नमस्ते वणक्कम।
हिंद देश परिवार अमेरिका इकाई।
12-9-2021
विषय --ईश्वर
विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली
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ईश्वर /प्रभु।
भगवान/खुदा/गाड़।
अगजग मानता है,मनाया है,
ईश्वरीय शक्ति पाने,
वेद, कुरान, बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहब
भगवद गीता, रामायण,
महाभारत पढ़ते हैं
पर धन /चंचल लक्ष्मी के लिए
करते हैं भ्रष्टाचार, लेते हैं घूस।
कहते हैं ईश्वरीय सृष्टियों में ,
मनुष्य ही जानता है
सत्य-असत्य का महत्व।
न्याय-अन्याय का ज्ञाता।
मानव को भगवान ने ज्ञान दिया है।
ईश्वर की सृष्टियों में
जन्म से गूँगे हैं,
अपाहिज है
निःसंतान करोड़पति हैं।
संतान पाकर दरिद्र है।
भिखारी मीठी नींद सोता है।
स्वस्थ आदमी दुर्घटना में
कोमा बीमारी बन जाता है।
करोड़पति आत्महत्या कर लेता है।
करोड़पति अपने धन से बुढ़ापे में
जवान नहीं बन सकता।
सिंह सा गंभीर,
हाथी सा बल
सियार सा चालक,
चींटी सा चुस्त,
मगर मच्छ आंँसू रोता है।
राम कहानी सुनाता है।
मानव की मौलिकता क्या है?
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
कायर क्यों? वीर क्यों?
कंजूस कैसे? लोभी कैसे?
सोचो एकांत में?
ईश्वर का साक्षात्कार होगा।
लौकिकता है माया या शैतानियत!
अलौकिकता आध्यात्मिक शक्ति।
वीर का पुत्र कायर कैसे?
कायर का पुत्र वीर कैसे?
विद्वान का पुत्र मूर्ख।
मूर्ख का पुत्र प्रतिभावान!
मानव मानव की
हर परिवार की खोज करो।
हर मानव जीवन का अध्ययन करो।
पता चलेगा ईश्वर की सूक्ष्म क्रीड़ा।
परंपरागत प्रधान मंत्री वंश का मुकाबला
साधारण चायवाला।
अब विश्ववंद्य प्रधान मंत्री।
विश्ववंद्य नेता का पोता,नेत्री का बेटा चुप।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।।
स्वरचित स्वचिंतक एस-अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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