Thursday, November 13, 2025

आशा का चिराग

 उम्मीद का चिराग

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एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु।

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 उम्मीद 

न तो मानव हतोत्साहित।

उम्मीद के चिराग जलने से  निराशा के  अंधकार  मिटता है।

आशा न तो जीवन 

 निष्क्रिय हो जाता है।

 नौकरी की आशा,

 मित्रों पर विश्वास 

 व्यापार में घाटा,

 इष्ट बंधु मित्रों का धोखा,

 धन का खो जाना,

 धन की चोरी होना,

 प्राकृतिक प्रकोप,

 संक्रामक रोग,

दुर्घटनाएँ,

 साध्य असाध्य रोग,

प्रतिशोध के शत्रु की 

 ये सब निराशा के समय।

 इससे दुखी होकर 

निरुत्साहित मानव को

 उत्साहित करने 

प्रेरित करने 

जुगुनू समान

 रोशनी

 कोई सहारा,

 आशा का चिराग,

मानव को उत्साहित 

  करता रहता है।

 गुप्तजी ने कहा है,

नर हो, 

न निराश करो 

मन को,

 मानव को संघर्ष 

करना ही पड़ता है।

 हार की परिस्थिति में 

ईश्वर पर विश्वास 

 प्रायश्चित होम हवन

 प्रार्थना ध्यान 

आशा का चिराग बनता है।

 ज्ञान चक्षु प्राप्त मनुष्य को  आशा का चिराग 

 मिलना आसान है।

 अत्यंत निराशा में,

 मानव आत्म हत्या कर लेता है।

 कायरता के कारण 

 मानव 

किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है।

आशा का चिराग 

 मानव मन की हीन भावना को मिटा देता है।

आशा का चिराग 

 भगवान पर भरोसा रखने,

 साहसी वीर धीरों की

जीवनियों से 

आशा का चिराग 

जलने लगता है।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 


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