Thursday, September 11, 2014

பாரதீய ஏக்தா . भारत की एकता/

इंदिरा फेरोज़ खान की स्वार्थता ,प्रांतीय दलों को विकास करके 
प्रांतीय जोश के विषैले पेड़ों को पालकर  गयी है.
ऐसे स्वार्थ  प्रांतीय दल अखंड भारत को खंड करने में 
तुले हैं और मौके के इंतज़ार में हैं.
देव विरिधि,उत्तर विरोधी ,हिन्दू विरोधी,हिंदी विरोधी 
तमिलनाडु  की माँग के उद्देश्य से पले द्राविड दल  .
उससे  बिछुड़े द्रविड़ मुन्नेटर कलकं
उनके संघ में जुडी इंदिरा  तमिलनाडु में राष्ट्रीय दलों को बढ़ने न दिया.
बदल -बदलकर उनके अपराधों को छिपाकर बढ़ने दिया.
उनकी बहु सोनिया तेलंगाना को अलग करके उसके मुख्य मंत्री की बेटी को 
अलग तेलंगाना कश्मीर सम बोलने का साहस बढ़ा दिया.
वही एक सांसद पंद्रह मिनट सुरक्षा सोयेगी सारे हिन्दू धरासायी की धमकी दी.
अब तमिलनाडु के सीमान  ,तिरुमा जैसे नेट अलग ईलम और अलग तमिलनाडु की चिंगारी उड़ाने में लगे है.
उदयकुमार जैसे विदेशी चंगुल में पड़े लोग भारत भr में 
धर्म ,जाति और प्रांतीय जोश बढ़ाकर  भारत के अलगाव में दत्त-चित है.
अब मोदीजी की सरकार को भारत की कड़ियों को एक सूत्र में जोर से बाँधने का समय है.
आपसी लड़ाई ,तीसरे की  फायदा .
हमारे इतिहास में देखे तो हमारी गुलामी हमारे ही लोगों से.
प्रेम चन्दजी की कहानी "शतरंज की खिलाड़ी ".आम्बी ,
कितने ही deshdरोही  की याद रखनी है.
भारत वासियों !जागो!देश की एकता पर ध्यान रखिये.
संकुचित विचारवालों से बचिए.
जय हिन्द!जय भारत!जय जवान!जय किसान!

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