Thursday, November 26, 2015

बदलाव

अगजग देखो,
जागकर देखो
जहा अच्छा है या बुरा।
ईशवर की रीतिनीति देखो।
इस जग को देखो।
हिरन सा साधु।
साँप सा विषैला।
बडी मछलियाँ
छोटी मछलियाँ
मकडियाँ
छिपकलियाँ
जोंघु
न जाने
विषैली पेड पौधे
आरोग्यप्रद जटिबूटियाँ.
इन सबों को मिलाकर
ईश्वर ने बनाया
अहं ब्रह्मास्मि का
अहंकारी मनुष्य।
दंड मृत्यु दंड तय करके।
मरता है.मारता है।
जो भी भला बुरा करता है
नाटक का मंच
दृश्य बदलता रहता है।

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