Wednesday, April 7, 2021

सुगंध

 कलम बोलती है।

विषय क्रमांक २८१.

विषय   --महक.

विधा --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

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 फूलों की महक

 ईश्वरीय देन।

नयनाकर्षक, 

मन मोहक।

 नाना रंग,नाना सुगंध।।

 हवा ले आती दूर से खुशबू।

 खुश होता है चित्त।

  धान की खेती का विशेष महक।

वर्षा के समय मिट्टी का महक।।

दूध का महक,

दही का महक

घी का महक 

 रूपांतरण में 

फर्क होती महक।।

भोजन में विविध 

पदार्थों की महक।।

फलों के महक।

आजकल 

फलों की महक कम।

  विषयों की महक,

 संगीत और गायन का महक।।

इनके बीच बदबू भारत में

 पेशाब,शौच,मोरे के पानी।

  सभी में  खुशबू हैं,

  फूल फल के सड़ने में दुर्गन्ध।।

कृत्रिम सुगंध

 मुख चूर्ण में

  साबुन में

 नेल पालिश में

 शू पालिश में।

 पेट्रोल में,मिट्टी के तेल में।

इत्र आदि सुगंधित पदार्धौ में

 महक ही महक अधिक।

नशीली पेयों की महक अलग अलग।

 महक थी जिंदगी

 भक्तों का भाग्यवानों की।।

 तिल ,सरस,मूँगफली, जैतून नारियल आदि तेलों की महक।

 विभिन्न सुगंध,

 विभिन्न विचार।

 सबको सब सुगंध पसंद नहीं।

 सूखी मछलियों का बदबू

 कै आता,पर खाते कैसे?

  स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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