Friday, April 16, 2021

नीड

 कलम बोलती है साहित्य समूह को सादर प्रणाम।

  चित्राधारित।

 नीड़।

 पक्षी अति स्वावलंबित।

अपने घर खुद बनाते।

 देख  मेरे मन में  ईर्ष्या।

 न रेत की चिंता,न ईंट की।

न बैंक लोन की चिंता।

 न मीयाद की चिंता।।

 न  भविष्य की चिंता,

अपना घोंसला,

अपना परिश्रम।

आत्मनिर्भरता।

मानव से स्वाभिमान है पक्षी।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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