कलम बोलती है साहित्य समूह को सादर प्रणाम।
चित्राधारित।
नीड़।
पक्षी अति स्वावलंबित।
अपने घर खुद बनाते।
देख मेरे मन में ईर्ष्या।
न रेत की चिंता,न ईंट की।
न बैंक लोन की चिंता।
न मीयाद की चिंता।।
न भविष्य की चिंता,
अपना घोंसला,
अपना परिश्रम।
आत्मनिर्भरता।
मानव से स्वाभिमान है पक्षी।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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