Thursday, November 26, 2020

नशा

 नमस्ते नमस्ते। वणक्कम।

 शीर्षक --नशा मुक्ति

विधा -अपनी शैली। 

गद्य या पद्य संयोजक/संचालक निर्णय करें।।

लेखक लिखता है बस।

दिनांक २६-११-२०२९

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मैं नहीं चाहता, नशासे मुक्ति।

 नशा केवल मधुशाला की नहीं।

 भक्ति में नशा।

लौकिक प्रेम की नशा।

अंगुली माल को , रत्नाकर को

डकैती की नशा।

सिकंदर को विश्व विजय की नशा।

धूम्रपान की नशा।

घुड दौड़ की नशा।

शतरंज की नशा।

तुलसी जैसे पत्नी दास की नशा।

लाल दीप क्षेत्र कुछ नशा

अहं कार की नशा।

लोभ की नशा,

कामांध नशा।

आभूषण नशा।

मांसाहार की नशा।

शाकाहारी की नशा।

सकारात्मक नशा।

नकारात्मक नशा।

गोताखोर की नशा।

नशा  केवल मधुशाला में

नहीं कदम कदम पर नशा।

ज्ञानी को मालूम है

बुरी नशा और बंद नशा के अ और अंतर।।

भक्ति की नशा श्रेष्ठ।।

अलौकिक नशा आनंदप्रद।

सत्संग की नशा 

भक्ति की नशा 

सकारात्मक परमानंद ब्रह्मानंद।

मनुष्य या की नशा चढ़ाती।

सकारात्मक नशा।

अगजग को  प्रेम भक्ति परोपकार

दान धर्म पर ले जाने वाली।

जगत मिथ्या अनश्वर  

जय जगत  वसुधैव कुटुंबकम्।

यही नशा विश्व कल्याण।।

तुलसीदास को जगाया उनकी अर्द्धांगिनी ने।।

अनंतकृष्णन चेन्नै हिंदी प्रेमी की नशा

सकारात्मक विचार जगाना।।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।

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