रचार।

 एक ही थाली में जूठा खाना 

 खाना मना।

 भारतीय संस्कृति का आचरण

 पर उम्मीद रखना,

कोराना से बचने का मार्ग।।

   स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Thursday, May 20, 2021

हिंदुत्व

 नमस्ते। वणक्कम।

साहित्य बोध।

विषय  हिंदुत्व।

 विधा मौलिक रचना मौलिक विधा।

  हम भारतीय  सनातन धर्मी,

  हिंदुत्व एक विशिष्ट सिद्धांत नहीं, विभिन्न विशिष्ट सिद्धांतों का सागर , विभिन्न पंथ धाराओं का संगमम्।

 विविधता में एकता।

 शंकराचार्य का अद्वैत,

माध्वाचार्य का  द्वैत,

रामानुजाचार्य का विशिष्टा द्वैत।

 तुलसी दास की राम भक्ति,

सूरदास की कृष्ण भक्ति।

 लोकनाथ शिव संप्रदाय,

 वैष्णव संप्रदाय।

 आ सेतु हिमाचल की आध्यात्मिक एकता।

दक्षिण से काशी, 

उत्तर से रामेश्वर की यात्रा।

 कैलाश यात्रा,

पूरी जगन्नाथ यात्रा।

  पर हिंदुत्व  की एकता  में

 बाधाएँ,  कारण विभिन्न संप्रदायों के आश्रम।

 तिलक की लड़ाई।

 मत भेद।

जैन बौद्ध संप्रदाय।

एक ईश्वरीय शक्ति 

भारतीय भाषा भेद, ग्राम देवताएँ, वन देवताएँ।

मुगल आक्रमण लूट,

अंग्रेज़ी शासन।

मुगल धर्म, ईसाई धर्म।

धर्म परिवर्तन।

परिवार नियोजन।

 विदेशी धर्म की जनसंख्या बढ़ना।

  विविधताओं में

 विभिन्न पंथों में

 हिंदुत्व  की एकता एक दिव्य शक्ति।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।।

मृत्यु ही अंतिम सत्य

 समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत।

विषय --मृत्यु ही अंतिम सत्य।

विधा मौलिक रचना मौलिक विधा।*******

**********

 कालिदास का ग्रंथ है,

 कालिदास नहीं।

 वाल्मीकि रामायण है,

वाल्मीकि नहीं।

, राम महिमा है,कृष्ण महिमा है, दोनों नहीं।

 बड़े बड़े किले हैं,

 बड़े बड़े मंदिर हैं

जिन्होने बनवाया ,

उनके नाम हैं वे नहीं।

अश्वत्थामा, हनुमान  चिरंजीवी हैं,वे नहीं।

मेरे परदादा नहीं,दादा नहीं,

 माता नहीं,पिता नहीं।

 राहुल हैं,राजीव नहीं, इंदिरा गाँधी नहीं, फेरोज़खान नहीं।

भारत है,भरत नहीं।

मृत्यु ही अंतिम सत्य है।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

इंतजार

 सब को प्रणाम।

वणक्कम।

20-5-2021.

इंतजार।

 विधा ---

मौलिक रचना मौलिक विधा

-------

परीक्षा फल की प्रतीक्षा।।

 नौकरी की प्रतीक्षा।

 प्रेमी प्रेमिका का राह देखना।

 नौकरी,शादी, सुहागरात।

  इंतजाम और इंतज़ार।।

  संतान की प्रतीक्षा।

  पदोन्नति की प्रतीक्षा।

 संतान को सुयोग्य 

देखने की प्रतीक्षा।

 सुशासन की प्रतीक्षा।

  कदम कदम पर प्रतीक्षा।।

 यही जिंदगी है।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Tuesday, May 18, 2021

विद्रूप

 नमस्ते वणक्कम।

नव साहित्य परिवार।

विद्रूप होते बोल।

मौलिक रचना मौलिक विधा।

  बोलने में मजा,

  विद्रूप तरीके में।।

  कुछ  दिखाओ ,

 कुच दिखाओ।

 जवानी की बातें।

 बुढ़ापे में अश्लील बातें।

 अध्यापक के लिए हिज्जे की गल्ती ।

 चित्र पट के लिए द्विसंवाद।

 मैं अध्यापक के नाते

 कितने विद्रूप शब्द।

 तमिल भाषा में 

एक ही "प "।

 पाप,बाप,भाप।

  मेरे पाप आए/बाप आए/ भाप आए।

  अक्षर मात्र सिखाना,

 तमिल में परेशानी।

 पचाओ பசாவோ.

बजाओ/बचाओ। 

 दोनों के भेद मुश्किल।

 वैशाखनंदन बैठिए,

 क्यों गृह पाठ नहीं लिखा।

 वैशाखनंदन तो गधा।

 सुनने में नंदकुमार जैसा आनंद।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Friday, May 14, 2021

समय

 हिंद देश परिवार दिल्ली इकाई।

14-5--2021.

विषय --समय

विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा।

************

समय तो चलता रहता है।

 हर पल हमारी उम्र बढ़ती है।

 एक फिल्म गाना है---

कुछ पाकर खोना है,

कुछ खोकर पाना है।

 शैशव ,बचपन, जवानी,

 प्रौढ़, बुढ़ापा,

 यह फिल्म गाना

 सूक्ष्म वेदों की बातों की

  सरलीकरण।

जवानी शादी संतान।

 बुढ़ापा पोता, पोती,

बहु, दामाद,

इतने नाते रिश्तेदार।

 पर जवानी चली गई।

जवानी का भोजन 

 पत्नी की जवानी,

पति की जवानी को चुके।

 पर समय को चुके हैं,

 करोड़ रुपए हैं,

 हमारी उम्र अस्सी।

 वैज्ञानिक साधनों में

 परिवर्तन।

  पर हमारे शारीरिक बल,

  इतना दुर्बल,

  कान में अस्पष्ट ध्वनि।

 आँखों के सामने 

अस्पष्ट दृश्य।

  पैरों का तेज़ कम।

 बोलना अस्पष्ट।

  समय चला गया।

  अंतिम समय आएगा।

  समय खोतै हैं पाना असंभव।

 कबीर का कहना है,

 कल करै तो आज,

आज करै तो अब ।

पल में प्रलय  होएगा।

 सुनामी, कोराना, भूकंप

 दुर्घटना  प्राकृतिक कोप।।

  बुढ़ापा हमें मालूम है।

   मृत्यु है शाश्वत।।

 आछे दिन पाछे गये।

अब हरी से होता क्या?

 भगवान भी 

कुछ नहीं कर सकता।

 शुभस्य शीघ्रम्।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Wednesday, May 12, 2021

मित्रता की जाँच

  791से800.

मित्रता  की जाँच।

791.मित्रता बनाने के पहले  सोच-समझकर  जाँचकर बनानी चाहिए। बिना परीक्षा करके  मित्रता बनाने से बढ़कर और कोई बुराई नहीं होगी।मित्रता छोड़ना मुश्किल होगा।


2. बिना सोचे-विचारे समझे

  जाँचे  बनायी मित्रता से जान भी जा सकती है।

3.किसी के मित्र बनने के पहले उसके वंशगत गुण,दोष आदि की परीक्षा लेना अनिवार्य है।

4.उच्च कुल में जन्म लेकर अपने  बदनाम और अप्रशंसा  से जो लज्जित होता है,उसकी मित्रता मोल लेकर भी करनी चाहिए। उससे भला ही होगा।

5. अपराधियों को कठोर निंदा करके रुलाने सुधारने वालों से ही मित्रता बनानी चाहिए।

6.हमें जब दुख होता है तभी दोस्तों-यारों की असलियत प्रकट होती है। अतः दुख भी भला ही है।

7.  बुद्धु लोगों की मित्रता तजने में ही फायदा है।

8.हतोत्साह के कर्म तजना चाहिए। वैसे ही कष्ट के समय मदद न करनेवालों की दोस्ती तजनी चाहिए।

9.कष्ट के समय साथ  नहीं देने वाली मित्रता मरते वक्त में भी दुखप्रद होगा।

10.निरपराधियों  को मित्र बना लीजिए। अपराधी मित्र को पैसे देकर छोड़ दीजिए।



Tuesday, May 11, 2021

सावधानी

 सावधानी।

हिंद देश परिवार को 

नमस्कार। वणक्कम।

 सावधान। 

विधा मौलिक रचना मौलिक विधा।

11-5-2021

सावधान 

रोगाधि रोग कोराना,

 किरीट विषाणु पधार रहा है।

वह मानव प्राण लेने तैयार हैं।

  सावधानी से घर में ही रहें।

   सावधान। 

गर्म पानी ही पिया करें।

  अदरक, काली मिर्च, जीरा,

 अजवायन ,लेना।

भृंगराज भी,अजवायन पत्ते।

लेना,

बाहर का खाना मना।

कंटकारी लता आदि । सावधानी से रहना।

 सरकारी सूचनाओं को

 अक्षरशः पालन करना।।

 सावधानी  हर काम में आवश्यक।

  दुनिया विचित्र है,

  कदम कदम पर 

सावधानी बरतें।

 भगवान पर ही

 भरोसा रखना।

 सावधान ।

 अनावश्यक घूमना बंद करना।

 कोराना काल  

धन से कोई 

 लाभ नहीं है।

अधिकार,पद से प्रयोजन नहीं।

 सावधान। 

आत्म नियंत्रण ही 

प्राण  रक्षक । सावधान।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

आग में तपकर स्वर्ण चमक

 कलमकार कुंभ।

नमस्ते वणक्कम।

 विषय  

आग में तपकर ही  

स्वर्ण दमकता है।

विधा मौलिक रचना

 मौलिक विधा।

*********

   स्वर्ण आग में  

तपकर ही चमकता है।

 स्वाति नक्षत्र की बूंद ही 

  सीपी में गिरकर 

मोती बन दमकता है।

  मानव तो आग में  

  बच नहीं सकता।

   काला बन जाता है।

 मानव को भक्ति की 

आग में तपना  है।

 परिश्रम की आग।

 कोशिश की आग।

 कोराना विष किरीटाणु जलाने जलवाने तैयार।

 सावधान से रहना।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

मजदूर

 नमस्ते वणक्कम।

हिमाचल इकाई साहित्य संगम।

मजदूर।

 अमेरिका में मजदूर कम।

 मजदूरी ज्यादा ,

हर काम खुद कर लेते।

 मशीनीकरण की दुनिया।

फिर भी बगैर मजदूर के 

काम नहीं चलता।

कूड़ा उठाना जरूरी।

नगर सफाई जरुरी।

 भारत में तो नौकर रखना 

बड़े गौरव की बात।।

  चपरासी के बगैर न कोई काम चलता जान।।

 वाशिंग मशीन में कपड़े डालने 

 निकालने ,बर्तन मांजने नौकरानी।

 अस्पतालों में वार्डवार।

 ग्रेवल , कंडक्टर ,मेहनती।

हर काम में मजदूर न तो

करना अति मुश्किल जान।

कार में से उतरने ,

दरवाजा खोलने के लिए भी नौकर।।

 बगैर नौकर के जीना मुश्किल।।

मजदूरों को नमस्कार।

शुभकामनाएँ।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Saturday, May 1, 2021

मजदूर

 नमस्ते वणक्कम।

हिमाचल इकाई साहित्य संगम।

मजदूर।

 अमेरिका में मजदूर कम।

 मजदूरी ज्यादा ,

हर काम खुद कर लेते।

 मशीनीकरण की दुनिया।

फिर भी बगैर मजदूर के 

काम नहीं चलता।

कूड़ा उठाना जरूरी।

नगर सफाई जरुरी।

 भारत में तो नौकर रखना 

बड़े गौरव की बात।।

  चपरासी के बगैर न कोई काम चलता जान।।

 वाशिंग मशीन में कपड़े डालने 

 निकालने ,बर्तन मांजने नौकरानी।

 अस्पतालों में वार्डवार।

 ग्रेवल , कंडक्टर ,मेहनती।

हर काम में मजदूर न तो

करना अति मुश्किल जान।

कार में से उतरने ,

दरवाजा खोलने के लिए भी नौकर।।

 बगैर नौकर के जीना मुश्किल।।

मजदूरों को नमस्कार।

शुभकामनाएँ।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

अपनों का ग़म

 कलमकार कुंभ को नमस्कार वणक्कम।

 अपनों का ग़म।

 मौलिक रचना मौलिक विधा।

 पड़ोसी की नौकरी चली गई।

 पछताते हैं, दिलासा देते हैं।

वहीं हमारे खून के रिश्तों में हुई तो  दिल अधिक दुखेगा।

 ‌रास्ते पर दुर्घटना,

 अपरिचित हो तो  दुख कम।

हमारे दिली दोस्त हो तो 

 गम ज्यादा,

मदद के लिए दौड़ते ।

वहीं अपने खून के रिश्ते हो तो

तुरंत उठाते, 

अस्पताल में भर्ती करते।

पैसे भी खर्च करते।।

 और अपनों  की मृत्यु हो तो

 अपने को सांत्वना देना मुश्किल।

 अन्यों को कई उदाहरण से

 दिलासा देते, पर 

 अपनों का ग़म सभा नहीं जाता।

कुत्ते अपने मालिकों के प्रति कृतज्ञ,न अन्यों के।

घोड़े,गाय सब पशुओं में भी य गुण।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।