Thursday, December 24, 2020

आज की रचनाएँ

 [24/12, 8:50 am] Ananthakrishnan: नमस्ते।वणक्कम। 

तिरुवेंपावै। -7.माणिक्कवासकर 


मार्गशीर्षमहीने अति तड़के उठकर

 शिव भगवान की स्तुति करने

 सब सखियॉँ भगवान के भजन करते हुए 

एक सखी को जगाती हुई गाती है ----


सखी ! मंदिर में शिव के बाजा बजा रहेहैं।

 शंख  ध्वनियाँ और ढोल  सुनकर भी सोना क्या उचित हैं। 

शिव नाम जपते जपते उठो। सुंदर शिव भगवान 

के नाम जपते ही आग लगे मोम समान 

तेरा मन पिघल जाएगा।

 हमारे भजन सुनकर भी सो रही हो.

तेरी  नींद भोली-भाली लडकी -सी है। 


  आलसी ,नींद बुरे व्यसन मनुष्य के शत्रु है।

   तब भगवान संबंधी मधुर सुखात्मक बातें 

   कान में  सुनाई नहीं  पड़ती।

अनुवाद :से.अनंतकृष्णन,चेन्नै

[24/12, 9:33 am] Ananthakrishnan: अरुणाचल शिव

 अरुणाचल शिव

अक्षरमाला।

38. हे महादेव ! तेरे अनुग्रह के पराक्रम  से मेरा आज्ञान अंधकार दूर हुआ। मन को शांति मिली।

मन की चंचलता दूर हो गई।

39.  हे महादेव!क्या मैं कुत्ते से नीच हूँ? नहीं।

मेरी भक्ति साधना से  तेरे  जान-पहचान का ऊर्जा पाकर 

तेरा शरणार्थी  बन जाऊँगा।

तू शरणागत वत्सल और दीन बंधु हो।तेरे अनुग्रह से ही 

मेरा उद्धार होगा।

४०.  तेरे  शरण तक पहुंचने की तीव्र लालसा है।

अभिलाषा है। तमन्ना है। कामना है। तीव्र इच्छा है।

पर  मैं अज्ञानी हूँ। अतः मुझे  विचार ज्ञान देना। 

अरुणाचल शिव अरुणाचल शिव अरुणाचल शिव।

[24/12, 10:20 am] Ananthakrishnan: नमस्ते। वणक्कम।

दो बच्चियों का चित्र।

एक रोती बच्ची 

दूसरी सांत्वना देने वाली।

हिंदी लेखक परिवार  का चित्र लेखन

दिनांक २४-१२-२०२०.

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

तमिल नाडु तमिल भाषी।

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 बाल मनोविज्ञान ,

  निष्कलंक,निष्कपट।।

  भले ही बड़े मिलना जुलना न दें।

 बच्चे मिलते हैं,खेलते हैं, झगड़ते हैं।

समझौता भी कर लेते हैं सही।। 

 यहाँ  एक बच्ची है रोती,

 दूसरी बच्चीने रुलाया या 

 बच्ची रोती है न जाने

किसी के डांटने से या भूख के कारण।

 चींटी के काटने से या पेट के दर्द से।

 बच्ची का रोना गंभीर बात है।

एक घटना याद आती है,

अंग्रेज़ी स्कूल, शू पहनना अनिवार्य।

 शू में बिच्छू था, बच्ची रोयी।

मातृभाषा भुलाने समय पर स्कूल जाना।

 सरकारी स्कूल तो देर से जा सकते हैं।

तीन साल का बच्चा छोड़ आते स्कूल में।

वहां अध्यापक की गाली।

सोच रहे थे  स्कूल न आने का जिद।

 बच्ची के प्राण पखेरु उड़ गये।

 बच्चों का रोना गंभीर।

लापरवाही न दिखाना।

 अनंतकृष्णन चेन्नै। तमिल भाषी।

[24/12, 11:45 am] Ananthakrishnan: हमेशा प्रचारक ठगे जाते हैं।

 मेरी माँ  के वृद्ध प्रचारक सम्मान के लिए रुपए छे सौ देना पड़ा।

प्रचारकों  से दान, प्रचारकों के हित के लिए नहीं, अपने लोगों को दिल्ली ले जाने, सौ साल उत्सव की साधना

 कर्मचारियों के एक महीने का वेतन काटना।

 वोट लेकर जो प्रतिनिधि जाते हैं, 

उनको अपने  टी एक डीए की चिंता।

इतवार परे दिन मौखिक परीक्षा

 चार सौ से ज्यादा नहीं।

दो घंटे व्यवस्थापिका बैठक।

हजार रुपये। खाना।

  केवल मैं ही पूछ रहा हूँ।

[24/12, 1:26 pm] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम

अमानत। 

२३-१२-२०२०

अमानत 

 धन का अमानत ,

धर्म  का अमानत

ज्ञान का अमानत

पुण्य का

 अमानत

 खून का अमानत

 शुक्ल का भी अमानत।

अमानत हम जो भी करें

हम सब ईश्वर का अमानत।

 हमेशा याद रखना 

पता नहीं कब अमानत ले जाएगा।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन

अनंतकृष्णन चेन्नै   तमिलनाडु

[24/12, 2:27 pm] Ananthakrishnan: नमस्ते ।। वणक्कम।।२४-१२-२०२० 

गुरु वार।

हम हैं कलम रथी!

विधा अपनी भाषा

 अपनी शैली

अपना छंद।।


 भावाभिव्यक्ति ,जन जन की भाषा।।

 संस्कार,संस्कृति ,समन्वय 

समाज सुधार, हमारे लक्ष्य।।

हम हैं कलम रथी।

हम में कुछ प्रेम गीत के पक्ष।

हम में कुछ देश‌ प्रेम  के प्रेरक।

हम में कुछ आध्यात्मिक प्रेरक।।

हम में कुछ आस्तिक,

हम में कुछ नास्तिक।

हममें कुछ आस्तिक नास्तिक 

छद्मवेशी।

हम में कुछ अवसर वादी।

हम में कुछ समाजवादी।

 हममें कुछ साम्यवादी।

 हम हैं कलम रथी।

 हमारी कृतियों में 

श्री नसीहतें मिलेंगी।

यथार्थ वाद, आदर्शवाद

आदर्शोन्मुख यथार्थ वाद।

 हम हैं कलम रथी।

मार्ग प्रदर्शक, ज्ञान दाता,

निराशा में आशा भरने वाले।

गुप्तजी से प्रेरणा मिली--

नर हो,न निराश करो मन को।।

हम हैं कलम रथी।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,

चेन्नै।

[24/12, 6:41 pm] Ananthakrishnan: करत करत अभ्यास करते जडमति होता सुजान।।

 लिखिए।  लिखिए कुछ।।

 प्राध्यापकों से निवेदन है,

जो लिखते हैं,उनकी गल्तियों की ओर संकेत करें तो वह बड़ी ज्ञान दान सेवा।

 अंग्रेज़ी में सोचो,

 अंग्रेजी में सपना देखो।

इसकेबदले यह नारालगाओ

मातृभाषा में सोचो।

मातृभाषा में सपना देखो।

मातृभाषा के समय की वास्तुकला,

 वेदों की नसीहतें,

संयम ,ध्यान, प्राणायाम

मधुशाला से दूर रख,

स्वस्थ तन मन धन से जिओ।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै। तमिल भाषी।


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