Thursday, March 4, 2021

बीज

 तमिलनाडु साहित्य संगम संस्थान

नमस्ते वणक्कम।

५-३-२०२१

विषय:

  बीज मैं शब्दों का बोता हूँ

  विधा --अपनी शैली अपनी भाषा अपनी भावाभिव्यक्ति।

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शब्द ही शीर्षक ,

वहीं बीज विचार के लिए।

कविता का प्रभाव,

महिमा वीणापाणी की देन।।

कथानक का शीर्षक 

केवल शब्द,

कफ़न,गबन, हार की जीत

 ममता,माता हृदय,

 आँसू,कामायनी,सुख दुख,

 मुख पुस्तिका के शब्द शीर्षक

 प्रेम, क्रोध,भाग्य,देश, पर्यावरण , स्वर्ग,स्वर्ण

ये शब्द विविध लेखक,

विविध कवि, विविध वर्णन,

विविध विचार शब्दों का मायाजाल, सुखांत,दुखांत।

नव रस , विविध छंद, विविध अलंकार परिणाम

काव्य वृक्ष,कहानी,संस्मरण

शब्दों के बीज।

 मैंने भी शब्दों का बीज

 बोया है ।

 मुखपुस्तिका के दोस्त,दल के

वाह !वाह! से आत्मसुख, आत्मानंद , मानसिक उल्लास।।

    शब्द शक्ति में दोस्ती,

    शब्दों में जागरण,

    शब्दों में प्रेरणा।

  शब्दों में क्रांति

 शब्द शक्ति अति प्रबल।।

जिओ जीने दो।

जय जवान जय किसान।

भारत छोड़ो।

स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार।

वसुधैव कुटुंबकम्।

बजरंगबली।

 शब्द बीज अति  परिवर्तन 

 मानसिक, विचारात्मक,जोशीला।

जय भारत, वंदेमातरम।

भजन का प्रभाव।

शब्द बीजों से

राजनैतिक क्रांति,

दान धर्म आध्यात्मिक सद्गुण।

शब्द बीज की क्रांतियाँ वर्णनातीत।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै।

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