Tuesday, July 6, 2021

अनाथ

 समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत।

नमस्ते वणक्कम।

5-7-2021.

आदी काल से आधुनिक काल तक,

रामायण की कथा से आज तक की कथाएँ,

अनाथ बच्चे और उनके भाग्य पर

आधारित अतुलनीय शोक -दुख -सुख।।

 सीता मिली,हर के नीचे महाराज जनक को।।

कर्ण मिला बहते पानी में सारथी को।

कबीर मिला तालाब के किनारे पर।।

 ईश्वरीय अवतार की कहानियाँ ही ऐसी हैं तो

 सामान्य मनुष्य अनियंत्रित मन मंद लीला।

अर्वाचीन चित्र पट कथानक,

 ईमानदार अधिकारी के दो बच्चे,

अधिकारी, पत्नी निर्झरी खलनायक की हत्या,

उनके दो अनाथ बच्चे,

एक  खलनायक के हाथ में

 बद्माशी हत्या,दूसरा पुलिस अधीक्षक।

 साहित्य समाज का दर्पण,

 अनाथालय के बच्चे,

उनकी राम कहानियाँ,

 वृद्धाश्रम में अनाथ माँ-बाप।

मानव में मानवता चाहिए।

 मानव को जितेंद्र बनना है।

तमिल में एक कहावत है,

बड़े लोगों का बड़प्पन 

रखैल की संख्या ही आधार।।

 भले ही पत्नी रूपवती हो,

बंदर सी रखैल  कमियों के लक्षण।।

राजमहल में अंतःपुर सुंदरियाँ,

शासक, अमीर अनाथों के कारण।।

 राजकुमारी के लिए लड़ाई,

  राजा के वीर काव्य किसी ने न सोचा,

 वीरों की की पत्नी अनाथ, बच्चे अनाथ।।

  निर्झरी प्रेमी प्रेमिका,कहते हैं त्याग।

 एक के प्यार की लड़ाई,आसानी से विदेशी।।

 अहंकार, कामान्ध ता, में संयम/जितेंद्रियता न तो

  पगली को भी बलात्कारी न छोड़ते,

 अंधी को भी न छोड़ते,

इन्सान जानवर बन जाता,

इन्सानियत न तो वह इन्सान नहीं।

सार्वजनिक स्थानों में चुंबन आलिंगन

 अनुमति का आन्दोलन,

 डिग्रियाँ बढ़ते बढ़ते 

बलात्कार कालेज के छात्र,

चित्र पट, मोबाइल चित्र का प्रभाव।

छात्रावस्था में  असंयम व्यवहार।

 अनाथालय चलाते,अंग शल्यचिकित्सा  के लिए।।

 इन्सानियत न तो भ्रूण हत्याएँ,

अनाथालय अनाथ जितेंद्रियता और ज्ञनुष्यता का अभाव।।

 संचार साधनों का  धन लोभ।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

No comments: