Monday, March 22, 2021

कर्म फल।

 नमस्ते। वणक्कम।

जग में जन्म लेना,

 जगन्नाथ की कृपा।

 कर्म फल , पाप-पुण्य फल।

 रईस  के यहाँ जन्म।।

 रंक के यहाँ जन्म।।

स्वस्थ देह, स्वस्थ मन,स्वस्थ धन।

जन्म से  ही पता लग जाता है।।

 कई अमीर घरों में,कमाई में मन।

नतीजा संतानोत्पत्ति  में मोह नहीं।।

फल एक-दो संतान,पैसे का पहाड़।।

गरीबों की बस्ती में ही,

संतानोत्पत्ति ही संपत्ति।।

 सुदामा गरीब, संतान अनेक।

 इसी में प्राकृतिक विश्रांति।।

जन्म से असाध्य रोगी,

अंधे,बहरे,गूँगे।

अंगहीनता, नपुंसकता।।

कर्म पाप पुण्य फल ,

ईश्वर हमारे निरीक्षक।।

पुरस्कार दंड यातनाएँ।।

अमीर भी न बच सकता।।

अधिकारी, न्यायाधीश भी

 नहीं बच सकता।।

लौकिक यातनाएँ जगविदित कहानियाँ।।

जन्मकुंडलियों में ही लिखा है,

बदलना पुरस्कार या दंड से बचना ज असंभव जान।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन







 


जीवन अनमोल।

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