Saturday, July 3, 2021

परिवर्तन

 नमस्ते वणक्कम।

कलमकार कुंभ।

परिवर्तन।

विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा।

निज रचना निज शैली।

4-7-2021.

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 परिवर्तन प्राकृतिक देन है।

 ऋतु परिवर्तन ,

  शैशवास्था, जवानी,प्रौढ़, बुढ़ापा  ईश्वरीय परिवर्तन।।

   ईश्वरीय परिवर्तन के नियम तो स्थाई।।

  ईश्वर ने मानव को ज्ञान दिया है।

  ज्ञान और विज्ञान  

आचार, विचार, गुण में ,

सभ्यता में,रहन-सहन में

संस्कृति में, खान-पान में

जीवन शैली में,

हर बात पर परिवर्तन लाते हैं।

 नंगा आदमी, कौपीन आदमी,कोटशूट, टै,शू,

पोशाक परिवर्तन,

अनुशासन, चरित्र गठन ,

सत्याचार,  हिंसा, अहिंसा में 

कितने-कितने परिवर्तन।।

डाकू से महर्षि,

अंगुली माल, अशोक जैसे क्रूर के

 अहिंसात्मक  परिवर्तन,

मज़हब, मज़हबी शाखाएँ,

शैव, वैष्णव  भक्ति में परिवर्तन।।

हीनयाण,महायाण, दिगंबर, श्वेतांबर।

शिया,सुन्नी, कैथोलिक,प्रोटोस्टैंड,

न जाने मूल से शाखाएँ,

इन सब की कट्टरता,नफ़रत

हर बात में परिवर्तन।।

भेद भावों के बीच एकता और मनुष्यता

लाने में विचार परिवर्तन।।

 पेय जल में मिनरल वाटर।

 साहित्यिक विधाओं में परिवर्तन।।

रसोई बनाने के चूल्हों में परिवर्तन।।

 स्वाद परिवर्तन, ।

 शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन।।

जंगली,नगरी, ग्रामीण परिवर्तन।

अभिवादन प्रणाली में परिवर्तन।।

बाजा बजाने में, नाट्य कला में

 ग्रामीण ,नगरी की बोली में परिवर्तन।

इतना ही नहीं, शौचालय में कितना परिवर्तन।।

परिवर्तन का कोई अंत नहीं,

परिवर्तन न तो प्रगति ही नहीं।।

श्मशान में  विद्युत श्मशान,

लाश के जलन में समय बचाव।।

लकड़ी से जलाना  कम।

हरि अनंत हरि कथा अनंत।।

परिवर्तन की कथा अनंत।

  खबर भेजने में sms mobile.

वर्णनातीत  परिवर्तन।।

   देवालय की घंटी विद्युत ।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

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