Thursday, June 12, 2014

महाभारत में अंतर्जातीय विवाह

भारत देश अति प्राचीन ;
ज्ञान का क्षेत्र;

विविधता में विचारों की एकता का केंद्र ;
सहिष्णुता का प्रधान अंग ; धार्मिक सहिष्णुता में विलक्षण ;
भारत है महान.
महाभारत  में  ईर्ष्या,प्रतिशोध ,अधर्म प्रधान ;
फिर भी धर्म का मार्ग दर्शक;
निष्काम कर्तव्य मार्ग ;
निष्काम- भक्ति मार्ग ;
निष्काम समाज -सुधार;
भृगु पुत्र का विवाह :--
भृगु मुनि एक ब्राह्मण थे; उनका पुत्र सौनिक .
उसकी शादी हुयी क्षत्रिय राजा ययाति की कन्या  सुकन्नी के साथ.
यह विवाह है  प्रतिलोम.
सलारकर -सलार्करै  का विवाह :--
मुनि सलारकर ने  नागलोक की कन्या  सलार्कारै से शादी की ;
यह नागलोक और भूलोक के अंतरजातीय विवाह;
यह अनुलोम विवाह;
ययाति और देवयानी का विवाह:
ययाति क्षत्रिय और देवयानी शुक्राचार्य ब्राह्मण की बेटी 
शुक्राचार्य की अनुमति से यह ब्याह हुआ.--प्रतिलोम विवाह;
शांतनु महाजा और सत्यवती (परिमाल्गंधी )का विवाह 
वशु  क्षत्रिय और उनकी पत्नी देव-कन्य थी;
देव-कन्या किसी शाप से मच्छ कन्या के रूप में पैदा हुयी ;
उस कन्या के पालित पिता ने वर पाया कि
उनकी बेटी राजकुमारी  होनी चाहिए.
इसी कारण शांतनु और देवयानी की शादी हुयी.
ऐसे ही पांडू -प्रथै; कृष्ण -रुकमनी ,कृष्ण -जाम्पवती की शादी हुयी;
जाम्पावती  शिकारी  जाती की थी;
ऋषय श्रुंग -शांता की शादी ;
अर्जुन -द्रौपती,/इदुम्बी/उलूपी /सुभद्रा /
अंतरजातीय शादियाँ किसी प्रकार के विरोध के बिना महाभारत में हुयी हैं.
अतः अंतरजातीय विवाह नया नहीं हैं.
केवल कलियुग की बात नहीं हैं ; भारतीय परंपरा में  हुआ है;
इतिहास में आजकल की सोनिया तक की कहानी हैं;
इसको कलियुग का बलि मानना गलत है 

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