Sunday, November 3, 2019

यादें

प्रणाम ।
यादें/तन्हाइयाँ/
   यादें
 ईद के चांद के मित्रों को देख
   बचपन की यादें।
स्कूल और कालेज की यादें,
अध्यापक और उनकी
पीट-गाली की यादें।
तब जवानी के काल्पनिक प्रेम,
हँसी मजाक, कितनी यादें।

वृद्ध पिता-माता के अन्तिम
साँस  लेते देख
उनकी सेवा,प्रेम,त्याग की यादें,
अन्तिम क्रिया करके,
तन्हाई में आँसू बहाना,
पिता तो सबेरे जाते
रात को वापस आते
फिये भी उनके परिश्रम त्याग
पारिवारिक जिम्मेदारी,
 माता हो तो प्रेम से
मन पसंद खाना खिलाना,
बिना खाए न छोड़ना।
बहन भाई का झगड़ा,
प्रेम खेलना कूद्ना
यादें तन्हाई में तो अधिक।

आँसू,जिन्दगी में मरण
मानव जीवन तो अस्थिर अस्तित्व।

तन्हाई -मिलन-बिछुड की यादें ही जिन्दगी।
कल्पना हवा महल
प्रेमिका की कल्पना
न मिलने की कल्पना
शादी की कल्पना
कल्पना मीठी,
वास्तविकता कडुआ।
संतान पालने की कल्पना,
कमाई की कल्पना,
कल्पना जगत अलग।
स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंतकृष्णन।

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