Friday, July 2, 2021

प्र

 नमस्ते वणक्कम।

समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान  भारत।

2-7-2021.

विषय  ग़लत/बुरी परंपरा का अवसान होना चाहिए।

विधा मौलिक रचना चाहे़ तो मौलिक विधा मान्य।।

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इतिहास साक्षी है अच्छे राज वंश,

बुरे व दुर्बल वारीश के आते ही अंत।।

खान वंश गाँधी वंश का खाल पहना।।

 भेद खुला, माँ,बेटे कर्म फल अंत।।

 जगाने सूरज सुलाने अवसान।

 चंद्रोदय शीतल सुस्ताने चाहिए

 दिनांत,जगाने सूर्योदय,शशि अवसान।।

 बुरी परंपरा,बुरे लोग खुद मिटते

मिटाते या मिटाते जाते।।

 मानव से असंभव है तो

 ईश्वर  का अवतार होता,

 छे ऋतुओं के चक्कर का अवसान

 बुरे  बूढ़े नालायक का अंत,

 नये हरियाली का आरंभ।।

शिथिल बुढ़ापे से क्या फायदा,

ईश्वर का नियम जन्म मृत्यु।।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

तमिल नाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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