Tuesday, July 27, 2021

सुधार।

 नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश परिवार।

 हम सुधरेंगे,युग सुधरेगा।

28-7-2021.

विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा। निज शैली निज रचना

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 कबीर की वाणी याद आती है,

नानक की कहानी याद आती है,

सिद्धार्थ का गृह त्याग याद आती है।

 रैदास का मन चंगा तो कठौती में गंगा 

याद आती है, व्यक्ति गत सोच व्यक्तिगत  सुधार।।

 सत्संग का महत्व,दुरंगी दुनिया की बात।।

 सद्यःफल केलिए, अपने पद के लिए,

 अपने लाभ के लिए,अपनी प्रगति के लिए,

 भ्रष्टाचार, रिश्वत , प्रशासक और राजनैतिक।।

 सामाजिक समर्थन के बगैर यह असंभव।।

 व्यक्तिगत सुधार कैसे?

  आदी काल से अर्वाचीन काल आज तक

 कोई सुधरा है तो व्यक्ति गत सुधार व सोच।

 अशोक का मानसिक सुधार बुद्ध की देन।

गुरु नानक  ने ऐसे डाकू का सुधार  किया

जिसने  नानक से कहा - मैं डकैती करता हूँ,

निर्दयी हूँ,वहीं मेरा पेशा है। मैं वह धंधा छोड़ नहीं सकता।

मेरा मन बेचैन है। ऐसा उपाय बताइए जिससे मैं

वह काम भी कर सकूँ,चैन से भी जी सकूँ!

 नानक ने कहा,भला, 

तुमको अपने धंधा छोड़ने की जरूरत नहीं है।

 मैं रोज शाम को प्रवचन दे रहा हूँ।

 तुम रोज अपने कर्मों को सच-सच एक 

कागज़ पर लिखो। और मेरे प्रवचन की सभा में पढ़ा करो।

 पर वह साधु पुनः नहीं आया।

कई महीने बीत गये। गुरु भी यह घटना भूल गए।।

      एक दिन  वह डाकू आया। उसके चेहरे में चमक और तेज़।

उसने  गुरु नानक के पैरों पकड़कर कहा--

 आपके उपदेश के अनुसार मैं अपने कर्मों को लिखकर 

पढ़ने लगा तो मैं बहुत लज्जित हो गया।

 खुद शरमाने वाली बात को कैसे भरी सभा में पढूँ?

 मैं अपना धंधा छोड़ दिया।। अब मैं ईमानदारी से काम करता हूँ। जो रूखा सूखा मिलता है ,उससे संतुष्ट हूँ।

ऐसे व्यक्ति गत सुधार से ही युग सुधरेगा।।

हर एक को अपने कुकर्म सोचने पर 

शर्म आएगा ही। अपने कुकर्मों को कोई भी

खुल्लम खुल्ला बता नहीं सकता।

हर व्यक्ति की आत्मा में सुधार आएगा तो

 आत्मसंतोष और ब्रह्मानंद मिलेगा।।

 अगजग  सुधरेगा।

 भगवान के अनुग्रह से बुद्ध और नानक जैसे

महान  युग पुरुष जन्म लेते हैं।

हम सद्यःफल के लिए युगावतार पुरुषों को भूल जाते हैं।

 अंग्रेज़ का थप्पड़ न मिलें तो गाँधीजी युग पुरुष कैसे?

नश्वर दुनिया  मृत्यु के सोच से समाज सुधरेगा।

  स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

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