Tuesday, March 23, 2021

यादें तन्हाई।

 नमस्ते।

यादें। 

सारथी दल।।

२४-३-२०२१.

 मैं हूँ अकेला।

 अकेला खाली दिमाग

  शैतान का कारखाना।।

   ग्रूप क्यों दल क्यों नहीं।

  अंग्रेज़ी शैतानियत,

   अति  सवार।।

    तन्हाई में 

विनोबा जी की यादें ,

 पद यात्रा, सर्वोदय यज्ञ।

 भारत में हर गाँव 

 हर शहर में, गली गली में

 हिंदी की गूँज।

 महात्मा गाँधीजी की स्थापना

 हिंदी प्रचार,अति तेज।

 धिक्कार है आजादी भारत।

१९७० से अंग्रेज़ी स्कूल,

लाभ ही लाभ।

 किताब बिक्री,बाह्याडंबर ज्यादा है

 तनहाई में यादें अधिक।।

 पैसे सौ गुना लाभ,बड़ा बंगला,

 संतान नहीं, संतान असाध्य रोगी।

 पूत सपूत का तो का धन संचय।।

पूत कपूत का तो का धनसंचय।।

 भ्रष्टाचार-रिश्वतखोर की कमाई।।

क्या लाभ? कोराना का डर।

मच्छर मक्खी खटमल।

 पैसे हैं,दो दिन बाहर आते तो

 मकड़ी का जाल धूलधूसरित घर। में।

काकरोच,छिपकली, चूहा

कितना खतरा मानव जीवन का।।

यादें , तन्हाई बहुत सोचता हूँ।

मानव दुखों के कारण

मानव ही।

दशरथको भी शाप ,कारण खुद।

 संतान नहीं,संतान,संतान शोक।।

 इंद्र को भी शाप ,

अहिल्या पत्थर बनी तो

 इंद्र हजारों योनी वाला,

 मानव अपनेकर्मों के कारण दुखी।

 ईश्वर के लिए भूमि रंगमंच।

 मानव विविध चरित्र वाला।।

भोगी,रोगी, त्यागी।

कफ़न वह भी श्मशान तक।।

 तन्हाई यादों का बारात निधन।।

यही है मानव जीवन।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नई।

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