Friday, December 19, 2014

                                                     



सुना था अवश्यकता आविष्कार की जानी है,

इससे बढ़कर  जननी गरीबी है ,
पैसे हो तो डिब्बे खरीदते ,
कार खरीदते ,सवारी करते.
अब तो थैली काफी है;
मैली की तो नहीं परवाह ;
जीने में आनंद का अनुभव करना हो तो
गरीबी में ;
प्रेम के बंधन पक्की है गरीबी में ,
मारो -पीटो आलिंगन है गरीबी  में ;

अमीरी में तो आत्मत्याग नहीं ;
आत्म-भेद ;
एक  छोटी -सी धक्का ,बस
मुकद्दमा अदालत में ;
दाम्पत्य में गरीबी में चैन ;
अमीरी में बेचैन.
अलग कमरे ;अलग रोशनी ;
चमक -दमक।
पर
संतान भाग्य से दूर;
फुत्पात के शयन में
होती संतान कमर में एक ;
गोद में एक; गर्भ में एक;
इक लीला भगवान की
समझमें नहीं आता ; गूढ़.

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