Monday, July 12, 2021

परीक्षा

 नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश परिवार दिल्ली।

12-7-2021.

संस्कार।

मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली

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भारत ही आदी सभ्यता और संस्कृति का आधार।

 मनुष्य मृग में मनुष्यता का संस्कार  है तो

 वह से वेद शास्त्रों की देन।।

 संस्कार डालने का,

 मनुष्यता का सुंदर साँचे में ,

 सगुण साकार डालने के शब्द

 अन्य मजहबियों में है ही नहीं।

 आदर्श नारा  चिर स्मरणीय

चिर अनुकरणीय नारा

शरणागत वत्सलता।

अतिथि देवो भव।

वसुधैव कुटुंबकम्।

 अहिंसा परमो धर्म,

विनम्रता,

  दया, जितेंद्रियता, दान धर्म-कर्म

त्याग, ठंड में अर्द्ध नग्न जीवन।

दधिची की रीढ़ हड्डी का दान।

 सिद्धार्थ का राज महल त्याग।

 राम की आज्ञाकारिता,

 समन्वय भावना, भक्त वत्सलता,

  लोक मर्यादा पुरुषोत्तम राम।

 लोक रंचक लोक रक्षक कृष्ण।

गुरु देवो भव।

   कदम कदम पर बात बात पर

 पतिव्रता ,संयम, आत्म सम्मान,आत्मावलोकन।

 संस्कार ही संस्कार सनातन धर्म।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।



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