नमस्ते वणक्कम।
साहित्य बोध जम्मू कश्मीर इकाई
विषय मौसम्।
विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा निज रचना निज शैली।
२६-९-२०२१.
मौसम प्राकृतिक परिवर्तन ईश्वरीय चमत्कार।
मौसमी फूल,मौसमी फल अन्य मौसमों में
मिलता नहीं,यह अपूर्व देन सर्वेश्वर की।
पत्झड पेड़ में नहीं हरियाली,
न हरे पत्ते , मानो पेड़ मर गया हो।।
वर्षा में एक अद्भुत दृश्य,
बर्फ का ढेर, मेंढक का टर टर।
मोर का पंख फैलाकर नाच।
उन जंतुओं के संभोग का मौसम।
गर्मी कड़ी धूप छायादार वृक्ष,
तरु तले आनंद नींद,ठंडी हवा।
पर मैं विस्मित हूँ,
मनुष्य अपने बुद्धि बल से
कैसे सभी मौसमों में सुखी रहता है?
वातानुकूलित कमरे ,
चाहें तो ठंडी हवा, चाहें तो गर्म हवा।।
मौसमी परिवर्तन ईश्वरीय देन।
तटस्थ ईश्वर फल सर्व जनों के लिए।
मानव निर्मित मौसमी यंत्र केवल
रईस और भाग्यवान केलिए।
अपना अपना भाग्य।
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