Wednesday, December 30, 2020

मैं

 


मैं तो अकेले अपने घर में

    अपनी शैली, अपनी भाषा,

अपने निजी छंद लिख 

कई अनदेखे मुख पुस्तिका दोस्तों के

दलों में दर्ज कर वाह!वाह ! में

अकेले आह्लादित हो समय बिताता।।

  एकांत से समाज में कभी कभी

  जय प्रकाशक, मदरास हि.प्रचारक संघ के  आर. कृष्णमूर्ति,

 लोगों के समाज में  लाते।।

 ऐसे ही आज अंतर्जाल 

नवीकरण प्रशिक्षण में

सत्तर साल की अवस्था में

भाग तो लिया, जवानी आ गई।।

सत्रह साल की उम्र में हिंदी प्रचार।

मेरे ख्याल से पाँचवाँ नवीकरण।

  दिल्ली नहीं गया,

 पर दिल्ली विश्वविद्यालय स्नातक।

हिमाचल प्रदेश के 

 स्नातकोत्तर शिक्षा।शिमला नहीं  गया। 
एक  सौ  रूपये  में  हिंदी स्नातकोत्तर 
श्री वेंकटेश्वर विश्व विद्यालय ,तिरूप्पति में। 

अब ११-१२-2020 से २२-१२-२०२०  तक  के मंतव्य 

 नवीकरण पाठ्यक्रम में

 श्री ज्ञानम द्वारा तमिल हिंदी

तुलनात्मक शिक्षा वाक्य रचना

प्रचारकों के साथ अंतर्क्रियाएँ,

प्रचारकों का उत्साह,

स्वर अक्षर की निश्चित संख्या।

 और का उच्चारण,

 कम्स तमिल तो कंस हिंदी 

र,ल,स,न के ऊपर बिंदु हो तो

न् का उच्चारण।ज्ञ  के उच्चारण 

ग्य उत्तर भारत में,सिंह का उच्चारण।

  शिक्षण के बहाव में 

प्रचारक बहते जाते।

 श्री मन्नार वेंकटेश्वर अनुशासित वर्ग,

आप प्रतिभागी के हर संकेत देख रहे हैं

मुझे मेरे जमाने के अध्यापक की यादें।

हिंदी प्रचार का राष्ट्र कर्तव्य,

बहुभाषी ऊर्जा।

भाषा कौशल बोलना, सुनना, लिखना, पढ़ना,

ग़लत उच्चारण पाप नहीं,

वह तो दोष।

वागेंद्रिय का निर्माण,

सामान्य भाषाविज्ञान, ध्वनिविज्ञान, अर्थविज्ञान, वाक्यविज्ञान।

प्रयोजन मूलक हिंदी भाषा।

अधिक उपयोगी भाषाविज्ञान शिक्षा।।

श्री शशिकांत मिश्र जी के 

हिंदी का स्थान, रोजगार की संभावनाएँ,

श्री राजीव कुमार सिंह जी के

हँसते सहज व्याख्यान,

हिंदी का उद्भव और विकास,

श्री चंद्रप्रताप सिंह जी की पाठ योजना, पाठ के प्रकार, 

पाठ नियोजन जानकारियाँ,

श्री गंगाधर वानोडे जी उच्चारण,

नासिक, अनुनासिक, वर्ण विस्तार,

प्रतिभागियों  से सवाल करना,

उच्चारण कराना, करवाना,

हर दिन के तीन घंटे

कोराना के गृह कैद तनाव से मुक्ति।

ज्ञानार्जन, मनोरंजन,

हाजिरी देने की परेशानी।

पंजीकरण, वर्ग के समय के बाद

उनका समाधान।

समय कटना, काटना अति उपयोगी।

ज्ञान प्रद, योग्यता प्रद

चिर स्मरणीय, चिर अनुकरणीय।।

धन्य है क्षेत्रीय निदेशक संयोजक, समन्वयक नवीकरण पाठ्यक्रम के।

मद्रास हिंदी प्रचारक संघ के सचिव व कोषाध्यक्ष के परिश्रम को सलाम।


से.अनंतकृष्णन।

ज्ञानार्जन मानव प्रयोजन।

जिज्ञासु मानव प्रवृत्ति।

 हरफनमौला कोई नहीं।

शारीरिक अंग में भी 

नाक का काम कान नहीं कर सकता।

आँखों के काम नाक नहीं कर सकता।

 हिंदी पंडितों को भाषा पंडितों को

सर्वज्ञ होना अनिवार्य ‌है ही।।

 पाठ्य पुस्तक में इतिहास,भूगोल 

राजनीति, विज्ञान,

 और होते अनेक विषय।

थोड़े में कहें तो

 भाषा पंडित सर्व विषय ज्ञानी।

रामानुजम के पाठ

 पढ़ाते समय गणितज्ञ।

रामानुजाचार्य है तो आध्यात्मिक

 विशिष्टताद्वैत।

 गाँधी नेहरू होते तो

राजनीति, इतिहास।।

सुकरात हो तो दर्शन।

शुद्ध भाषा उच्चारण,

ध्वनि,शब्द वाक्य प्रयोग।

भाषा विज्ञान,भाषा 

बोलचाल भाषा मिश्रित भी।

की लाओ। अपन को।

लिखित भाषा व्याकरण सहित

 चाय लाओ।

गरम चाय लाओ।

काली काफी दादा के लिए

शक्कर रहित काफ़ी।

वाक्य ,वाक्य, विस्तार, 

भाषा का इतिहास 

 इतने विषय  दस दिनों में

प्रतिभागियों के आधार शिक्षा

 उम्र,ग्राह्य शक्ति भिन्न भिन्न।

 नवीकरण पाठ्यक्रम के

प्राध्यापक के शिक्षण रीति

जिज्ञासु पाठकों की 

मनोभिलाषा पूरी की।

११-१२+२०२० से २२-१२-२०२० तक

 दो साल के ज्ञान को समा दिया।

 सब को नयी प्रेरणा मिली।

 प्रोत्साहन मिला। 

आठ प्राध्यापक,अष्ट दिग्गज

सबको सादर प्रणाम।

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१. प्रो.डाँ. गंगाधर वानोडे

भाषा विज्ञान और उसके विविध पक्ष।

केवल सिखाया ही नहीं,

विषय ज्ञान को ठँसकर सी दिया।

म् उच्चारण समान याद रखेगा सदा।


 २. प्रो..ज्ञानम जी का शिक्षण रोचक।

मातृभाषा तमिल और हिंदी

  ध्वनि,अक्षर,शब्द वाक्य उच्चारण की

तुलना में हिंदी का सही प्रयोग।

 ३.  प्रो.मन्नार  वेंकटेश्वर -

हिंदी भाषा का उद्भव और विकास,

हिंदी कथा साहित्य,सामान्य भाषा विज्ञान   सिखाने के गुणगान

पाठ्यक्रम  WhatsApp में।

४. प्रो.राजीवकुमार सिंह, भारतीय संस्कृति,

५. विनिता कुमार सिन्हा हिंदी साहित्य का  इतिहास।

६.शशिकांत मिश्रा  हिंदी में रोजागार की संभावनाएँ

अत्यंत उपयोगी,चिर अनुकरणीय।

चिर स्मरणीय।।

८. प्रो.चंद्रप्रताप सिंह  जी ने पाठ योजना  और पाठ नियोजन को खूब  व्याख्या की।बालक केंद्रित शिक्षा देने में  बालक क्रियाएँ, अध्यापक क्रियाएँ,

पाठ की परिभाषा ,सहायक सामग्रियाँ,

साहित्यिक रूप में  अनुशासन अच्छी चाल-चलन, मनोविकार, भाषा, व्याकरण आदि की व्याख्या की।

प्रतिभागियों को  छात्र, पाठक, पाठशाला के महत्व समझाया।।


८. डाॅ. विजय कुमार मल्होत्रा

 हिंदी शिक्षण में तकनिकी प्रयोग,

युग्म शब्द चल-छल, बच्चा -बचा

डाल -ढाल ,पल-फल। तभी 

छात्र काल की यादें

मिट्टी में मिलना,मिट्टी में मिलना।

लिखकर दिखाया,

प्रधान अध्यापक ने देख लिया।

कमरे में बुलाया, संयम और जितेन्द्रियता पर इतना समझाया तब

 उनके सामने भीष्म प्रतिज्ञा।

पर विवाह न करूँ की प्रतिज्ञा न ली।

 श्री राम चंद्र शाह जी मेरे प्रधानाचार्य।।

चित्र पट ही हिंदी खड़ी बोली विकास के मूल। हिंदी विरोध काल में भी अनपढ़ तमिल भाषी गडरिया गाता

रूप तेरा मस्ताना, एक तू और एक मैं

मैं शायर तो नहीं,

ये गाने  हिंदी  न बोलने  की प्रतिज्ञा लिए भी गाते थे।

यादों की बारात सामने निकला।

धन्य हैं।

हर एक प्राध्यापक की अपनी अपनी 

विशिष्टता और विशेषता सदा उनकी याद में सिर अपने आप श्रद्धा भक्ति से

झुकेगा तो विस्मय की बात नहीं। मर्यादा की बात।



   


 सब को सादर प्रणाम।।

 प्रतिभागी 

एस.अनंतकृष्णन।

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