Wednesday, April 28, 2021

मेरे विचार

 नमस्ते वणक्कम।

 नव साहित्य परिवार।

संयम जरूरी है।

 विधा मौलिक रचना मौलिक विधा।

***********

 मन का नियंत्रण,

 पंचेंद्रियों  का नियंत्रण।

 सनातन धर्म  की नसीहतें,

 साधु संतों का उपदेश।

मन के अनुकूल चलना

मनमाना करना प्रगति नहीं है

 मानव जाति की।

  कछुए जैसे पंचेंद्रियों को

 काबू में रखना चाहिए।

 संयम रहित जीवन 

  लिंग रोग के कारण।

 शराब ,सिगरट फेफडों के 

 नाश के कारण।।

 संयम हीन तन 

धरती का नरक ।

मानव मरेगा नहीं,

 भूलोक में ही 

जिंदा  रहकर दीर्घ

नरक का अनुभव करेगा ही।

लौकिक माया लौ किक

 मानव पर नशा चढ़ाएगा।

अश्लील चित्र,बुरी संगति,

  रंडियों की शाला, मधुशाला

माया जाल भूलोक का स्वर्ग नहीं, नरक जान।

 अश्लील गाना विचार प्रदूषण।

 जितेंद्र न होना जीवन  के

संतोष, आनंद,चैन खोना जान।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Sunday, April 18, 2021

ईश्वर आराधना/वंदना

 ईश्वर भक्त,ईश्वर मंदिर जाते हैं,

इष्टवर पाने, मनोवांछित अभिलाषा पूरी होने।

अगजग के अनंत सुख-वैभव मिलने,

पुजारी के इशारे पर है नाचते।।

प्रायश्चित करते हैं,चित्त में है विषय वसना।

भ्रष्टाचार करते हैं,भ्रम में पड़ते हैं।

कृष्ण के भक्त हैं,पर कृपण बनते हैं।

कृत कर्म फल बोझ बनते हैं।।

कृतज्ञ के पालन न करते हैं,

कृ‌तघ्न बनते हैं।अधर्म कर्म में सद्यःफल।।

संत कवि वळ्ळुवर का तिरुक्कुरल यही कहता,

सभी प्रकार की कृतघ्नता की मुक्ति है,पर

न मुक्ति न पाप विमोचन कृतघ्नता का।।

क्लेस ही बचता,बचाता नहीं कृष्ण।।

पापों के बोझ में, प्रीति भोज भूल जाते।।

  श्री कृष्ण की कृपा कटाक्ष के लिए,

कृष्ण प्रेमी बनना,भक्ति प्रीति भोज में।।

ईश्वर भक्ति का मूल, ध्यान कर्म में।।

उतना ही फल पाओगे,जितना सत्कर्म करोगे।।

प्रार्थना के अनुपात में पुण्य फल मिलेगा ही।

 परिश्रम के अनुपात में लक्ष्मी का अनुग्रह।।

धर्म कर्म के अनुपात में ईश्वर का अनुग्रह।।

भगवान दास  अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
















Friday, April 16, 2021

नीड

 कलम बोलती है साहित्य समूह को सादर प्रणाम।

  चित्राधारित।

 नीड़।

 पक्षी अति स्वावलंबित।

अपने घर खुद बनाते।

 देख  मेरे मन में  ईर्ष्या।

 न रेत की चिंता,न ईंट की।

न बैंक लोन की चिंता।

 न मीयाद की चिंता।।

 न  भविष्य की चिंता,

अपना घोंसला,

अपना परिश्रम।

आत्मनिर्भरता।

मानव से स्वाभिमान है पक्षी।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

होना चाहिए

 नमस्ते वणक्कम।

सारथी दल।

 आन--होना चाहिए।

 अभिमान/स्वाभिमान होना चाहिए।

 अपने धर्म पर 

सुदृढ होना चाहिए।

 अपनी संस्कृति की

 रक्षा होनी चाहिए।

 मातृदेश , मातृभाषा 

शाश्वत होना चाहिए।।

 भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी से

 नफ़रत होना चाहिए।।

 भगवान पर 

भक्ति होनी चाहिएं।।

 भारत के गौरव की 

रक्षा के लिए प्राणार्पण के लिए

 सन्नद्ध होना चाहिए।।

  धर्म की रक्षा,

अधर्म का हार।।

अवश्य होना चाहिए।।

भगवान पर भरोसा होना चाहिए।।

 धर्म रक्षा के लिए

 जवानों में जागरण होना चाहिए।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।।

Wednesday, April 14, 2021

तन्हाई

 Anandakrishnan Sethuraman

नमस्ते वणक्कम
१४-४-2021
तन्हाई
बार बार यही शीर्षक ,
क्या करूँ एकांत में सोचा ,
बेगम के गम से दूर रहने सोचा।
तन ,मन दोनों अलग कर सोचा
अँधेरे कुएं में बैठे तपस्वीं तुलसी दास की याद आयी।
गुफाओं में बैठे तीर्थंकरों की याद आयी.
बुद्ध की याद आयी।
मुहम्मद नबी की भी याद आयी।
मेरी जन्म कुंडली में न लिखा था दिव्य ज्ञान।
तन के वज़न तो बढ़ा ,पर न नया ज्ञान।
अकेले बैठा तोंद तो बड़ा ज्ञान नहीं मिला।
बीबी आयी ,काफी पिलाई ,बेटा आया पोते भी।
तन्हाई बंधन से पारिवारिक बंधन अच्छा लगा ,
मैं तो मामूली हिंदी प्रचारक ,अंग्रेज़ी अध्यापक जैसे लुटेरा नहीं।
अब अकेलापन छोड़ मुख पुस्तिका में
तन्हाई तो दिव्य पुरषों का ज्ञान। केवल एक कान में सुनकर दुसरे कान में छोड़ देता।
स्वरचित

माँ की भेंट

 माँ सब को प्रणाम।

साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई १४-४-२०२१
माता की भेंट।
सब को मालूम है माता की भेंट
कुच दूध। प्यार। ममता।
मातृ भाषा ,मातृ भूमि।

मेरी माँ ने भी सब कुछ दिया ,
पर जब वह गर्भवती थी ,उसके गर्भ के अँधेरे में था ,
तभी उन्होंने हिंदी सीखी। अभिमन्यु सा मुझे हिंदी ज्ञान मिला।
पर जन्म लेने के बाद भी हिंदी सिखाई।
अभिमन्यु की माता सुनी ,अभिमन्यु ने सीखा।
अतः वह आधा जान सका ,अल्पायु में चल बसा.
मेरी माँ खुद सीखी सिखाई।
मेरी माँ की अमूल्य भेंट हिंदी ज्ञान।
अंदर जाने बाहर आने अगजग में आज
मित्रता पाने मेरी माँ की बे कीमती भेंट हिंदी।
आज मैं साहिया संगम संस्थान आ सेतु हिमाचल में
अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति में
लिखता हूँ तो वह हिंदी ज्ञान मान की भेंट।
हीरे पन्ने प्लाटिनम को तो है मूल्य।
पर माँ की भेंट हिंदी बहु मूल्य।
आज जग की तीसरी बड़ी भाषा
ढाई लाख की खड़ी बोली बाज़ारू हिंदी।
संस्कृत की बेटी उर्दू की सहोदरी।
मेरी अपनी माँ ,अहिन्दी भाषी ,
तमिलनाडु के विरोध आंदोलन
बसें जलती ,रेलगाड़ियाँ जलती ,
हिंदी मुर्दाबाद का नारा गली गली में
तब मेरी माँ की प्रेरणा हिंदी प्रचार।
छात्र आते वर्ग चलता बिलकुल मुफ़्त।
मेरी मान की भेंट माँ की भेंट हिंदी। .
स्वरचित स्वचिंतक से। अनंतकृष्णन ,चेन्नई
तमिलनाडु के हिंदी प्रेमी प्रचारक

Tuesday, April 13, 2021

उडान

 नमस्ते वणक्कम।

उड़ान।

    उड़ान  

 हम कल्पना में उड़ते हैं,

 मनोवेग का उड़ान

 वायु वेग से तेज़।

 चित्र पट देखते-देखते

 नायिका नायक दोनों की कल्पना उड़ान।।

 मंदिर के जाते ही,

ईश्वर की शक्ति का उड़ान।।

 जिंदगी में काल्पनिक उड़ान,

आशा , अभिलाषा की पूर्ति।।

काल्पनिक उड़ान में 

प्रधानमंत्री,विश्वकवि वैज्ञानिक।

ये उड़ान आशा का‌न तो

जिंदगी  बन जाती रेगिस्तान।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Monday, April 12, 2021

आँखें

 नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश 

१२-४-२०२१.

विषय  आँखें।

विधा  --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

 -------++++

 आँखें न तो न आनंद 

प्रकृति छटा का।

 बहरे, गूंगे तो संभल सकते।

 नेत्रहीन लोगों का जीवन

 अति मुश्किल अति परेशान।।

 आँखें चार होने में प्यार।

आँखें लाल होने में क्रोध।।

 आँखों से ही पता चलता,

सच्चे झूठे चेहरे।।

 आँखें बोलती है,

 आँखें घुमाने में प्रेम,

 नफ़रत,

बदला लेने की भावना।

अभिनेत्री अभिनेता की आँखें,

केरल के प्रसिद्ध कथकली पात्र की आँखें अति विचित्र।

 नव रसों को दर्शाता।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

छंद अलंकार

 मैं पहले ही कह चुका,लिख चुका,

  मौलिकता है तो मेरी अपनी शैली,अपनी भाषा,अपनी भावाभिव्यक्ति। 

हिंदी मेरी अपनी मातृभाषा नहीं है।

  

 बैलगाड़ी,तांगा,

पेसंचर,मेल जेट 

विमान हेलिकाप्टर 

 समयानुकूल परिवर्तन।


   अब हम खड़े हैं ,

खड़ी बोली, 

दो लाख की भाषा! 

अब हिंदी ,विश्व की तीसरी भाषा।

 संस्कृत की बेटी,उर्दू की सहोदरी।।

 अवधि,व्रज, मैथिली ,कहाँ?

 भाव अच्छा  है,

समझ में आना है।

 वाल्मीकि से

 तुलसी रामायण घर घर में।

साकेत का अपना महत्व है।

   छंद अलंकार नियम

 भाषा विकास के बाधक।

  मात्रा गिनना 

यमाताराजभानसलगम्। भावाभिव्यक्ति के बाधक।

    मेरी मौलिकता मानकर ही श्रेष्ठ रचनाकार के तीस प्रमाण पत्र हिंदी दलों से मिले हैं।  ग़लत कहने पर भी मैं भागूँगा नहीं।

ग़लत सुधारने का प्रयत्न करूँगा।

  भारत में सत्रह साल नाबालिग 

 बलात्कारी मुक्त छुड़ाने वकीलों का तांता। 

 भावाभिव्यक्ति   के छंद की गल्ती

  भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी, मंत्री अधिकारी, प्रशासक के अपराध के सामने कुछ भी नहीं।

 

 


 


अपनी शैली में ही

 स्नातकोत्तर हिंदी उत्तीर्ण ।


 मैं पहले ही लिख चुका हूँ,

मैं उन्मुक्त गगन की पक्षी।

छंद अलंकार रस बंधन में

 साँस घुटकर 

अभिव्यक्ति विचार मर जाएँगे।

बार बार  लिखना

 नियमानुसार नहीं

स्वांतसुखाय लिखता हूँ।

खड़ी बोली हिन्दी,

न अवधि,न मैथिली न खिचड़ी।


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

निंदक।

 नमस्ते। वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई।

12-4-2021.

निंदक ।

निंदक न तो  परायों की

गल्तियों का भंडाफोड़ना

 अति मुश्किल।।

अपनी गल्तियाँ

 सुधारना भी संभव।।

 बदनाम कराने एक व्यक्ति तैयार हैं तो सतर्क रहेंगे ही।।

निंदक नियारे राखिए,

आंगन कुटीर समाय।।

बिन पानी साबुन बिना,

निर्मल करें सुभाय। कबीर।

 भ्रष्टाचारी अधिकारी, प्रशासक,मंत्री को 

ज़रा नेक पर पर लाने

निंदकों की अति 

आवश्यकता है।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

मोबाइल

 साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई के अध्यक्ष प्रबंधक संचालक समन्वयक सदस्य सचिव सब को मेरा प्रणाम।।

 वणक्कम।

 Mobile को तमिल में 

 हस्त बोल कहते हैं तो

 हिंदी में चल यंत्र दूरभाष।।

न जाने यह यंत्र न तो

कोराना काल में साहित्य संगम  के कई इकाइयों का संपर्क,

 श्रेष्ठ रचनाकार के प्रमाण पत्र

 आत्म सुख,

आत्मीय दोस्ती कैसे?

दूर दूर के नाते रिश्ते 

अति निकट।।

अमेरिका के पोते

 वीडियो काल में पास पास 

 तस्वीरें खींच 

अति निकट का आनंद।

 लेख,कविता, अपनी भावाभिव्यक्तियाँ अति आसान।।

 सामाजिक सुधार,

 जागरण, विचार परिवर्तन,

 सामाजिक परिवर्तन।

 तत्काल समाचार अगजग को

  फैलाने में समर्थ लोग।।

 अंतर्जाल का मायाजाल,

 अगजग की घटनाएँ,

 अंगुलियों में ही जान।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

आँखें

 नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश पत्रिका बिहार इकाई।।

१२-४-२०२१.

विषय  आँखें।

विधा  --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

 -------++++

 आँखें न तो न आनंद 

प्रकृति छटा का।

 बहरे, गूंगे तो संभल सकते।

 नेत्रहीन लोगों का जीवन

 अति मुश्किल अति परेशान।।

 आँखें चार होने में प्यार।

आँखें लाल होने में क्रोध।।

 आँखों से ही पता चलता,

सच्चे झूठे चेहरे।।

 आँखें बोलती है,

 आँखें घुमाने में प्रेम,

 नफ़रत,

बदला लेने की भावना।

अभिनेत्री अभिनेता की आँखें,

केरल के प्रसिद्ध कथकली पात्र की आँखें अति विचित्र।

 नव रसों को दर्शाता।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Sunday, April 11, 2021

आस्था आराधना

 परिवार दल के प्रशासक प्रबंधक संचालक समन्वयक सदस्य प्रतिभागियों को नमस्कार, वणक्कम।

१२-४-२०२१.

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 आस्था/आराधना।

 विधा --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति.

यही है मौलिकता जान।।

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 मानव को अपने आप पर आस्था चाहिए,

ज्ञान चाहिए कि मानवेत्तर शक्ति  मानव को नचा रही है।

 ब्रह्म ज्ञान के मिलते ही

 आराधना में मिल जाता आस्था।।

  निश्चल -निश्छल मनन से आराधना  मनोभीष्ट सिद्धि।

आराधना 

भगवान और भक्त के बीच।।

पंच तत्व के सिवा बाकी सब

 कृत्रिम बाह्याडंबर 

भगवान जान।।

 स्वार्थ वश भारतीय आस्था,

  सोनिया गाँधीजी को,

मोदीजी को

 जयललिता,एम जी आर को,

अभिनेत्री अभिनेता को

 मंदिर बनवा चुके  हैं।

परिणाम आस्था में अनास्था,

दुविधा में भक्त।

 भरोसा भगवान पर कैसे?

 कई बातें ऐसी ही होती,

वैज्ञानिक, डाक्टर विशेषज्ञ

 हैरान हो जाते।।

दसवीं कक्षा में चार बार फेल।

अध्यापक की गाली,

तू नालायक गधा चराने को भी।।

वह बन गया शिक्षा मंत्री।्

भाग्य विधाता परंपरागत

 खान गांधी को पददलितकर

चायवाले को जगत प्रसिद्ध प्रधान मंत्री पद पर बिठाया है।

 यही भगवान  पर आस्था,

 आराधना का मूल।।

 वाल्मीकि,तुलसी,सूर, कबीर

रैदास,भक्त त्याग राज,समर्थरामदास

सदा अमर अनुकरणीय और 

 स्मरणीय,आस्था के योग्य।

चरित्र गठन के चार चाँद।।

आस्था और आराधना के सोपान।

 न शासक,न रासो,न पद्मावत।

"जाको राखै साइयां,मारी न सक्कै कोय!

बाल न बांका करि सक्कै ,

जो जग वैरी होय।।

आस्था और आराधना का सुदृढ पर।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन, चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Saturday, April 10, 2021

मनमाना

 नमस्ते वणक्कम.

नव साहित्य परिवार।

११-४-२०२१.

 विषय : मनमाना/ 

 विधा --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।


 रविवार आदित्य वार।

 रवि किरणें   अत्यंत सुंदर।

  घर के छेद द्वारा बीच के आंगन में प्रवेश।।

 बचपन में  देखता,

मेरे तीन साल का भाई

धूप पकड़ने 

की कोशिश करता।

 पकड़ने घुटने टेकना तो

 धूप उसकी पीठ पर,

 ज़रा सकता तो जमीन पर।

 असंभव कोशिशें,

 शैशव का वह खेल।

 बार बार जमीन पर नन्हें

 हाथ से  धूप पकड़ने मारना।

अच्छा लगता देखने।

 शैशव में भी जिज्ञासु।

 मन मानी माँग,

वह बचपन का जिद।।

 किरणों के निकलते ही

ओसकणों की चमक।।

  सूर्यमुखी का दिशा घूमना।

 प्रकृति की लीला अद्भुत।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Friday, April 9, 2021

नारी सम्मान

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई।

विषय नारी का सम्मान

विधा  अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।


भारत वर्ष में आदी काल से 

नारी पूजनीय।

 भले ही राम हो,

यज्ञ करने के लिए 

सीता नहीं तो

सीता की स्वर्ण मूर्ति अति अनिवार्य।।

मनुष्य को अपनी क्रिया करने

तीन शक्तियों की अत्यंत आवश्यक।

तीनों शक्तियाँ 

इच्छा, ज्ञान,क्रिया।।

त्रिदेवियों की शक्तियाँ,

 लक्ष्मी, सरस्वती,पार्वती।।

जीने के लिए मातृभूमि,

बोलने के लिए मातृभाषा।।

नारी न तो पता नहीं 

पिता कौन?

अच्छा है

**********


नारी न तो

 नर कैसे?

 नर नहीं तो?

पर नर बन जाता 

 दुष्यंत,कोवलन

 पर नारी बन जाती

 न्योछावर करने

 अपने जीवन को।

अहिल्या को शाप,

सीता को वनवास 

यही रीति युग युगांतर से।

 ईश्वरीय सृष्टि में नारी

 ममतामई पर निर्दयी।

 महिषासुरमर्दिनी,

त्रिपुर सुंदरी।।

मोहिनी।

 अपने मान मर्यादा के लिए 

 आग में कूदती।

 वहीं मदुरै को भी जला शक्ति।

मोहिनी ने तो

शिव भस्म हो जाते।

ऐयप्पन का अवतार कैसे?

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Thursday, April 8, 2021

तमिल नव वर्ष

 नमस्ते। वणक्कम।

भारत वर्ष मेलों का देश है।

आध्यात्मिक उत्सवों के साथ साथ राष्ट्रीय उत्सव भी लोकप्रिय हैं।

गुरुदिवस, बालदिवस ,

स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि।

कुंभमेला, दीपावली,दशहरा,

होली आदि धार्मिक त्यौहार भी विश्वप्रसिद्ध हैं।

प्रांतीय त्योहार ओणम,पोंगल जैसे त्योहारों से लोग खुश होते हैैं। 

 इन त्यौहारों के अलावा ईसाई,मुगल आदि मजहबों के त्योहार भी मनाते जाते हैं।इनके अलावा हर प्रांत में भारतीय नववर्ष  भी मनाते हैं।

अंग्रेज़ों के प्रभाव से 

भारत वर्ष में जनवरी पहली तारीख को अति धूमधाम से मनाना प्रमाणित करता है कि आज भी हमारे मन में दासता विद्यमान है।

रोज माता पिता से आशीषों प्राप्त करने के देश में मदर्स डे,फा़दर्स डे भी दर्दनाक है।

तमिल नाडु में नववर्ष के बारे में  राजनैतिक और धार्मिक मत भेद होते हैं।  

अधिकांश चैत्र महीनों को ही नववर्ष मानते हैं।

द्राविड़ दल के नेता करुणा निधि ने पौष महीने को नव वर्ष माना है।

पर आम जनता चैत्र को ही।जो भी हो जनवरी पहली तारीख के समान चैत्र नव वर्ष को नवयुवक महत्व नहीं देते।

परंपरागत नववर्ष 

अति उत्साह से 

मनाने वाले हैं।

तब घर को खूब सजाते हैं।

 स्नान करके

 नये वस्त्र पहनते हैं।

 छोटे लोग बड़ों को नमस्कार करके आशीषें पाते हैं।

केला,आम,कटहल आदि त्रीफलों का नैवेद्य चढाते हैं।

नववर्ष के दिन नीम के कोमल पत्ते और गुड़,कच्चा आम डालकर रवैया बनाते हैं।

इसका मतलब है कि

जीवन खट्टे मिट्ठे और कडुओं से मिश्रित हैं।

सब को सहना ही मानव जीवन है।

षडरस  भोजन बनाते हैं।

मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करके प्रार्थना करते हैं।

 राजनैतिक कारण से उतना महत्व नहीं है। अल्पसंख्यक पूस महीने में नाम मात्र के लिए मनाते हैं।

बहुसंख्यक सनातन धर्मी चैत्र महीने में भक्ति श्रद्धा से  

मनाते हैं।

 फिर चुनाव फल द्राविड़ मु.क.के पक्ष में हो तो पूस चैत्र की चर्चा चलेगी।

 पर रूढ़ी वादी चैत्र महीने की पहली तारीख को ही नव वर्ष मनाएँगे।

 सब को चैत्रपहली तारीख पिलव वर्ष की 

शुभकामनाएँ ।

Wednesday, April 7, 2021

सुगंध

 कलम बोलती है।

विषय क्रमांक २८१.

विषय   --महक.

विधा --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

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 फूलों की महक

 ईश्वरीय देन।

नयनाकर्षक, 

मन मोहक।

 नाना रंग,नाना सुगंध।।

 हवा ले आती दूर से खुशबू।

 खुश होता है चित्त।

  धान की खेती का विशेष महक।

वर्षा के समय मिट्टी का महक।।

दूध का महक,

दही का महक

घी का महक 

 रूपांतरण में 

फर्क होती महक।।

भोजन में विविध 

पदार्थों की महक।।

फलों के महक।

आजकल 

फलों की महक कम।

  विषयों की महक,

 संगीत और गायन का महक।।

इनके बीच बदबू भारत में

 पेशाब,शौच,मोरे के पानी।

  सभी में  खुशबू हैं,

  फूल फल के सड़ने में दुर्गन्ध।।

कृत्रिम सुगंध

 मुख चूर्ण में

  साबुन में

 नेल पालिश में

 शू पालिश में।

 पेट्रोल में,मिट्टी के तेल में।

इत्र आदि सुगंधित पदार्धौ में

 महक ही महक अधिक।

नशीली पेयों की महक अलग अलग।

 महक थी जिंदगी

 भक्तों का भाग्यवानों की।।

 तिल ,सरस,मूँगफली, जैतून नारियल आदि तेलों की महक।

 विभिन्न सुगंध,

 विभिन्न विचार।

 सबको सब सुगंध पसंद नहीं।

 सूखी मछलियों का बदबू

 कै आता,पर खाते कैसे?

  स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Monday, April 5, 2021

भारत माँ

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य सुधा मंच।

6-4-2021

सारे जहां से अच्छा ,

  आदी काल से विश्व गुरु।

 विश्वनाथ।

 विश्व मार्गदर्शक।

भारत।

 आदी मजहब।

अहिंसा के सिद्धांत।

 आध्यात्मिक सत्य प्रचार।

 जगत मिथ्या का संदेश।।

  भाई चारे का महत्व।

 विश्व बंधुत्व संदेश।।

 वसुधैव कुटुंबकम्।

 सर्वे जना सूखिनो भवन्तु।

 आध्यात्मिक ईश्वरीय शक्ति।

 भगवान के हाथ अस्त्र शस्त्र।

 मानव के हाथ हल।

 शांतिप्रिय कृषक जीवन।

 खेती योग्य जीव धदियाँ।

वर्षा दायक घना जंगल,

ऊँचे पहाड़।

हर दिन सभी मौसम।

आ सेतु यात्रा।

सर्दी में गर्मी,गर्मी में सर्दी।

 तीर्थ यात्रा उल्लास यात्रा।।

अपूर्व मंदिर शिल्पकला का आधार।।

 पहाड़ खुदवाकर

 अद्भुत मंदिर शिल्पकला।

 जड़ी-बूटियों की स्वर्ग भूमि।।

मेरी मातृभूमि।

आदर्श अतिथि देवो भव।

अगजग के आक्रमण,

बेरहमी खून,लूट।

ज्ञान का लूट,

धन का लूट,

 शासक बनकर लूट।

किसी की चिंता नहीं,

नंगे अघोरी, कौपीन धारी

अर्द्ध नग्न साधु।

 स्वर्णाक्षर, हीरे मुकुटधारी

 साधु-संत एकांत तपस्या।

 जगत उद्धार का संदेश।

 सहनशीलता, मिलनसार।

  मेरी भारत माँ।।

विश्व भर में एक देश

 चैन का मार्ग 

और कोई कहीं भी गाता नहीं

 मजहबी एकता की बात।

हिंदू, मुस्लिम,सिक्ख, ईसाई

भारत में है भाई भाई।

न खाता मुस्लिम,न खाता ईसाई।

सनातन धर्मी गाता।

यही भारत मांँ के सपूत।

 इकबाल के अनुसार विश्व सभ्यताएँ मिट गई,

मिस्र रोमन यूनानी।

 भारत माँ और भारतीय सभ्यता अजय अमर।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

इंतजार எதிர் பார்ப்பு,,

 नमस्ते वणक्कम।

कलमकार कुंभ।

विषय इंतजार।

विधा अपनी अभिव्यक्ति। कविता कहते हैं।

५-४-२९२१

मानव जीवन में

 इंतजार जन्म से लेकर अंत तक।

माता- पिता संतान की प्रतीक्षा में।

 संतान की प्रगति के इंतजाम में।

इंतजार में।

 संतान जवान होकर

 परीक्षा के इंतजार में।

 प्रेमी-प्रेमिका के इंतजार में।

पति पत्नी के बाट जोहने में।।

बच्चे माँ बाप की राह देखने में।

जवान नौकरी की प्रतीक्षा में।

 नौकरी के बाद तरक्की की प्रतीक्षा में।

 प्रतीक्षा करते करते 

अप्रतिक्षित बुढ़ापा।

 जीवन अंत बगैर इंतजार के।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

நிலவு चाँद

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य सुधा मंच।

५-४-२०२१

चाँद         நிலவு 

 पूर्णिमा चाँद की तरह பௌர்ணமி நிலவு போன்று மாத ஊதியம்.

 मासिक वेतन।।

  घटता जाता फिर पहली तारीख। குறைந்து போகும்.பின் தேதி ஒன்று.

 ऊपरी आमदनी  बहता மேல் வருமானம் ஓடும் ஊற்று.

स्रोत।

  चाँदी सी चमक, வெள்ளி போன்ற ஒளி.

  वह भी जीवन में. அதுவும் வாழ்க்கை மில் 

  जवानी की चांदनी। இளமையின் நிலவு ஒளி.

 चाँद सी चमक।।நிலவு போன்ற பிரகாசம்.

 सूर्य सा जीवन तो गर्मी अधिक।சூரியன் போன்ற வாழ்க்கையில் வெப்பம்.

चांद की शीतलता अति सुन्दर।। நிலவின் குளிர் தான் வாழ்க்கை.

 चांदनी  में ही सुखी जीवन। நிலவொளியில் சுகமான வாழ்க்கை.

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

नयन கண்

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई।

5-4-2021.

नयनों की करी कोठरी। கண் ஒரு அறை. 

 कबीर ने कहा।     கபீர் கூறினார்.

 नयन मिलन में प्यार। கண்கள் சந்தித்தால் காதல்.

नयनों का तारा है तू ,बच्चा।। கண் இமை நீ குழந்தை.

 नयन मूंदकर कैद,भक्ति।। கண்ணை மூடி கைது. பக்தி.

 आँखें गवाहें, கண்கள் சாட்சி.

 आँखें लाल होती हैं। கண்கள் சிவக்கின்றன.

  नयनों की बातें, கண்களால் காதல் பேசுகிறது.

   प्रेमी करते हैं। 

  नयनों की बातें கண்களின் வார்த்தைகள்

 हत्या करती है।கொலைசெய்கின்றன.

 नयनों की बातें  கண்களின் வார்த்தைகள்

पुरस्कार देती है। பரிசு அளிக்கின்றன.

दंड देती है। தண்டனை தருகின்றன.

 आँखें नहीं तो கண்கள் இல்லை என்றால்

 प्रेम  नहीं।காதல் இல்லை.

दुख दूर होने अश्रु नहीं। துன்பங்கள் போக்க கண்ணீர் இல்லை.

आनंद अश्रु नहीं। ஆனந்தக் கண்ணீர் இல்லை.

शोकाश्रु नहीं,சோகக்கண்ணீர் இல்லை.

भगवान की कृपा कटाक्ष नहीं। பகவானின் அருள் பார்வை இல்லை.

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।