Monday, September 21, 2015

ताज़्ज़ुब उसकी प्रगति ;

हिंदी  कैसी  भाषा है ?

ऐसी वैसी भाषा नहीं है?

१९वी  सदी  में जो सरल हिन्दी ,,
भारतेंदु काल  से   अति तीव्र गति से विश्व की तीसरी भाषा;

कितने विरोध ;

तमिलनाडु में बसें जली ; रेल जली.  कइयों के प्राण चले;

अपने आप पली ; जल सींचे कुछ लोग ;

अनुकूल वर्षा भी हुयी ;

ताज़्ज़ुब  उसकी प्रगति ;
पर अंग्रेज़ी  मगर मच्छ  उसको निगलना ही चाहता है;

फिर भी आग़े  हैं हिंदी;
नेहरू की गलती ; अन्नादुराई की अदूरदर्शिता ;
आज जयललिता प्रधान मंत्री बनना चाहती
मुरासोली मारन केंद्र में मंत्री बनना चाहता हैं
उनकी एक मात्र योग्यता
हिंदी विरोधीदलों  का बयान
वे सब जानते हैं हिंदी;
राष्ट्र पिता गांधीजी की दूरदर्शिता चमक रही है
हिंदी की हो रही है

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