Friday, December 11, 2020

हिंदी को प्रोत्साहन नहीं बराबर

 हिंदी से जुड़डते जुडाते रहने में

कितनी बाधाएँ.
कितनी सुविधाएँ
कितना मोह,
कितना निर्मोह
कितना द्वेष
कितनी पूँजी
कितना सदुपयोग
कितना दुर्उपयोग.
संस्कृत/उर्दु मिश्रित.
जीविकोपार्जन की समस्या
हिंदी कवियों की कविता छापने
प्रकाशित करने
कोई आश्रयदाता नहीं,
हिंदी समाजोपयोगी बनने नौकरी नहीं,
पैसे के बल चुनाव जीत
अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोल
कमाना आसान पैसा प्रधान जग.
हिंदी से जुड़ा त्यागियों का काम.
अंग्रेज़ी से जुड़ा भोगियों के काम.
संस्कृत तज फारसी उर्दू सूखे पूर्वज.
अंग्रेज़ी आये, खिताबें मिली
ब्राह्मण बस्ती अंग्रेज़ी -सी सीखी.
जमाने के साथ दिनकर रहना
देशी भाषा भूलना
मामूली सी बात बन गयी

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