Monday, July 5, 2021

धैर्य

 नमस्ते वणक्कम।

 साहित्य बोध।

जीवन में धैर्य जरूरी है।

विधा। मौलिक विधा मौलिक रचना।

3-7-2021.

 धैर्य  साहस न तो

  धिक्कार है मानव जीवन।।

   ज्ञान धारा के प्रवर्तक कबीर की यादें।

   जिन ढूंढे तिन पाइया,गहरे पानी पैठ।

   मैं बौरी डूबन  डरी,रही किनारे बैठ।।

  साहसी न तो अमेरिका का पता नहीं।

 साहसी धीर वीर नहीं तो देश की सुरक्षा नहीं।

 जंगली जटि- बूटियों का पता नहीं।।

पारासूट  से कूदने वाले वीर नहीं।

 नये नये द्विपों का पता नही।

 खूँख्वार जानवरों से हिफाजत नहीं।।

 धैर्यवान पुरुषोत्तम न तो सिकंदर  लौटता नहीं।

 शारीरिक, मानसिक धैर्य न तो जीना दुश्वार।।

मंच पर भाषण देना कायरों से असंभव।।

 दरबार में बोलने का साहस न तो

वह शिक्षा का कोई मूल्य नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नै।

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