Tuesday, February 2, 2016

शरणागति

उर में  तेरी यादें
जिह्वा में तेरा नाम
जग की चिंता छोड अब
जगन्नाथ के चरण में।
कहते हैं जग में कुछ करना हो
मिलजुलकर रहो।
हँसते  रहो हाथ मिलाते रहो
मुस्कुराहट में   मधुर वचन में
सहनशीलता में  संसार तेरे हाथ में।
पर धोखा खाता रहा।
दोस्ती के नाते  अन्याय को साथ देता रहा।
न्याय को हाथ में लेने का अवसर मिला तो
ईश्वर का नाम लेकर  सही निभाया।
अकेले मेरे कार्य सब को भयभीत कर दिया।
वह पद वह शक्ति ईश्वर  ने दिया।
ईश्वर  की कृपा से अकेले मैं
अब भी अकेलै नाते रिश्ते दोस्त सब के लिए
मैं बन गया जग में जीने न लायक।
हो गया रोगी हो गया पागल।
बगैर दुनिया की चिंता के
परमेॉश्वर की याद में जी रहा हूँ।
मेरे नाम बदनाम उन पर निर्भर।
मेरे जन्म की सार्थकताईश्वर के जिम्मे छोड।



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