Friday, April 9, 2021

नारी सम्मान

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई।

विषय नारी का सम्मान

विधा  अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।


भारत वर्ष में आदी काल से 

नारी पूजनीय।

 भले ही राम हो,

यज्ञ करने के लिए 

सीता नहीं तो

सीता की स्वर्ण मूर्ति अति अनिवार्य।।

मनुष्य को अपनी क्रिया करने

तीन शक्तियों की अत्यंत आवश्यक।

तीनों शक्तियाँ 

इच्छा, ज्ञान,क्रिया।।

त्रिदेवियों की शक्तियाँ,

 लक्ष्मी, सरस्वती,पार्वती।।

जीने के लिए मातृभूमि,

बोलने के लिए मातृभाषा।।

नारी न तो पता नहीं 

पिता कौन?

अच्छा है

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नारी न तो

 नर कैसे?

 नर नहीं तो?

पर नर बन जाता 

 दुष्यंत,कोवलन

 पर नारी बन जाती

 न्योछावर करने

 अपने जीवन को।

अहिल्या को शाप,

सीता को वनवास 

यही रीति युग युगांतर से।

 ईश्वरीय सृष्टि में नारी

 ममतामई पर निर्दयी।

 महिषासुरमर्दिनी,

त्रिपुर सुंदरी।।

मोहिनी।

 अपने मान मर्यादा के लिए 

 आग में कूदती।

 वहीं मदुरै को भी जला शक्ति।

मोहिनी ने तो

शिव भस्म हो जाते।

ऐयप्पन का अवतार कैसे?

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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