Saturday, November 2, 2019

ईश्वर वंदना

 !
ईश वंदना


नास्तिक का व्यंग्य

आस्तिक का त्याग।
हे भगवान
!मैं हूँ तेरी संतान !
कहते हैं भाग्य रेखा सर पर लिखकर
तू ने मेरी सृष्टि की हैं.
मैं बावला ! पैसे के बल
नामी शिक्षक रख
मुहम्मद राफी सा
जगत्वंद्य गायक चाहा।
असफल रहा तो
रविवर्मा सा अमर चित्रकार बनना चाहा।
संगीतकार कामयाबी किसी में न मिली।
परम्परागत धंधा न जाने
भाग्यानुसार मन लगा या न लगा
बड़ी सफलता तो मिली।
हे भाग्य विधाता !भगवान !
तेरी लीला अद्भुत।
मेरे मान अपमान कर्म फल तो
मेरा कोई कसर नहीं।
विषैला साँप ,खूँख्वार जानवर
तेरी ही सृष्टि।
मैं तेरी रचना ,
सुखी रखना तेरा काम.
गुणी रखना तेरे काम।
तू भक्त वत्सल ,मैं तेरा भक्त।
जानता हूँ ,सबहीं नचावत राम गोसाई।
तेरे चरण में वंदन।
स्वचिंतक स्वरचित -यस। अनंतकृष्णन।

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