Tuesday, March 2, 2021

पुस्तकीय ज्ञान

 नमस्ते। वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान

 बिहार इकाई।

२-३-२०२१.

पुस्तक हैं ज्ञान का आधार।

 सही है,अनपढ़ लोग अक्लमंद है कि नहीं।

 पुरानी कहानी, एक महान पंडित नाव में जा रहा था।

वह मल्लाह से कह रहा था मैं त्रिकाल ज्ञानी ,भूत, वर्तमान, भविष्य जानता हूँ।

 सभी शास्त्रों का ज्ञान है।

 अनपढ़ मल्लाह ने अचानक पूछा ,नाव डूबनेवाली है।

आप को तैरने का शास्त्र मालूम है। मल्लाह कूदकर तैरा।

पुस्तकीय ज्ञान तैरने न सिखाया

आप रैट ब्रदर्स जानते हैं,

 विमान के आविष्कारक।

 वाणी कै डिक्टेटर कबीर।।

सत्संग से ज्ञान।

 तमिल कवि वळ्ळुवर  ने कहा ,

श्रवण ज्ञान ही बड़ी संपत्ति।

 अनुभव ज्ञान श्रेष्ठ।

ईश्वरीय ज्ञान कालीदास को,

वाल्मीकि  को ,तुलसी को 

 महान कवि बनाया।

  अनुभव ज्ञान, श्रवण ज्ञान।

 पुस्तकीय ज्ञान से बड़ा।।

 वर कवि के ग्रंथ 

आलोचक बनते डाक्टर।

 अनपढ़ विधायक  स्नातक से ज्ञानी।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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