Thursday, April 8, 2021

तमिल नव वर्ष

 नमस्ते। वणक्कम।

भारत वर्ष मेलों का देश है।

आध्यात्मिक उत्सवों के साथ साथ राष्ट्रीय उत्सव भी लोकप्रिय हैं।

गुरुदिवस, बालदिवस ,

स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि।

कुंभमेला, दीपावली,दशहरा,

होली आदि धार्मिक त्यौहार भी विश्वप्रसिद्ध हैं।

प्रांतीय त्योहार ओणम,पोंगल जैसे त्योहारों से लोग खुश होते हैैं। 

 इन त्यौहारों के अलावा ईसाई,मुगल आदि मजहबों के त्योहार भी मनाते जाते हैं।इनके अलावा हर प्रांत में भारतीय नववर्ष  भी मनाते हैं।

अंग्रेज़ों के प्रभाव से 

भारत वर्ष में जनवरी पहली तारीख को अति धूमधाम से मनाना प्रमाणित करता है कि आज भी हमारे मन में दासता विद्यमान है।

रोज माता पिता से आशीषों प्राप्त करने के देश में मदर्स डे,फा़दर्स डे भी दर्दनाक है।

तमिल नाडु में नववर्ष के बारे में  राजनैतिक और धार्मिक मत भेद होते हैं।  

अधिकांश चैत्र महीनों को ही नववर्ष मानते हैं।

द्राविड़ दल के नेता करुणा निधि ने पौष महीने को नव वर्ष माना है।

पर आम जनता चैत्र को ही।जो भी हो जनवरी पहली तारीख के समान चैत्र नव वर्ष को नवयुवक महत्व नहीं देते।

परंपरागत नववर्ष 

अति उत्साह से 

मनाने वाले हैं।

तब घर को खूब सजाते हैं।

 स्नान करके

 नये वस्त्र पहनते हैं।

 छोटे लोग बड़ों को नमस्कार करके आशीषें पाते हैं।

केला,आम,कटहल आदि त्रीफलों का नैवेद्य चढाते हैं।

नववर्ष के दिन नीम के कोमल पत्ते और गुड़,कच्चा आम डालकर रवैया बनाते हैं।

इसका मतलब है कि

जीवन खट्टे मिट्ठे और कडुओं से मिश्रित हैं।

सब को सहना ही मानव जीवन है।

षडरस  भोजन बनाते हैं।

मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करके प्रार्थना करते हैं।

 राजनैतिक कारण से उतना महत्व नहीं है। अल्पसंख्यक पूस महीने में नाम मात्र के लिए मनाते हैं।

बहुसंख्यक सनातन धर्मी चैत्र महीने में भक्ति श्रद्धा से  

मनाते हैं।

 फिर चुनाव फल द्राविड़ मु.क.के पक्ष में हो तो पूस चैत्र की चर्चा चलेगी।

 पर रूढ़ी वादी चैत्र महीने की पहली तारीख को ही नव वर्ष मनाएँगे।

 सब को चैत्रपहली तारीख पिलव वर्ष की 

शुभकामनाएँ ।

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