Saturday, May 10, 2025

मातृदिवस अन्नैयर दिनम्

 

नमस्ते वणक्कम्।

तमिऴ हिंदी सेवा 

 तमिऴ् हिंदी पणि।

தமிழ் ஹிந்தி பணி.

 தேவநாகரி எழுத்தில் தமிழ்.

देवनागरी ऍऴुत्तिल् तमिऴ्।

 ஆசார்ய வினோபா பாவே आचार्य विनोबा भावे 

 பாரத மொழி  = भारत मोऴि पयिल

பயில  सीखने

 தேவநாகரி லிபி

 देवनागरी  लिपि 

பாரதத்தின்  =भारतत्तिन

பொது லிபியாக= पॊतु लिपियां 

 மாற்ற வேண்டும் बदलना चाहिए।

 என்று பிரசாரம் செய்தார். प्रचार किया।

அதனால் தமிழகத்தில் பாரதம்

अतनाल् तमिऴकत्तिल् भारतम्

 முழுவதும் = मुऴुवतुम् 

ஹிந்தி எழுத்து= हिंदी लिपि

 தேவநாகரி லிபிदेवनागरी लिपि 

 தெரிந்தால்  =तॆरिंदाल्

 மற்ற மொழி = मट्रमोऴि

எளிதாக= ऍळिताक 

  படிக்க முடியும்.==पडिक्क मुडियुम्।

++++++++++++++++++

मातृ दिवस = अन्नैयर दिनम्  

 (दिन  संस्कृत हिंदी)

 भारत देश में  =भारत नाट्टिल्

 मातृ दिवस, =अन्नैयर दिनम्

 पितृ दिवस  = तंदैयर दिनम् 

मनाने की==  कॊंडाड

ज़रूरत नहीं है। == तेवै इल्लै।


 यहाँ माता-पिता -गुरु = इंगु माता-पिता -गुरु 

ईश्वर तुल्य है। = कडवुळुक्कु  ऒप्पानवर्कळ्

 यहाँ तलाक की =इंगु   विवाहरत्तु 

 व्यवस्था नहीं थी।  एर्पाडु इल्लै।

 पश्चात्य देश में  ==मेर्कत्तिय देशंकळिल्

 तलाक और दूसरी  = विवाह यत्तु मट्रोरु

शादी की व्यवस्था में  = तिरुमण  एर्पाट्टिल् 

 बच्चों के लिए   = कुऴंतैकऴुक्कु

 शाश्वत माँ बाप नहीं है। निरंतर मान ताय -तंदै इल्लै।

माँ पिता बदलते हैं।  तार -तंदै मर माऱुकिऱार्कळ्।

पति-पत्नी बदलते हैं।  पति -पत्नी माऱुकिऱार्कळ्

 बच्चे अनाथ है,  कुऴंतैकळ् अनातैकळ्।

 साल में एक बार माता से, पिता से = वरुडत्तिऱ्कु ऒरुमुऱै अम्मावै  अप्पावै

 मिलते हैं।  =चंदिक्किरार्कळ्।

 तब वे  माँ में नये पति के साथ।

अप्पॊऴुतु अम्मा पुतु कणवनुडन्।

 पिता नयी पत्नी के साथ।

 अप्पा पुतुल मनैवियुडन्।

 वे  घर के बाहर खड़े होते हैं।

अवर्कऴ् वीट्टिऱ्कु  वॆळियिल्  निन्रु कोळ्किऱार्कळ्।

   माँ और पिता बाहर आकर

 अम्मावुम् अप्पावुम्  वेळियिल् वंदु

  बच्चों से मिलकर जाते हैं।

कुऴंतैकळै से और दित्तु चेल्किन्रनर्

 भारत में तो ऐसी बद प्रथा 

 भारतत्तिल् इप्पडिकॆट्ट वऴक्कम् इल्लै।

 विदेशियों की देन ।

वेळिनाडुकळिन् पंगळिपृपु।

 अतः मातृदिवस  आकैयाळ् अन्नैयर दिनम् 

 पितृ दिवस= तंदैयर दिनम्

 प्रेमी प्रेमिका दिवस। कादलर् दिनम् 

 दंपतियों के बदलने से दंपताकळिन् माट्रत्ताल्।

 माता-पिता के तलाक से।

माता। पिताविन विवाह रत्ताल्।

भारत में यह संक्रामक रोग से= भारतत्तिल् इंद तॊट्ऱुनोयिलिरुंदु

 मुक्ति पाने  =मुक्ति पेऱ

का एक मात्र मार्ग, ऒरे वऴि

 पारिवारिक अशांति  =कुटुंब अमैतियिन्मे 

दूर करने का =पोक्क

 एक मात्र मार्ग  =ऒरे वऴि

  सनातन धर्म का =सनातन धर्मत्तिन्

 आत्म ज्ञान  पाकर  =आत्मज्ञानम् पॆट्रु

परमात्मा की  = परमात्मा विन

शक्ति  पर अटल विश्वास करना चाहिए।

शक्तियिल्  उऱुतियान नंबिक्कै वैक्कवेंडुम्।

 

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।



 

 



 

 


 


 

No comments: