Monday, August 10, 2015

हज़ारों की मौत हुयी ;

मनुष्य  के मन जब मज़बूर हो  जाता है ,तब उगती है भक्ति ;

डाक्टर  जब अपनी अंतिम  कोशिश में ,
रोगी को बचा नहीं सकता
तब दिखाते है हाथ ऊपर;

अचानक सुनामी  आयी ,
ईश्वर की याद के लिए समय नहीं,

याद दिलाने कोई  सतर्क न  रहे ;
अचानक  भूकम्प  आया

हज़ारों  की मौत  हुयी  ;

याद ईश्वर की  करने नहीं दिया समय;

ईश्वर तो अति चतुर ,विश्वके सृजनकर्ता
सोच समझकर करते हैं  ऐसा
अपने को याद करो तो विवश हूँ  बचाने ,
अचानक ही कुछ करूँ  तो मनुष्य भूल जाएगा मुझे ,
तभी मौका दूंगा ,उसकी बुद्धि काम न करेगी ;
सुख देता हूँ मुझे भूलकर भूलें करने ;
दुःख देता हूँ मुझे  याद करने ,
 सदा जो दोनों दशाओं में याद करते हैं मेरी
उनपर करता हूँ कृपा की वर्षा ; पर
इसमें इस परीक्षा में कम ही लोग सिद्धि  पाकर
सिद्ध पुरुष बन जाते हैं.






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