Friday, June 5, 2015

ईश्वरीय लीला

क्या  होगा ? किसको मालूम ;

सोया था मीठे सपनों में 

आया था सुनामी ;

हिंदी   में तो सु नाम ; पर 

जापानी में सर्वनाश;
कितना बड़ा फरक अर्थों  में ;

एक अर्थ  दूसरी भाषा में  अनर्थ, 

भूकंप  मिट्टी में मिलाता हैं तो
 सुनामी लहरों में पानी में .

जिन्दगी तो स्थायी नहीं ,यह तो   क्षण भंगुर;

फिर  भी मनुष्य  जमा करता है ,

संपत्ति  एक ईमानदारी से तो  जमा करता है तो 
दूसरा  रत्नाकर सा ,
अंगुलिमाल सा 
लूट-मारकर ,डाका डालकर 

इन सब के विपरीत  एक  ईश्वरीय लीला ,

ईश्वर के नाम से आसाराम -सा 

करोड़ों के अधिपति  कैसे बनता भारत में;
शासक बनकर  करोड़ों के रूपये कैसे जमा करता है 
डाक्टर बनकर कितनों को लूटता है ,
अध्यापक बनकर  करता है 
बेवकूफों को अंक देकर ,
अंग लूटकर ,
न जाने ईश्वर का तमाशा ,
बेईमानदारी ,लुटेरे भोगते अनंत लौकिक  सुख;
सच्चे भक्त रैदास - सा ,कबीर -सा ,
श्री शंकराचार्य -सा ,मीरा -सा ,आंडाल सा 
भक्त रमण-सा ,त्यागरा सा ,साईं शीरड़ी  सा 
अंत तक लौकिकता से दूर ,
बाह्याडम्बर से दूर 
अलौकिक ब्रह्मानंद में लीन 
तजते हैं शारीर;
पर   बाद में उनके शिष्य 
बाह्याडम्बर में 
महल में ,सुख -सुविधा में ;
यह ईश्वर की लीला का पता नहीं .

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